विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी होता हैं .आज मोबाइल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गया हैं और जो उपयोग करते हैं वे मोबाइल के व्यसनी हो जाते हैं .यह सामान्य बात हैं .और इस आदत के कारण हम शारीरिक ,मानसिक ,सामाजिक,आर्थिक और अनैतिकता के कारण अधिक हानियां उठा रहे हैं .इसका उजला पक्ष यह हैं कि हमारे बहुत सारे कार्य सम्पादित करने में सहायक होता हैं .
कभी कभी अपने समय की बात करे जब टेलेविज़न का चलन नहीं था और मात्र रेडियो ,समाचार पत्र ,पत्रिकाएं ही एक मात्र जानकारियों ,सूचनाओं का स्त्रोत होता था ,तब पढ़ने ,लिखने ,मिलने, जुलने के अलावा समय भी बच जाता था पर आज हम कम -वक़्त होने से कमब्खत होते जा रहे हैं .आज सूचना की अधिकता हैं पर ज्ञान का आभाव हैं .
इसका उपयोग की अनिवार्यता हमने अपने आपको गुलाम /पराधीन बना लिया हैं जो हमारे भविष्य के लिए कितना लाभप्रद हैं यह व्यक्तिगत चिंतन मनन का विषय हैं ,तर्क बहुत हैं पर हम प्रत्यक्ष्य और अप्रत्यक्ष में प्रभावित हो रहे हैं और चुके हैं .
मोबाइल को सर के पास रखना घातक साबित हो सकता है। इससे निकलने वाले रेडिएशन के वजह से लंबे समय तक सेल फोन को सिर के पास रखने पर कई स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती है।
हम में से बहुत से लोग सोते समय भी अपने मोबाइल फोन को खुद से दूर रखना पंसद नहीं करते हैं। ऐसे में या तो इसे तकिए के नीचे या अपने बिस्तर के पास रखते हैं। ऐसा करने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें से सबसे आम वजह है, इंटरनेट ब्राउज करते हुए सो जाना।जो आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ने का काम कर रहा है। 65% वयस्क और 90% किशोर अपने फोन को लेकर सोते हैं।
ऐसा करना आपके लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है। यदि आप थके हुए और बुरे मूड में जागते हैं, तो इसके पीछे की वजह भी आपका स्मार्टफोन ही होता है। सोने से ठीक पहले ब्लू-लाइट स्क्रीन का इस्तेमाल करने से आपकी नींद खराब हो सकती है।
मोबाइल फोन हानिकारक रेडिएशन का निकलते हैं, जो आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिससे आप सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।
फोन रेडिएशन के ये भी हैं नुकसान
मोबाइल फोन रेडिएशन इरेक्टाइल डिसफंक्शन से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही आपके सेल फोन से निकलने वाली नीली रोशनी नींद पैदा करने वाले हार्मोन के उत्पादन को भी बाधित कर सकती है, जिसे मेलाटोनिन भी कहा जाता है। यह सर्कैडियन रिदम (बॉडी क्लॉक) को बाधित करता है, जिससे सोने में कठिनाई होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फोन से निकलने वाले आरएफ रेडिएशन को ग्लियोमा, एक प्रकार के मस्तिष्क कैंसर के बढ़ते जोखिम के आधार पर मनुष्यों के लिए कार्सिनोजेनिक’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
जैसे ही आप फोन को दूर ले जाते हैं, रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फील्ड की ताकत जो फोन से जुड़ी होती है, बहुत कम हो जाती है। कोई विशिष्ट दूरी का पैमाना नहीं दिया गया है, लेकिन सलाह दी जाती है कि इसे कम से कम तीन फीट की पर रखकर इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
सोते वक्त फोन चलाने की लत ऐसे छोड़ें
जब आप सोने वाले हों तो फोन बंद कर दें या इसे ‘साइलेंट’ पर रख दें। यदि आपको कॉल के लिए उपलब्ध होना आवश्यक है, तो अपने मोबाइल फोन को अपने बिस्तर से दूर रखें। अलार्म के लिए घड़ी का उपयोग करें। ऐसे लोग हैं जिन्हें सोने से ठीक पहले ई-बुक पढ़ने की आदत होती है। वह एक वास्तविक पुस्तक पढ़ें।जितनी सुखद अनुभूति वास्तविक पुस्तक पढ़ने में होती हैं और जो सम्बन्ध अपने आप से बनते हैं वे दूरगामी प्रभाव डालते हैं .
सुरक्षात्मक कदम उठाना लाभकारी होगा .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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