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1 दिसंबर 1895 से प्रकाशित जैन समाज का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला साप्ताहिक

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अमृत वाणी

बारह भावनाएं (बारह अनुप्रेक्षा) – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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जब मनुष्य अशांत होता हैं और वह निराशा से घिर कर,  नकारात्मक भावो से घिर जाता हैं ,जीवन से पलायन करना चाहता हैं .जबकि...

श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मैं प्रत्यक्ष श्रावक ने की जिनवाणी स्थापना।

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बुरहानपुर में श्रुत पंचमी महोत्सव श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मैं प्रत्यक्ष श्रावक ने की जिनवाणी स्थापना। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, बुरहानपुर में श्रुत पंचमी...

भगवान श्री धर्मनाथ जी का मोक्ष कल्याणक- विद्याचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन, भोपाल

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धर्म के आलोक से विश्व को आलोकित करने वाले पन्द्रहवे तीर्थन्कर श्री धर्मनाथ जी का जन्म माघ शुक्ल त्रतीया के दिन रत्नपुर के राजा...

श्री विमलनाथ भगवान का गर्भ कल्याणक – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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पश्चिम धातकीखंड द्वीप में मेरू पर्वत से पश्चिम की ओर सीता नदी के दक्षिण तट पर रम्यकावती नाम का एक देश है। उसके महानगर...

गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन...

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गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन    साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के...

जो उत्पन्न होकर कुल को पवित्र करता है वह पुत्र है – मुनि श्री...

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कुंडलपुर। सुप्रसिद्ध  सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में विराजमान पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने कहा नीतिपरक ग्रंथों में पुत्र की  परिभाषा आचार्यों ने...

जो लोग हिम्मत करते हैं वे पारसनाथ भगवान के चरणों में पहुंच जाते हैं...

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औरंगाबाद संवाददाता  नरेंद्र /पियुष जैन - परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर' जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के बीस पंथी  कोटी में...

मन के सारे सुख का खेल कार्य की सफलता में है.. असफ़लता में नहीं...

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औरंगाबाद संवाददाता नरेंद्र /पियुष जैन- परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर' जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के बीस पंथी कोटी में विराजमान...

सुखी से जीवन जीना है तो अजनबी बनकर जीना शुरू कर दो – अन्तर्मना...

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सुखी से जीवन जीना है तो अजनबी बनकर जीना शुरू कर दो।अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर' जी औरंगाबाद संवाददाता नरेंद्र /पियुष जैन। परमपूज्य...

जैनधर्म के तेइसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की जीवनगाथा

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जैन धर्म का प्रादुर्भाव श्रमण परम्परा से हुआ है तथा इसके प्रवर्तक २४ तीर्थंकर हैं । जैन धर्म में तीर्थंकर शब्द से तात्पर्य उन...

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