हार्मोन असंतुलन – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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हार्मोन हमारे शरीर में बनने वाले एक तरह के केमिकल है जो रक्त के माध्यम से शरीर के अंगो और ऊतकों तक पहुँचते है। यह शरीर में एंडोक्राइन ग्रंथियों से स्रावित होते हैं तथा शरीर में होने वाली विभिन्न क्रियाओं को प्रभावित करते हैं, जैसे शरीर का विकास, मेटाबॉलिज्म (Metabolism), यौन गतिविधियाँ, प्रजनन और मूड स्विंग्स आदि क्रियाओं में हार्मोन की मुख्य भूमिका होती है। हार्मोन की सूक्ष्म मात्रा भी अधिक प्रभावशाली होती है, इन्हें शरीर में अधिक समय तक संचित नहीं रखा जा सकता है।
मॉडर्न साइंस ने 50 से अधिक तरह के हार्मोन की पहचान की है जो शरीर में विभिन्न कार्य करते हैं। इन हार्मोन्स का स्तर जब बहुत बढ़ जाता है या घट जाता है तो हार्मोनल असंतुलन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हार्मोनल असंतुलन के कारण आमतौर पर चेहरे पर मुंहासे निकलते हैं। यह इस समस्या का पहला संकेत है। साथ ही चिड़चिड़ापन, मूड खराब होना, एकाग्र न हो पाना और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
हार्मोन असंतुलन के 5 लक्षणों को न करें इग्नोर, शरीर बन जाएगा गंभीर बीमारियों का अड्डा
शरीर के सभी कार्यों के लिए हार्मोन्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जीवन और लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने हार्मोन बहुत मदद करता है। लेकिन व्यस्त और भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक या इमोशनल इश्यू के कारण हार्मोन के स्राव में असंतुलन पैदा हो जाता है। इसके अलावा परिस्थितियां और पर्यावरण भी हार्मोन को प्रभावित करते हैं जिससे मूड में बदलाव जैसी परेशानियां होने लगती हैं।
|तीन चरणों में होता है हार्मोनल असंतुलन
हार्मोनल असंतुलन आमतौर पर किशोरावस्था, गर्भावस्था और पेरी-मेनोपॉज या मेनोपॉज के दौरान अधिक होता है। समय के साथ ये असंतुलन कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं। चलिए जानते हैं कि हार्मोनल असंतुलन के लक्षण क्या हैं।
मुंहासे निकलना
किशोरावस्था के दौरान शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण आमतौर पर चेहरे पर मुंहासे निकलते हैं। यह इस समस्या का पहला संकेत है। साथ ही चिड़चिड़ापन, मूड खराब होना, एकाग्र न हो पाना और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हार्मोनल असंतुलन को नजरअंदाज करने पर महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम डिसऑर्डर और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।
वजन घटना या बढ़ना
पेरी-मेनोपॉज या मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में तेजी से वजन घटने या बढ़ने की समस्या हो जाती है। साथ ही हार्टबीट धीमा होना, थकान, अधिक पसीना, हाथों में झुनझुनी और थायरॉयड ग्रंथि में खराबी, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने जैसे लक्षण भी दिखायी जेते हैं। इन लक्षणों के साथ ही चिंता और डिप्रेशन भी होता है।
हाइपोथायरायडिज्म
शरीर में हार्मोन असंतुलन के कारण हर व्यक्ति को अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह असंतुलन मेटाबोलिक एक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है और हाइपोथायरायडिज्म की समस्या पैदा कर सकता है। इसके अलावा डायबिटीज भी हो सकता है।
मोटापा
मोटापा शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है क्योंकि शरीर में चयापचय दर धीमी हो जाती है और वसा आसानी से ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती है। जिसके कारण वसा जमा हो जाती है और वजन बढ़ता है। इससे मोटापे की समस्या पैदा होती है।
घरेलू उपचार
नारियल तेल
अपने आहार में नारियल का तेल शामिल करें। यह हार्मोन्स को संतुलित रखने में मदद करता है और वजन को भी नियंत्रित करता है।
ग्रीन टी
ग्रीन टी का सेवन करें। यह हमारे चयापचय के प्रक्रिया को बेहतर बनाती है और हार्मोन्स के संतुलन में मदद करती है।
ओट्स
ओट्स न केवल पोषक तत्वों से भरपूर है बल्कि यह ब्लड शुगर को भी नियंत्रित रखता है और हार्मोन्स को संतुलित बनाए रखता है इसलिए ओट्स को आहार के रूप में ले।
दालचीनी
दालचीनी पाउडर को अपनी चाय या आहार में शामिल करें। यह हार्मोन्स को संतुलित रखने में सहायक है और इंसुलिन को भी काफी हद तक संतुलित रखता है।
जैतून के तेल
रिफाइण्ड तेल की जगह अपने भोजन में जैतून के तेल का इस्तेमाल करने से असंतुलित हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
दही का सेवन
प्रतिदिन एक कप दही का सेवन करें। यह शरीर में अच्छे बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखते हैं।
गाजर
गाजर का सेवन करना अच्छा होता है। गाजर में एक अलग तरह का फाइबर होता है जो अतिरिक्त एस्ट्रोजेन को शरीर से बाहर निकाल कर डिकॉक्सटिफिकेशन में मदद करता है। माहवारी से पहले होने वाली समस्याओं से परेशान महिलाओं को गाजर का सेवन करना चाहिए।
डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट मूड ठीक करके अवसाद को खत्म करने में सहायक होती है। यह एंड्रोफीन हार्मोन के स्तर को बढ़ाती है और इसमें मौजूद कईं अन्य तत्व व्यक्ति को खुश रहने का एहसास दिलाते हैं।
‍ अलसी के बीज
अलसी के बीज कद्दू के बीज और सूरजमुखी के बीज ) में अच्छी मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वह हार्मोन बनाता है जो महिलाओं के लिए उपयोगी है और मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है। इसलिए प्रतिदिन इनका सेवन करें।
अश्वगंधा
प्रतिदिन 2-3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करें। यह हार्मोनल असंतुलन से होने वाले सभी लक्षणों को ठीक करता है। जैसे- नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, अवसाद, अधिक पसीना आना, हॉट फ्लैशेज़ , प्रजनन क्षमता में कमी आदि।
अदरक, लहसुन, कालीमिर्च, जीरा, करीपत्ता आदि में भी हार्मोंस को संतुलित रखने के गुण होते हैं. इन सभी को अपने डेली डायट में शामिल करें.
अनार को ज़रूर डायट में शामिल करें. अध्ययन बताते हैं कि अनार कैंसर उत्पन्न करनेवाले हार्मोंस को नियंत्रित करके कैंसर से बचाव करता है.
– हल्दी न स़िर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसका हार्मोंस बैलेंसिंग इफेक्ट हमें हेल्दी भी रखता है.
इन लक्षणों को पहचानने के बाद इलाज कराने में देर नहीं करना चाहिए। उचित खानपान और जीवनशैली में बदलाव से यह समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है। इसके अलावा फ्रेगनेंस थेरेपी, बॉथ थेरेपी, सिंगिंग, मूड को बेहतर करने वाले म्यूजिक सुनना, आसमान की तरफ देखना, समंदर या नदी किनारे बैठने जैसी एक्टिविटी से भी हार्मोनल असंतुलन की समस्या से उबरने में मदद मिलती है। अधिक से अधिक हरी सब्जियां और फलों का सेवन करना चाहिए। रोजाना संतुलित आहार लेने से हार्मोनल समस्याएं दूर होती हैं।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
सी ५०४ कुंदन एस्टेट ,कांटे बस्ती ,पिम्पले सौदागर ,पुणे महाराष्ट्र .४११०२७

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