Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha
अन्न को थाली में छोड़ना नही चाहिए, उतना ही ले जितनी जरूरत है। जैनाचार्य...
अन्न को थाली में छोड़ना नही चाहिए, उतना ही ले जितनी जरूरत है। जैनाचार्य अंतर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागरजी गोंदिया के एनएमडीसी...
आर्यिका रत्न 105 गरिमा मति माताजी ,आर्यिका 105 गंभीर मति माताजी सघस्थ नव दीक्षार्थी...
सकल दिगम्बर जैन समाज की अगुवाई में दीक्षार्थी दीदी का किया ऐतिहासिक अभिनंदन,बिनोरी एवं गोदभराई का हुआ भव्य आयोजन
फागी संवाददाता
आर्यिका रत्न 105 श्री गरिमा...
श्री पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर झोटवाड़ा में आचार्य 108 श्री चंद्रगुप्त जी गुरुदेव के...
फागी संवाददाता
पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर झोटवाड़ा में आचार्य श्री चंद्र गुप्त जी गुरुदेव के पावन आशीर्वाद से 16 वां
पंचकल्याणक वार्षिक महोत्सव 6 और 7...
बच्चों को स्मार्टफोन कब दें? – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
कभी कभी यह विचार आता हैं की आज से पचास साल पहले हमारे जमाने में टी. वी ,मोबाइल या इस तरह के सामाजिक सन्देश...
गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन...
गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के...
हम पहले लोकाचार का तो पालन करें – क्षुल्लक सहज सागर
भिलाई। गुरुवार। मूलाचार या श्रावकाचार की बात तो तब समझ आये जब हम लोकाचार का तो पालन करें। हम बड़ी बातें करते हैं आचार्य...
सम्मेदशिखर जी जैन समाज के लिए सबसे अहम तीर्थ स्थल – राज्यपाल राधकृष्णन
झारखंड के महामहिम राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने सम्मेदशिखर जी स्थित तमिलनाडु जैन भवन में चल रहे ‘लघु पंचकल्याणक’ में भाग लिया। इस अवसर...
बारह भावनाएं (बारह अनुप्रेक्षा) – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
जब मनुष्य अशांत होता हैं और वह निराशा से घिर कर, नकारात्मक भावो से घिर जाता हैं ,जीवन से पलायन करना चाहता हैं .जबकि...
चित्रक – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
चित्रक के पौधे पत्तियों और जड़ों का इस्तेमाल बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है।
साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक ही ग्रहण किया जाता...
जैन धर्म के चार धाम – पवित्र तीर्थ स्थल – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद...
जैन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है। राजा जनक भी जिन परंपरा से ही थे और उनके गुरु अष्टावक्र भी जिन परंपरा से...