गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के पावन प्रेरणा

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गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन    साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के पावन प्रेरणा                                        औरंगाबाद  /नरेंद्र /पीयूष जैन गोंदिया मे हुआ जन्मभूमि गौरव दीगम्बराचार्य पुष्पदंत सागर जी द्वार का निर्माण भूमि पूजन
महाराष्ट्र की पावन भूमि गोंदिया जिस भूमि पर जन्म लिया पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचर्या पुष्पदंत सागरजी महाराज और जिनके परमप्रभावक शिष्य तपोशिरोमणि साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के पावन प्रेरणा से गोंदिया की पावन भूमि मे हुआ भव्य द्वार का निर्माण भूमि पूजन
अंतर्मना गुरुदेव के द्वारा जन्म भूमि गौरव दिगंबराचार्य पुष्पदंतसागर द्वार के नाम से उद्घाटन हुआ lइस अवसर पर
आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज ने कहाँ कि
पैसा मानव मन की सबसे खराब खोज है। लेकिन मनुष्य के चरित्र को परखने की सबसे विश्वसनीय सामग्री है।
जीवन केवल धन कमाने के लिए नहीं, वह धर्म कमाने और ‘पुण्य को बढ़ाने के लिए भी है। पुण्य को बढ़ाए बिना, जीवन में बरकत संभव नहीं है। धर्म को बढ़ाए बिना, धन बढ़ने वाला भी नहीं है। धन की तृष्णा दुस्तूर है। यह काम वासना से भी भयंकर है। धर्म से ही मन की भूख को तृप्त किया जा सकता है। धर्म शास्त्रों को कम करने के लिए और दीवारों को छोटी करने के लिए है। दीवारें रखिए लेकिन, इतनी ऊंची मत रखिए कि, अपना भाई और पड़ोसी ही दिखाई ना पड़े।
इतना दान मत करो कि किराए के मकान में रहना पड़े और इतना संग्रह भी मत करो कि नर्क में जाना पड़े। जितनी सकती है, नामर्द है उतना करो, शक्ति का अतिक्रमण भी ना करो और उसे छुपाओ भी नहीं। सामर्थ है तो दान पुण्य तीर्थ यात्रा करनी ही चाहिए। नहीं कर पा रहे हो तो, करने वालों की अनुमोदना करना चाहिए…!!!

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