चित्रक – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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चित्रक के पौधे पत्तियों और जड़ों का इस्तेमाल बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है।
साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक ही ग्रहण किया जाता है। सफेद चित्रक वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को शान्त करता है। यह तीखा, कड़वा और पेट के लिए गरम होने के कारण कफ को शान्त करता है। भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, उल्टी को रोकता है, पेट के कीड़ों को खत्म करता है। यह खून तथा माता के दूध को शुद्ध करता है। यह सूजन को ठीक करता है।
यह टॉयफायड बुखार को समाप्त करता है। चित्रक की जड़ घावों और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। यह पेचिश, प्लीहा यानी तिल्ली की वृद्धि, अपच, खुजली आदि विभिन्न चर्मरोगों, बुखार, मिर्गी, तंत्रिकाविकार यानी न्यूरोडीजिज और मोटापा आदि को भी समाप्त करता है। सफेद चित्रक गर्भाशय को बल प्रदान करता है, बैक्टीरिया और कवकों को नष्ट करता है, कैंसररोधी यानी एंटीकैंसर है, लीवर के घाव को ठीक करता है।
चित्रकः कटुकः पाके वह्निकृत पाचनो लघुः .रूक्षुष्णो ग्रहनीकुष्ठ शोथार्थाश क्रमिकासनुत .
वातश्लेष्महरो ग्राही वातार्शश्लेष्म पित्तहरत .(भाव प्रकाश )
गुण —लघु रुक्ष तीष्ण, रस -कटु ,विपाक -कटु ,वीर्य –उष्ण
रासायनिक संगठन —प्लंबैगो ज़ेलेनिका में विभिन्न भागों में मौजूद विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स होते हैं। ये फाइटोकेमिकल्स फ्लेवोनोइड्स, अल्कलॉइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, स्टेरॉयड, ट्राइटरपीनोइड्स, टैनिन्स, कूमारिन्स, फेनोलिक कंपाउंड्स, सैपोनिन्स, नेफ्थोक्विनोन, कार्बोहाइड्रेट, फिक्स्ड ऑयल और वसा और प्रोटीन
इसकी तीन जातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः- सफेद चित्रक ,लाल चित्रक ,नीला चित्रक
अन्य भाषाओं में चित्रक के नाम
चित्रक का लैटिन नाम प्लम्बैगो जेलनिका है।
हिंदी में – चीत, चीता, चित्रक, चित्ता, चितरक, चितउर
इंग्लिश में – सिलोन लेडवर्ट), व्हाइट फ्लॉवर्ड लेडवर्ट व्हाइट लेडवर्ट
संस्कृत में – चित्रक, अग्नि, अग्निमाता, ऊषण, पाठी, वह्नि संज्ञा
नाक से खून बहने पर
सफेद चित्रक के २ ग्राम चूर्ण को चासनी के साथ मिलाकर खाने से नकसीर यानी नाक से खून आना बंद होता है। ५०० मिग्रा लाल चित्रक के चूर्ण को चासनी के साथ मिलाकर चाटने से नकसीर बन्द होती है।
सर्दी-खाँसी में
चित्रक खाँसी, पीनस यानी नाक बहना तथा महकना, कष्टसाध्य क्षय रोग यानी टीबी, बैक्टीरिया और गांठों को ठीक करती है। यह जुकाम के लिए उत्तम औषधि है। १० ग्राम चित्रकादि लेह को सुबह और शाम सेवन करने से खाँसी, दम फूलना, हृदय रोग में लाभ होता है।
आँवला, हरड़, बहेड़ा, गुडूची, चित्रक, रास्ना, विडंग, सोंठ, मरिच तथा पिप्पली का बराबर भाग मिलाकर चूर्ण बना लें। २ -४ ग्राम चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
सिर दर्द में
दिन भर के काम के तनाव के कारण सिर दर्द से परेशान हैं तो चित्रक की जड़ के चूर्ण को नाक से लेने से सिर दर्द में लाभ होता है।
दांतों के रोग में
नीले चित्रक की जड़ तथा बीज के चूर्ण को दांतों पर मलने से पायोरिया यानी दांतों से पीव आने की बीमारी ठीक होती है। इसके साथ ही दांत का घिसना-टूटना बंद होता है।
गले की खराश में
अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को २ -३ ग्राम मात्रा में चासनी तथा घी के साथ चाटने से स्वरभेद यानी गले की खराश दूर होती है। इसे दिन में तीन बार देना चाहिए। चित्रक और आंवला के काढ़ा में पकाए घी का सेवन करने से गले की खराश में लाभ होता है।
गण्डमाला (गले की गाँठ) में
भल्लातक, कासीस, चित्रक तथा दन्तीमूल की बराबर मात्रा के चूर्ण में गुड़ और स्नुही यानी थेहुर पौधे के दूध तथा आक का दूध मिला लें। इसका लेप करने से गले की गांठे ठीक हो जाती हैं। नीले चित्रक की जड़ को पीसकर लेप करने से गण्डमाला में लाभ होता है।
पाचनतंत्र विकार में
सैन्धव लवण, हरीतकी, पिप्पली तथा चित्रक चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को १ -२ ग्राम गर्म जल के साथ सेवन करने से भूख लगती है। इसके सेवन से घी, गरिष्ठ भोजन और नए चावल का भात तुरंत पच जाता है।
२ -५ ग्राम चित्रक चूर्ण में बराबर मात्रा में वायविडंग तथा नागरमोथा चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम भोजन से पूर्व सेवन करने से भोजन में अरुचि, भूख की कमी तथा अपच की समस्या ठीक होती है।
कब्ज का इलाज
घी में पकाए चित्रक के काढ़ा और पेस्ट को ५ -१० ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम खाने के बाद लें। इससे कब्ज ठीक होता है।
बवासीर का उपचार
चित्रक के जड़ की छाल के २ ग्राम चूर्ण को भोजन से पहले छाछ के साथ सुबह और शाम पीने से बवासीर में लाभ होता है।
चित्रक की जड़ को पीसकर मिट्टी के बरतन में लेप कर लें। इसमें दही जमा लें। इसी बर्तन में उस छाछ को पीने से बवासीर में लाभ होता है।
तिल्ली विकार में
ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के १० -२० ग्राम गूदे पर चित्रक की छाल के १ -२ ग्राम चूर्ण को बुरक लें। इसे सुबह और शाम खिलाने से तिल्ली की सूजन ठीक होती है।
चित्रक की जड़ , हल्दी, आक (मदार) का पका हुआ पत्ता, धातकी के फूल का चूर्ण में से किसी एक को गुड़ के साथ दिन में तीन बार खाएं। इसे एक से दो ग्राम तक खाने से तिल्ली की सूजन दूर होती है।
चित्रक का प्रयोग प्लीहा या तिल्ली संबंधी विकारों में फायदेमंद होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार चित्रक का प्रयोग प्लीह या तिल्ली को स्वस्थ रखने में सहायक होता है, साथ ही आयुर्वेद के अनुसार चित्रक को रसायन भी कहा गया है।
प्रसव को आसान बनाने के लिए
१० ग्राम चित्रक की जड़ के चूर्ण में दो चम्मच चासनी मिलाकर महिला को चटाने से प्रसव सामान्य और सुख पूर्वक होता है। प्रसव के दौरान चित्रक की जड़ सूंघने के लिए देना चाहिए। इससे प्रसव जल्दी होता है।
गठिया में लाभदायक
चित्रक की जड़, इन्द्रजौ, कुटकी, अतीस और हरड़ को समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसे ३ ग्राम मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से वात के कारण होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
चित्रक की जड़, आंवला, हरड़, पीपल, रेवंद चीनी और सेंधा नमक को बराबर भाग लेकर चूर्ण बनाकर रखें। ४ -५ ग्राम चूर्ण को सोते समय गर्म पानी के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द, वायु के रोग और आंतों के रोग मिटते हैं।
लाल चित्रक की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छानकर लगाने से पक्षाघात यानी लकवा और गठिया में लाभ होता है।
लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पका लें। इसे छानकर लगाने से आमवात यानी गठिया में लाभ होता है।
गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में चित्रक एक अच्छी औषधि है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार आमवात में आम दोष की उपस्थिति होती है। चित्रक दीपन -पाचन वाला होने से आम दोष का पाचन कर आमवात के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।
चर्म रोगों के लिए
चित्रक की छाल को दूध या जल के साथ पीसकर कुष्ठ और त्वचा के दूसरे प्रकार के रोगों में लेप करने से आराम मिलता है। इन्हीं चीजों को एक साथ पीसकर पुल्टिस (पट्टी) बनाकर बाँध दें। छाला उठने तक बाँधे रखें। इस छाले के आराम होने पर सफेद कुष्ठ के दाग मिट जाते हैं।
लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पकाकर, छानकर लगाने से सूजन, कुष्ठ, दाद, खुजली आदि त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है। लाल चित्रक की जड़ को पीसकर लगाने से मण्डल कुष्ठ में लाभ होता है।
नीले चित्रक की जड़ को पीसकर चर्मकील में लगाने से चर्मकील (Wart) का शमन होता है।
हिस्टीरिया का इलाज
चित्रक की जड़, ब्राह्मी और वच का समान भाग चूर्ण बनाकर १ से २ ग्राम तक की मात्रा में दिन में तीन बार देने से हिस्टीरिया (योषापस्मार) में लाभ होता है।
बुखार का इलाज
चित्रक की जड़ के चूर्ण में सोंठ, काली मिर्च तथा पिप्पली का चूर्ण मिला लें। इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में देने से बुखार ठीक होती है।
बुखार में जब रोगी खाना नहीं खा सके, उस समय चित्रक की जड़ के टुकड़ों को चबाने से अच्छा लाभ होता है।
२ -५ ग्राम चित्रक की जड़ के चूर्ण को दिन में तीन बार सेवन करने से से बुखार कम हो जाती है। प्रसूति को बुखार आने पर इसे निर्गुंडी के १० -२० मिली रस के साथ देना चाहिए।
चूहे का विष उतारने के लिए
चित्रक की छाल के चूर्ण को तेल में पकाकर तलुए पर मलने से चूहे का विष उतर जाता है।
फाइलेरिया (हाथीपांव) में
लाल चित्रक तथा देवदारु को गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपाँव (श्लीपद) में लाभ होता है।
पीलिया के इलाज में
लीवर संबंधी रोगों में भी चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है, जैसे कामला (पीलिया) में चित्रक लीवर की कोशिकाओ को हेल्दी कर पीलिया के लक्षणों को कम करता है।
पेचिश में
प्रवाहिका(पेचिश) में चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार प्रवाहिका में कफ और वात दोष का जो प्रकोप होता है और साथ ही अग्निमांद्य भी होता है ऐसी स्थिति में चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि चित्रक उष्ण वीर्य होने से वात -कफ को शांत करने के साथ अग्निमांद्य को भी दूर करता है जिससे प्रवाहिका के लक्षणों में कमी आती है।
संग्रहणी में चित्रक एक प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार संग्रहणी में आम दोष भी के कारण होता है और चित्रक दीपन -पाचन वाला होने से आम दोष का पाचन कर संग्रहणी में आराम देता है।
चित्रक के उपयोगी भाग –जड़
चित्रक के नुकसान—
अत्यधिक गर्म होने के कारण चित्रक का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
लाल चित्रक गर्भ को गिराने वाला होता है इसलिए इसका प्रयोग गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पक्षाघात यानी लकवा एवं मृत्यु भी हो सकती है।
योग — चित्रकादि गुटिका ,चित्रक हरीतकी ,चित्रक घृत ,चित्रकादि चूर्ण
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ९४२५००६७५३

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