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1 दिसंबर 1895 से प्रकाशित जैन समाज का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला साप्ताहिक

Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha

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गतिविधियां

दुनिया ईंट का जवाब ईंट से देती है :- गुरु मां विज्ञाश्री माताजी

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श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी , जिला - टोंक (राज.) में भक्तों के द्वारा श्री 1008 शांतिनाथ महामण्डल विधान का आयोजन निरन्तर चल...

तीर्थ के निर्माण करने से मनुष्य जीवन का निर्माण संभव है

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नैनवा संवाददाता महावीर सरावगी द्वारा 26 अगस्त 2023 ग्राम गुन्शी जिला टोंक शनिवार को प्रातः 8:30 पर शांतिनाथ प्रभु की अखंड शांति धारा संपन्न हुई प्रथम...

जैन धर्म के अनुसार रक्षा बँधन क्यों? – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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रक्षाबंधन का त्योहार भारत का मुख्य त्योहार है। जो भाई-बहन के स्नेह को दर्शाता है। जैन धर्म में यह पर्व अत्यंत आस्था और उत्साह...

दांतों का पीसना – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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दाँत पीसना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- क्रोध से अभिभूत होने पर इस प्रकार दाँतो से दाँत दबाना कि मानो खा...

कर्म का प्रतिफल हमें ही भोगना पड़ता है: आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज

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गुवाहाटी : जीवन में धर्म ध्यान युवावस्था में ही संभव है। बुढ़ापे में तो लोग शरीर और रोगों से ग्रसित होते है और जीवन...

कबूतर प्रेम पत्र ही नहीं -खतरनाक रोगों को फैलाने वाले हैं

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आजकल कबूतर के पीछे एक अंधविश्वास हैं की इनको दाना खिलाने से धन और समृद्धि मिलती हैं पर इससे अधिक मननगरों। शहरों में घनी...

रेक्टल प्रोलेप्स का खतरा —-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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रेक्टल प्रोलेप्स यानी कि शरीर कि एक ऐसी स्थिति जब हमारा गुदा यानी कि मलद्वार बाहर आने लगता है। इस बीमारी का नाम सुन...

जनजनका का कल्याणकारी पर्युषण पर्व

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महावीर दीपचंद ठोले औरंगाबाद(महाराष्ट्र) 75 88044495 भारत देश पर्वो का देश है। यहा वर्ष में शायद ही कोई दिन या महीना होगा जिसमें किसी न...

भारतीय जैन मिलन क्षेत्र क्रमांक 10 के भ्रमण कार्यक्रम मेंएक दिन में हटा, बटियागढ़,...

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सागर /-भारतीय जैन मिलन क्षेत्र क्रमांक 10 के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान हटा बटियागढ़, खडे़री, शाहपुर गणेशगंज  नवीन  शाखाओं गठन किया गया । भारतीय जैन...

सुहाग दशमी पर्व का आयोजन *कर्म का प्रतिफल हमें ही भोगना पड़ता है

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गुवाहाटी : जीवन में धर्म ध्यान युवावस्था में ही संभव है। बुढ़ापे में तो लोग शरीर और रोगों से ग्रसित होते है और जीवन...

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