मित्थात्व का सबसे बड़ा कारण परिग्रह ही है ,अतः मन का परिग्रह त्यागना उत्तम आकिंचन्य धर्म है

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धर्म परायण नगरी डिग्गी में शांतिनाथ जिनालय साधना केन्द्र में आचार्य 108 श्री इन्द्रनंदी जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में चल रहे दश लक्षण महापर्व महोत्सव के नौवें रोज उत्तम आकिंचन्य धर्म की हुई पूजा

मित्थात्व का सबसे बड़ा कारण परिग्रह ही है ,अतः मन का परिग्रह त्यागना उत्तम आकिंचन्य धर्म है

आचार्य
इन्द्र नंदी जी महाराज

डिग्गी/फागी संवाददाता

धर्मपरायण नगरी डिग्गी में शांतिनाथ जिनालय साधना केन्द्र में चातुर्मास कालीन वाचना में विराजमान आचार्य श्री इन्द्रनंदी जी महाराज, मुनि श्री उत्कृष्ट सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में पंडित बृजेश कुमार शास्त्री के दिशा- निर्देश में अग्रवाल समाज 84 के तत्वाधान में दशलक्षण महापर्व के नौवें रोज उत्तम आकिंचन्य धर्म की पूजा हुई ,कार्यक्रम में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने शिरकत करते हुए बताया की शांति नाथ जिनालय में प्रातः अभिषेक, शांतिधारा के बाद विभिन्न धार्मिक क्रियाएं हुई, बाद में टीकमचंद जैन शास्त्री दिल्ली ,घासीलाल, विमल कुमार, रमेशचंद, प्रसन्नकुमार अमित कुमार गोयल परिवार पचेवर निवासी ने श्रीजी की महा शांतिधारा करने का सोभाग्य प्राप्त किया,इसी कड़ी में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजा बाबू-चित्रा गोधा, उदित -पूर्णिमा गोधा फागी निवासी ने आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त किया कार्यक्रम में फागी पंचायत के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा ने बताया कि कार्यक्रम में आचार्य 108 श्री इन्द्र नंदी जी महाराज,मु़नि श्री उत्कृष्ट सागर जी महाराज ने गोधा परिवार को मंगलमय आशीर्वाद प्रदान किया तथा सौधर्म इन्द्र श्री गोविन्द जैन – श्रीमती राज जैन की अगुवाई में अग्रवाल समाज 84 के सभी पदाधिकारियों सहित सारे पूज्यार्थियों ने गोधा परिवार का तिलक,साफा, दुपट्टा, माला पहनाकर भव्य स्वागत किया, उक्त समारोह में फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा ने बताया कि कार्यक्रम जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने जैन समाज की 129 साल सबसे पुरानी पत्रिका जैन गजट का नवीन अंक आचार्य श्री के कर कमलों में अवलोकन हेतु सोंपा जिसका आचार्य श्री ने अवलोकन कर मंगलमय आशीर्वाद प्रदान कर विमोचन किया तथा बताया कि उक्त पेपर सारे जैन समाज को घर- घर में मंगाना चाहिए जिससे सभी साधु संतों की,सारे समाज की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त हो सके,*कार्यक्रम में आचार्य इन्द्र नंदी जी महाराज ने आकिंचन्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए अपने मंगलमय उदबोद्बन में श्रावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मन का परिग्रह त्यागना उत्तम आकिंचन्य धर्म है, मिथ्यात्व का सबसे बड़ा कारण परिग्रह ही है, अर्थात जिस व्यक्ति ने अन्दर बाहर 24 प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर दिया है वो ही परम समाधि अर्थात मोक्ष सुख पाने का हकदार हैं ,उतम आकिंचन्य अर्थात आत्मा के सिवा कुछ भी अच्छा नहीं लगना आकिंचन्य धर्म है, आत्मा के अपने गुणों के सिवाय जगत में अपनी अन्य कोई भी वस्तु नहीं है इस दृष्टि को रखना उत्तम आकिंचन्य धर्म है। आचार्य श्री ने बताया कि घरद्वार ,धन ,दौलत,भाईबन्धु यहां तक भी शरीर भी मेरा नहीं है इस प्रकार अनासक्ति भाव उत्पन्न होना उत्तम आकिंचन्य धर्म है, हम भोतिक चीजों के प्रति अपने सुख को ढूंढते हैं परंतु यह सब हमारे दुख का कारण बनते हैं अतः अनावश्यक वस्तुओं का परित्याग कर आवश्यक चीजों के साथ जीवन व्यतीत करना ही आकिंचन्य धर्म है।कार्यक्रम में विधान में धर्मावलम्बीयों द्वारा विनय पाठक,पंचपरमेष्ठी भगवान,मूलनायक शांति नाथ भगवान, देव, शास्त्र, गुरु की पूजन, नव देवता पूजन, सोलह कारण पूजन, दस लक्षण पूजा, सरस्वती पूजा तथा निर्वाण क्षेत्रों की पूजा, सहित अनेक पूजाएं कर सुख समृद्धि की कामना की,कार्यक्रम में मुनि सेवा समिति के मंत्री विमल कुमार जैन एवं फागी पंचायत के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा ने बताया कि दशलक्षण महापर्व 17 सितम्बर तक चलेगें एवं 17 सितम्बर तक दस दिवसीय दशलक्षण व्रत एवं उपवास किए जायेंगे।
18 सितम्बर को षोढशकारण समापन कलश, एवं पडवा ढोक क्षमावाणी पर्व मनाया जायेगा, कार्यक्रम में सौधर्म इंद्र गोविंद जैन -श्रीमती राज जैन के साथ 51इन्द्र इन्द्राणियां पूजा अर्चना कर धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं, तथा विधान पर श्रीफलों द्वारा 16 अर्घ्य अर्पित किए।कार्यक्रम में अग्रवाल समाज 84 के अध्यक्ष अनिल सूराशाही,कोषाध्यक्ष महेंद्र कुमार जैन पराना , फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा, सत्यप्रकाश जैन चित्रकूंट
सांगानेर,अग्रवाल सेवा सदन डिग्गी के संचालक गोविंद जैन एवं प्रकाश जैन डिग्गी, महावीर प्रसाद जैन,मिलाप चंद गोयल पचेवर, प्रेमचंद लोहिया लावा,ज्ञानचंद लोहिया डिग्गी,ओमप्रकाश जैन पचेवर, विमल कुमार जैन पचेवर,सीताराम जैन, प्रमोद गोयल लावा,हरिशंकर गर्ग,बिरधी चंद जैन मालपुरा, भागचंद जैन परवण मालपुरा , कजोड़ जैन सूंथडा उनियारा,पदम जैन पीपलू वाले निवाई, तथा राजाबाबू गोधा फागी सहित सभी पदाधिकारी गण श्रावक श्राविकाएं मोजूद थे।

राजाबाबू गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान

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