आठ वर्षीय बालिका ने लिया अष्ट मुलगुण एवम ब्रह्मचर्य व्रत

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जीवन के किसी भी क्षण में, वैराग्य उमड़ सकता है

श्री सम्मेद शिखर जी (मनोज जैन नायक) वैराग्य कब और किस उम्र में आ जाए, ये कहा नहीं जा सकता । उक्त पंक्ति को चरितार्थ किया है राजस्थान के राजाखेड़ा (धौलपुर) निवासी श्री रामकुमार जैन की 08 वर्षीय बालिका रिद्धि जैन ने ।
परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी महाराज की सुशिष्या चर्या शिरोमणि गणिनी आर्यिका रत्न श्री 105 सौम्य नंदिनी माताजी ससंघ श्री सम्मेद शिखर जी में विराजमान हैं । रिद्धि जैन अपने माता पिता के साथ काफी समय से पूज्य गुरु मां संघ से जुडी हुई हैं और उनका गुरु मां के पास आना जाना निरंतर लगा रहता है । विगत दिवस 23 मई 2024 को बालिका रिद्धि जैन ने 8 वर्ष की आयु पूर्ण की और शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर जी में विराजमान पूज्य गुरु मां के चरणों में माता पिता एवं परिवारजनों की उपस्थिति में श्रीफल भेंट कर आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत के लिए निवेदन किया । गुरु मां ने रिद्धि की आयु और भविष्य की स्थिति परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अष्ट मूलगुण एवं 8 वर्ष तक का ब्रह्मचर्य का नियम दिया । साथ ही अनेक छोटे छोटे नियम दिए और कहा कि
घुटनों के बल चलते चलते पैर खड़े हो जाते हैं
छोटे छोटे नियम इक दिन बहुत बड़े हो जाते हैं
रिद्धि ने गुरु मां से निवेदन किया कि हे चर्या शिरोमणि गुरु मां मुझे आप अपनी शिष्या के रूप में स्वीकार करें एवं मेरा मोक्षमार्ग प्रशस्त करें । गुरु मां ने वात्सल्य पूर्वक रिद्धि जैन को अपना मोक्षमार्ग प्रशस्त करने हेतु आशीर्वाद प्रदान किया । धन्य हैं ऐसी गुरु मां जिनकी चर्या और अनुशासन एवं प्रभावना से छोटी उम्र में भी वैराग्य की ललक जाग उठती है।

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