आचार्य श्री ससंघ को श्रीफल भेंट 5 नवंबर को

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“सुख-दुख का अनुभव होना ही वेदनीय कर्म है : आचार्य प्रमुख सागर”

गुवाहाटी : फैंसी बाजार के भगवान महावीर धर्म स्थल मे चातुर्मास प्रवास के दौरान विराजित आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने शुक्रवार को धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि वेदनीय कारण दो प्रकार के है। एक साता कर्म, दूसरा असाता कर्म जब हमें सुख का अनुभव होता है तो साता कर्म का उदय होता है और जब हमें दुख का अनुभव होता है तो असाता का उदय होता है। जहां दुख ही दुख है वहां नर्क है।जहां दुख ज्यादा सुख कम है वहा तिर्यक है। जहां सुख कम दुख ज्यादा है वहा मनुष्य है। जहां सुख ही सुख है वहा देव है।आचार्य श्री ने अपने उपदेश में कहा कि सुख-दुख,ताप आक्रंदन, परिवेदन, वध आदि से असाता कर्म का आश्रव होता है दुख यानी पीड़ा रूप आत्मा का परिणाम बहुत दुखी हो रहे हैं या किसी ने कुछ कह दिया तो उसको मन में ले लिया और लेकर दुखी हो रहे हैं तो हमें असाता कर्म का आश्रव होता है। हम हमेशा शौक में रहते हैं शोक में रहते रहते किसी भी कार्य में मन नहीं लगाते तो हमारा असाता कर्म का आश्रव होता है यानी बंध हो जाता है।आचार्य श्री ने अपने उपदेश में कहा कि आसत कर्म का आश्रव को रोकना है तो सामान्य जीवन जीओ न ज्यादा दुखी हों न ज्यादा सुखी हो ऐसा विचार कर अपने जीवन का कल्याण करो। श्री सूर्य पहाड़ तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष महावीर जैन (गंगवाल) एवं उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सेठी ने बताया कि रविवार को श्री दिगंबर जैनपंचायत गुवाहाटी के तत्वधाम में आगामी जनवरी 2024 में होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में ससंघ सानिध्य एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सकल पूर्वोत्तर दिगंबर जैन समाज की ओर से सामूहिक रूप से श्रीफल अर्पित का निवेदन किया जाएगा। प्रचार प्रसार सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी ने सभी धर्म बलबियों एवं संस्थाओं से इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया है।।

सुनील कुमार सेठी
प्रचार प्रसार विभाग, श्री दिगंबर जैन पंचायत ,गुवाहाटी (असम)

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