एनसीईआरटी की राष्ट्रीय कार्यशाला में राजेन्द्र महावीर जैन ने किया मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व

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  • परीक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन हेतु अजमेर में हुई कार्यशाला

सनावद । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद एनसीईआरटी भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ‘माध्यमिक स्तर पर आकलन की पद्धतियों में आमूल-चूल परिवर्तन’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान अजमेर राजस्थान में सम्पन्न हुआ। भारत वर्ष से उत्तर भारत के बारह राज्य शिक्षा मण्डल, परीक्षा बोर्ड के 61 प्रदेश प्रतिनिधियों ने भाग लेकर परीक्षा प्रणाली, प्रश्न-पत्र निर्माण पर गहन विचार, चिंतन-मनन, विश्लेषण,संश्लेषण किया।

मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल की ओर से सामाजिक विज्ञान विषय के विशेषज्ञ व मध्यप्रदेश के प्रतिनिधि रूप में राजेन्द्र जैन ‘महावीर’ सम्मिलित हुए। त्रि-दिवसीय कार्यशाला में श्री जैन ने समूह चर्चा, उच्च विचारणीय प्रश्नों व वर्तमान परीक्षा प्रणाली व प्रश्न-पत्रों में उच्च विचार प्रश्नों पत्रों पर समीक्षा प्रस्तुत की। एनसीईआरटी नई दिल्ली के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. सुखविंदर, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान अजमेर के प्राचार्य प्रो एस व्ही शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ आनंद आर्य, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भुवनेश्वर के प्राचार्य डॉ अरविंद अग्रवाल ने उन्हें प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। मध्यप्रदेश की ओर से विज्ञान के आशीष आर्य(अशोक नगर) गणित के डॉ. प्रभाकर द्विवेदी (रीवा), अंग्रेजी की गरिमा बत्रा(छिन्दवाड़ा) हिन्दी के डॉ. नरेन्द्र उरमलिया (जबलपुर) ने सहभागिता की।कार्यशाला में गोवा, गुजरात, हरियाणा हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ के 61 प्रदेश प्रतिनिधियों ने होकर गहन विचार-विमर्श किया।

परीक्षा प्रणाली में होगा आमूल-चूल परिवर्तन -जैन

राष्ट्रीय कार्यशाला से लौटकर सामाजिक विज्ञान विषय विशेषज्ञ राजेन्द्र जैन ने बताया कि वर्तमान शिक्षण प्रणाली विद्यार्थियों को रटन विद्या सिखाती है ,माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थी किसी विषय पर चिंतन, रचनात्मक विचार प्रस्तुत नहीं कर पाते है जो अत्यन्त विचारणीय है, इस हेतु 21 वीं सदी के कौशल पर आधारित शिक्षण व परीक्षा प्रणाली आवश्यक है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इस तरह के प्रावधान किये गए हैं जिससे विद्यार्थी का समग्र विकास हो सके,श्री जैन ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी व सार्थक प्रयास बताया व विभिन्न प्रदेशों की परीक्षा प्रणाली को समझने में उल्लेखनीय प्रयास बताया ।

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