आचार्य श्री विद्यासागरजी को भावपूर्ण विनयांजलि

0
36

नई दिल्लीः जैन बालाश्रम दरियागंज में 20 फरवरी को जैन समाज दिल्ली द्वारा आयोजित एक विशाल सभा में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज को विनयांजलि अर्पित करते हुए आचार्य श्री प्रज्ञसागरजी ने कहा कि वे महान आत्म विजेता, धरती के देवता थे। हर किसी को संयम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे।
आचार्य श्री अनेकांत सागरजी ने कहा कि वे दिव्य और सिद्ध महापुरूष थे। आध्यात्मिकता ही उनके प्राण थे। उन्होने चेतन व अचेतन दोनो तरह के तीर्थों का जीर्णोद्धार कराया। आचार्य डा. लोकेश मुनिजी ने कहा कि वे श्रमण संस्कृति के सूर्य थे जो कभी अस्त नही होता। गौरक्षा हेतु उन्होने प्राणपन से कार्य किया। सरकार को मांस निर्यात बंद करने हेतु कदम उठाने चाहिए। साधु जिए तो लाख का चला जाए तो सवा लाख का होता है।
मुख्य इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि वे सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे। हमने महावीर को तो नही देखा लेकिन उनके रूप में महावीर ही दिखाई देते थे। उनके विचार हमेशा जीवित रहेगें। बौद्ध संत भंते दीपांकर सुमेधो ने कहा कि वे भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे। हमें उनके लक्ष्य नशामुक्त भारत के लिए कार्य करना होगा। सांसद डा. हर्षवर्धन ने कहा कि वे आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत थे। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि वे आत्मप्रिय और जनप्रिय संत थे।
पीठाधीश सुरेंद्र कीर्ति, जैन समाज दिल्ली के अध्यक्ष चक्रेश जैन सहित अनेक संस्थाओं की ओर से प्रख्यात न्यूरोसर्जन डा. डीसी जैन, अनिल जैन-दिगंबर जैन परिषद, शरद कासलीवाल, सत्यभूषण जैन, महेंद्र पांडे, पवन राणा, हर्ष मल्होत्रा, मनोज जैन निगम पार्षद, सुखराज सेठिया, स्वदेश भूषण जैन-पंजाब केसरी, धनपाल सिंह जैन-नैतिक शिक्षा समिति, सिम्मी जैन-पूर्व पार्षद, रमेश जैन एडवोकेट नवभारत टाइम्स, पवन गोधा, डा. जयकुमार जैन उपाध्ये, शरद जैन-सा. म., लाल मंदिर के मैनेजर पुनीत जैन, सुभाष जैन-जज, प्रमोद जैन-लेजर आदि ने भी आचार्य श्री के योगदान को याद करते हुए भावभीनी विनयांजलि अर्पित की।

प्रस्तुतिः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट, नवभारतटाइम्स नई दिल्ली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here