सूर्य अस्त होता है तो वापस उदय भी होता है उसी प्रकार विद्यासागर जी महाराज का भी पुनर्जन्म होगा

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फागी कस्बे के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आर्यिका श्रुतमति माताजी, आर्यिका सुबोध मति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में आज संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर सागर जी महाराज को सकल दिगम्बर जैन फागी ने विनयांजलि अर्पित कर उनकी द्वारा किए गए परोपकारो को याद करते हुए समाज के विभिन्न श्रृदालुओं ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम अखिल भारत वर्षीय जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने आचार्य श्री के प्रति विनयाजंलि देते हुए कहा आचार्य विद्यासागर जी महामुनिराज ने 77 वर्ष की आयु में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में श्रीदिगंबर जैन तीर्थ चंद्रगिरि में स्वास्थ्य की असाध्य प्रतिकूलता के कारण तीन दिन के उपवास ग्रहण करके उत्तम सत्य धर्म के दिन ब्रह्म मुहूर्त में 17 और 18 फरवरी की मध्यरात्रि में 2:35 पर समाधि पूर्वक ब्रह्म लीन हो गए ओर इस नश्वरदेह को त्याग दिया था ।संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विधाधर के रूप में कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा में शरद् पूर्णिमा के दिन हुआ था , आपके पिता श्री मल्लप्पा थे जो बाद में (मुनि मल्लिसागर) बने एवं माता श्रीमंती थी जो बाद में आर्यिका समयमति बनी। आचार्य विद्यासागर जी को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने दीक्षा दी थी। 22 नवंबर 1972 में ज्ञान सागर जी महाराज द्वारा आचार्य पद दिया गया था। आचार्य विद्यासागर जी संस्कृत ,प्राकृत, सहित विभिन्न आधुनिक भाषाओं हिंदी, मराठी और कन्नड़ में पूरी जानकारी रखते थे। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है। वे सभी धर्मों में पूजनीय थे, आपकी प्रेरणा से देश में हजारों गौशालाऐं ,चिकित्सालय, एवं विद्यालय समाज के द्वारा संचालित हो रहे हैं, आपने राष्ट्र के स्वावलंबल हेतु स्वदेशी और स्वरोजगार का देश के युवाओं को मूल मंत्र प्रदान किया था, इंडिया छोड़ो भारत बोलो आपका मुख्य मूल मंत्र था‌ ,आपकी इसी प्रेरणा से देश में हजारों श्रमदान हाथकरघा केंद्र संचालित है। आपका वियोग राष्ट्र की ही नहीं संपूर्ण विश्व की अपूरणीय क्षति है। आप संपूर्ण प्राणी मात्र के शुभचिंतक थे। आपने जैनेत्व को जीवन दान देकर आगे बढ़ाया था, आपने अनेकों दीक्षाएं प्रदान कर सभी दीक्षार्थियों का जीवन सफल किया था। आप 36 गुणों के मूल धारी थे। आचार्य श्री की समाधि होने से संपूर्ण जैन समाज में ही नहीं सम्पूर्ण जैनेतर समाज में भी गहरा आधात पहु़चा है, क्योंकि आचार्य श्री जैन जगत के ही नहीं जन-जन के संत थे। अतः हमें आचार्य श्री के सिद्धान्तों को अपनाते हुए उनकी प्रेरणा से जैन जगत को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है,हमें उनके आदर्शों को जीवन में अपनाकर आचार्य श्री की यादों को पुनर्जीवित करते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर उन सिद्धान्तो को आत्मसात करते हुए हमें अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए, हमें परोपकार का मार्ग अपनाते हुए सभी प्राणी मात्र की रक्षा करनी चाहिए , उनका उपदेश और आदर्श ही जीवन का अवलंबन है। वे हमारी स्मृतियों में आजीवन चिरंजीवी रहे , ऐसे मोक्ष पथ गामी भव्य एवं शुद्ध आत्मा को शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त हो, इसी मंगल भावना के साथ-साथ विनय विनयांजलि अर्पित करता हूं।गोधा ने बताया कि इससे पूर्व कार्यक्रम में सोहनलाल झंडा, केलास कलवाडा,अग्रवाल समाज के अध्यक्ष महावीर झंडा, सरावगी समाज के अध्यक्ष महावीर अजमेरा,फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा , केलास कासलीवाल तथा राजाबाबू गोधा ने आचार्य श्री के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में आर्यिका सुबोध मति माताजी ने आचार्य श्री के प्रति विनयाजंलि देते कहा कि सूर्य अस्त होता है तो वापस उदय भी होता है, उसी प्रकार आचार्य विद्यासागर जी महाराज का भी पुनर्जन्म होगा। कार्यक्रम में सुकुमार झंडा ने कहा कि आचार्य श्री श्रमण संस्कृति के महामहिम संत थे उनकी समाधि से श्रमण संस्कृति का सूर्य अस्त हो गया हम सबको इस संस्कृति को पुनर्जीवित करना होगा, महावीर झंडा एवं महावीर अजमेरा ने बताया कि उनकी समाधि से संपूर्ण राष्ट्र सहित पूरे विश्व में शोक की लहर व्याप्त है वे सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह से ओत प्रोत थे हमें उनके आदर्शों को जीवन में अपनाकर कर जीवन का कल्याण करना है। कार्यक्रम में संतोष बजाज , केलास कड़ीला , त्रिलोक पीपलू, कमलेश चोधरी, ललित मांदी , निखिल जैन लावा मनीष गोधा , तथा रानी नला एवं शोभा झंडा ने भी आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डालकर श्री चरणों में नमन किया। कार्यक्रम में सारे समाज के श्रावक श्राविकाओं ने नम आंखों से आचार्य श्री को विनयांजलि अर्पित करते हुए उनको नमन करने के बाद णमोकार महामंत्र के जाप्य कर विनयांजलि समारोह का विसर्जन कर आर्यिका संघ से मंगलमय आशीर्वाद प्राप्त किया।

राजाबाबु गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान

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