संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि हुई। सूचना केंद्र पर विनयांजलि सभा आयोजित हुई।

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भीलवाड़ा, 19 फरवरी-  सूचना केंद्र प्रांगण में संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महाराज का सल्लेखना पूर्वक उत्कृष्ट समाधि हुई, मुनि श्री शुभम सागर जी महाराज एवं मुनिश्री सक्षम सागर जी महाराज के सानिध्य में सकल दिगंबर जैन समाज भीलवाड़ा द्वारा विनयाऺजलि सभा आयोजित की गई। हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, युवाओं ने भाग लिया। प्रारंभ में सभी मंदिरों के पदाधिकारीयों ने दीपप्रज्जवलन कर श्रीमती शालू जैन ने आचार्यश्री के जीवन पर आधारित सुंदर काव्य पाठ किया।
 इस अवसर पर मुनिश्री शुभम सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहां की आचार्यश्री ने अपरिग्रह को अपने जीवन में चरितार्थ कर कठिन साधना द्वारा मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते गए। उन्होंने कहा कि यही सत्य का मार्ग है। भगवान महावीर हमारे सामने नहीं है, लेकिन आचार्यश्री साक्षात भगवान का रूप नजर आते है। आचार्यश्री ने आकिंचन धर्म को अपने जीवन में अंगीकार किया। संसार के ममत्व भाव से कभी विचलित नहीं हुए। उन्हें आत्मा का बोध हो गया। दीक्षा के वक्त ही आत्मतत्व का भान हो गया था। उन्होंने महाव्रतो की पालना करते
उत्कृष्ट सल्लेखनापूर्वक समाधि हुई।
इस दौरान मुनिश्री सक्षम सागर महाराज ने कहा कि आचार्यश्री की कठिन तपस्या, मुलाचार धर्म की पालना करते आत्मा ही परमात्मा मार्ग पर चले। हम सबको उनके बताए मार्ग अनुसरण करना चाहिए। इस अवसर पर नरेश गोधा ,सुशील शाह, सुभाष हूमड ,श्रीमती पूनम कोठारी, सुरेंद्रछाबड़ा, प्रेमचंद सेठी, चंद्रसिह जैन अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद, पं.पदमचंदकाला राजकुमारअजमेरा आदि ने अपने संस्करण द्वारा आचार्यश्री के जीवन यात्रा के बारे में अपने उदगार प्रकट किये।
दिगंबर जैन समाज ट्रस्ट के अध्यक्ष सोहनलाल गंगवाल ने सभी के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। पदमचंद काला ने सभा का संचालन किया। शहर की सभी कॉलोनी से बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित होकर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की सल्लेखनापूर्वक समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर साक्षी बने।
प्रकाशनार्थ हेतु।          प्रकाश पाटनी
                    प्रचार- प्रसार संयोजक
                       भीलवाड़ा।

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