मोक्षमार्ग जटिल हो सकता है पर कुटिल नहीं, आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की साधना से जगत आलोकित। समय सागर महाराज

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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने अपनी अर्धशती से अधिक काल की साधना से जगत को आलेकित किया है हम युगों युगों तक उस प्रकाश से प्रकाशित रहेगें।गुरू की महानता का गुणगान करते हुये भावी आचार्य व वर्तमान में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ज्येष्ठ निर्यापक श्रमण श्री समय सागर महाराज ने कुण्डलपुर में प्रवेश के उपरांत उपस्थित समुदाय को बताया कि हम पर उन्होंने असीम उपकार किया है किंतु गुरुदेव स्वयं को निमित्त मात्र मानते थे।
        निर्यापक मुनि श्री समय सागर जी महाराज ने कहा कि गुरुदेव ने हमें बताया कि बाह्य साधना अपनी जगह है किंतु अंतरंग साधना बहुत महत्वपूर्ण है। एक दृष्टांत के माध्यम से समझाया कि भगवान के समवशरण में एक चक्रवर्ती के साथ एक आठ वर्ष का बालक भी विद्यमान है। दिव्य ध्वनि सुनने के पश्चात चक्रवर्ती को अपने महल में जाने की याद आती है जबकि आठ वर्षीय बालक के अंतरंग में भगवान की दिव्य ध्वनि समा जाती है। समवशरण से बाहर आकर वह एक अन्तरमुहुर्त में मुक्ति पा लेता है।
     आपने बताया कि गुरु महाराज बताते थे कि मोक्ष मार्ग जटिल हो सकता है पर कुटिल नहीं।असंख्य भव्य आत्माओं ने उत्कृष्ठ साधना कर मोक्ष प्राप्त किया।सबसे उत्कृष्ट साधक तीर्थंकर भगवंत हैं। आदिनाथ भगवान को एक हजार वर्ष लग गये थे केवल ज्ञान पाने में,साधना की श्रेष्ठता पर उपलब्धि का काल निर्भर होता है। साधना की श्रेष्ठता और पूर्णता पर लक्ष्य प्राप्ति होती है।
       आपने कहा कि जिसके मन में गुरु और प्रभु विराजमान हों उसे कोई समस्या नहीं होती,स्वमेव समाधान हो जाता है। निर्यापक ज्येष्ठ मुनि श्री समय सागर महाराज ने बताया कि दो वाणी होती हैं जिनेन्द्र वाणी और गुरुवाणी, जिनेन्द्र भगवान की गंभीर वाणी की समझ हमें गुरुवाणी से मिलती हैं। चालीस पैंतालीस वर्ष हमने आचार्य महाराज के चरणों में बैठकर उनकी वाणी सुनने और समझने का अवसर मिला।अब हमें वो वाणी उनके आदेश निर्देश प्रत्यक्ष उपलब्ध नहीं हैं किंतु परोक्षतः हम उन्हीं के आदेश निर्देश का पालन कर रहे हैं।आपने बताया कि प्रत्यक्ष आराधना से अधिक महत्वपूर्ण परोक्ष आराधना होती है। कुण्डलपुर से भव्य आत्मा ने सिद्धत्व की प्राप्ति की है,इसके पूर्व हम कुण्डलपुर में बड़े बाबा और आचार्य महाराज के चरणसानिध्य में साधना करते थे। हमें आज भी बड़े बाबा और छोटे बाबा देख रहे हैं। संसार में परिवर्तन होता रहता है।
         ज्येष्ठ निर्यापक श्रमण संघ के भावी आचार्य श्री समय सागर महाराज जी ससंघ कुण्डलपुर आगमन पर देश भर के लाखों श्रद्धालुओं ने भक्तिपूर्वक अगवानी की। मंच पर पंहुचते ही संपूर्ण मुनिसंघ ने समयसागर जी महाराज को नमोस्तु कर तीन प्रदक्षिणा की।
*वेदचन्द जैन*
*गौरेला(छ.ग.)*

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