महिलाओं में डिप्रेशन ——डॉक्टर अरविन्द जैन भोपाल

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हमारे शरीर में रोग के दो अधिष्ठान हैं मन और शरीर ,जब शरीर रुग्ण होता हैं तो उसका प्रभाव मन पर भी पड़ता हैं और जब मन दुखी होता हैं तो उसका प्रभाव शरीर पर भी पड़ता हैं .दोनों एक दूसरे के पूरक हैं .तेषां कायमनोभेदादधिष्ठानमपि द्विधा ..
इन्द्रियाभिग्रहः कर्म मनसः स्वस्थ्य निग्रहः अर्थात शरीर और इन्द्रियों से भिन्न रहकर भी उनकी सम्पूर्ण क्रियायों का नियंत्रणकर्ता एवं आत्मा का करण द्रव्य विशेष ही मन हैं .यह अपनी क्रियाओं का भी ही स्वयं नियंत्रण करता हैं .मनो रोग का पकड़ना बहुत कठिन होता हैं .जब लक्षण अपनी सीमा से बाहर होने लगते हैं तब वे दिखाई देते हैं .
डिप्रेशन कब एक भयंकर रूप लेती है, इसका अंदाजा एक व्यक्ति को नहीं रहता। ऐसा देखा गया है कि डिप्रेशन के लक्षण से भी लोग अंजान रहते हैं जिसकी वजह से उन्हें कई गंभीर समस्याओं को का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि कई तरह के शोध में पाया है कि महिलाओं में डिप्रेशन अन्य लोगों की अपेक्षा अलग रहे हैं। ऐसे में महिलाओं में इन लक्षणों को सही समय पर जानना बहुत ही जरूरी है जिससे डिप्रेशन से छुटकारा आसानी मिल सके।
डिप्रेशन की स्थिति‌ में कई बार हर बात से रुचि खत्म होने लगता है। महिलाओं में डिप्रेशन का एक लक्षण यह है कि पहले जिस काम में वह रुचि लेती थी बाद में उसी काम में वह रुचि या आनंद नहीं दिखा रही हैं। कई बार अवसाद की वजह से वे किसी भी बात पर ध्यान नहीं केंद्रित कर पातीं और बात-बात पर अपना आपा खोने लगती हैं। ऐसा देखा गया है कि जो कि महिला अवसाद से पीड़ित है वह अपने शौक, दोस्तों और काम में रुचि नहीं दिखा पाती।
डिप्रेशन दिन-प्रतिदिन कार्य करने की आपकी क्षमता में हस्तक्षेप करना शुरू कर देता है। अवसाद के सबसे आम लक्षणों में से एक यह है कि आप कितना खाना खाते हैं। कई बार डिप्रेशन की स्थिति‌ में महिलाओं की डाइट प्रभावित होती है। वह अपनी भूख को नियमित रूप से खो देती हैं। भूख न लगना डिप्रेशन या अवसाद का एक शुरुआती लक्षण हो सकता है या निराशा पुनरावृत्ति की चेतावनी हो सकती है। दूसरी तरफ, यह भी देखा गया है कि जब महिला डिप्रेशन की शिकार होती हैं तब ज्यादा खाने लगती हैं।
कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में मूड स्विंग हो सकती हैं। य़े अक्सर मूड विकारों के रूप में संदर्भित होते हैं। डिप्रेशन या अवसाद में महिलाओं के साथ अक्सर मूड स्विंग की समस्या होती है यानी बहुत जल्दी-जल्दी उनका मूड बदल जाता है। इसमें न केवल मनोदशा में नाटकीय बदलाव होता है बल्कि समग्र दृष्टिकोण, व्यवहार और ऊर्जा स्तर में भी बदलाव देखने को मिलता है। कई बार महिलाओं में मूड में इस कदर बदलता है कि उन्हें घबराहट के दौरे तक पड़ने शुरू हो जाते हैं।
अवसाद का हमारी नींद से बहुत गहरा संबंध है। डिप्रेशन के कारण नींद की समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों के लिए, डिप्रेशन के लक्षण सोने की समस्याओं की शुरुआत से पहले होते हैं। महिलाओं में डिप्रेशन के दो तरह से प्रभाव पड़ते हैं, या तो उन्हें नींद नहीं आती या फिर नींद बहुत अधिक आती है।
हर समय थकान लगना भी अवसाद का एक गंभीर लक्षण हो सकता है। डिप्रेशन और क्रोनिक थकान सिंड्रोम दो शर्तों हैं जो किसी को बहुत ही थका हुआ महसूस करा सकती है, यहां तक कि अच्छी रात के आराम के बाद भी। कमजोरी या थका हुआ महसूस करना भी महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण को दर्शाते हैं।
डिप्रेशन में महिलाओं के चेहरे पर उदासी तो रहती है साथ बिना कारण वह रोने भी लगती है। फिर कुछ समय बाद वह खुद को रोक लेती हैं। इसके अलावा खुद को किसी चीज के लिए दोषी भी महसूस करती हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि वह कुछ भी नहीं हैं या अपर्याप्त हैं।
डिप्रेशन का सामना कर रही महिलाओं का आत्मविश्वास बहुत कम हो जाता है और वे अक्सर अपनी ही आलोचना करती हैं। इसके अलावा भविष्य के लिए आशा की भावनाओं को खोना भी डिप्रेशन के एक लक्षण में से एक है। बीते समय में जो हुआ अक्सर उन बातों को याद करके खुद को कोसती हैं तथा तनाव या चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
अधिकतर युवा अवस्था में जब उनका मासिक धरम शुरू होता हैं ,शादी के बाद कभी कभी उनकी यौन इच्छा की पूर्ती नहीं होती या पति की नौकरी के कारण बाहर रहने पर हैं या विदेश जाने के कारण ,या लम्बे समय तक दूर रहने पर .कभी कभी एक साथ होने पर मन न मिलने के कारण अधिकतर तनावजन्य स्थिति निर्मित होने पर और मासिक धरम की निवृत्ति के समय यह रोग अधिकता से पाया जाता हैं .अधिकांश स्त्रियां अपने पति या प्रेमी का रुझान /लगाव /प्रेम कम प्रदर्शित होने पर इसका अहसास होता हैं .मिलिट्री सेना में भर्ती या उन नौकरी वालों को जिनकी सेवाएं तीन तीन या छह छह माह बाहर रहने वालों को बहुत होती हैं .उसका मुख्य कारण एकाकी जीवन और शारीरिक सुख की कमी होने से ,उसकी चाहत के कारण होती हैं .
शारीरिक सुख की पूर्ती पति के अलावा नहीं होने से उन स्त्रियों को अपनी जीवन चर्या कुछ रचनात्मक कार्यों में या सामाजिक कार्यों में लगाना चाहिए. कभी अकेले में न रहकर आपसी व्यवहार से अपने को व्यस्त रखना चाहिए .
मानसिक अवसाद की स्थिति में पौष्टिक रसायनों का उपयोग करना चाहिए .खाने पीने में संतुलित आहार ले .निद्रा पर पूरा ध्यान दे .
दिमाग पौष्टिक रसायन ,दिमाग दोषहर वती .शंखपुष्पी सिरप मेन्टेट टेबलेट ले सकते हैं .
डॉक्टर अरविन्द जैन सस्थापक शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753

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