जिला उपायुक्त गिरिडीह से आवश्यक बैठक संपन्न

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औरंगाबाद नरेंद्र /पियूष जैन – साधना महोदधी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज के आशीर्वाद से महासाधना महापारणा महाप्रतिष्ठा महोत्सव की व्यापक रूप से प्रशासनिक व्यवस्थाओ हेतु जिला कलेक्टर गिरिडीह एवं सम्बंधित अधिकारियो के साथ महोत्सव समिति की गिरिडीह जिला उपायुक्त(कलेक्टर) कार्यालय मैं मीटिंग सम्पन्न हुई, जिसमें ऋषभ कुमार जी जैन , अशोक जी दोशी मुम्बई , डी.के जैन अहमदाबाद , डॉ संजय जैन एवं आकाश जैन उपस्थित थे l जिला कलेक्टर ने सम्पूर्ण प्रशासनिक स्तर पर सभी समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश प्रदान किये एवं महोत्सव को सभी प्रशासनिक सुविधाएं प्रदान करने का आश्वासन दिया। *जो अपनी जुबां से कार्य, कौशल और मेहनत का जिक्र नहीं करते..

उनका जिक्र एक दिन सबकी जुबां से होता है..!

आचार्य प्रसन्न सागर जी* परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के स्वर्णभद्र कूट में विराजमान है अपनी मौन साधना में रत होकर अपनी मौन वाणी से सभी भक्तों को प्रतिदिन एक संदेश में बताया बिना साहस, संघर्ष और सब्र के कुछ भी हासिल नहीं होता। घर से बाहर की दुनिया में जाने और जीने के लिये, हमारी कार्यशैली ऐसी हो गई है जैसे – रेत से तेल निकालना और अंगार पर चलना। किसी भी क्षेत्र की सफलता के लिये जुनून कम, जलन और द्वेष ज्यादा बढ़ गया है। हमारी मेहनत सफलता के लिये कम पड़ोसी को जलाने और दिखाने के लिये ज्यादा हो रही है।

आज हमारा रहन सहन, खान-पान, स्वयं की सुख सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि दिखाने और जताने के लिये ज्यादा हो गयी है। आज सुख, सुविधा और सफलता की जलन, आप अपनों को ऐसी हो गई है, जो जल से नहीं आत्म सन्तोष से ही बुझेगी।

आप देखना- आने वाले 3-5 सालों में 80 प्रतिशत व्यापार आदमी घर से ही करेगा। फिर देखना आप घर परिवार की बची हुई सुख शान्ति भी खत्म हो जायेगी। वैसे भी कोरोना के समय से घर परिवार का प्रेम, संवेदना, आपसी बोलचाल में जमीन आसमान सा अन्तर आ गया है। इसलिए आप जिस क्षेत्र में हो उस क्षेत्र की मौलिकतायें अपने भीतर बनाये रखें। क्योंकि आज राज नेताओं के भाषण में हिमालय की ऊंची ऊंची बातें तो है पर नींव खोखली है। साधु सन्तों के प्रवचनों में बातूनी भाषाओं का बोल बाला चल रहा है जो दूसरों के सुधार में अपेक्षित है बनिस्बत स्वयं के सुधार के। इसलिए — संघर्ष के माहौल में, सफलता प्राप्त करने के लिये स्वयं पर भरोसा रखें और लक्ष्य की दिशा की ओर सतत् गतिमान रहें…!!!

-नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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