भिंड/ गाणाचार्य विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसन्त सागर जी महाराज मुनि श्री विश्वसाम्य सागर जी महाराज के ससंग सानिध्य में अटेर क्षेत्र के ग्राम दुल्हागन में श्री 1008 सुपार्सनाथ दिगंबर जैन मंदिर जो की 750 वर्ष पुराना प्राचीन जैन मंदिर है उस मंदिर में 19 मार्च से 20 मार्च 2024 तक विधान एवं शिखर पर कलशारोहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिस पर 20 मार्च दिन बुधवार को दोपहर 1 बजे शिखर पर कलशारोहण स्थापित करने का सौभाग्य अशोक जैन ऋषभ जैन दिल्ली ने प्राप्त किया एवं प्रतिष्ठाचार्य संदीप शास्त्री ने मुनिराज के ससंग सानिध्य में विधि विधान से शिखर पर कलसा रोहन कराया।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसन्त सागर जी महाराज ने धर्म सभा में कहा कि प्राचीन मंदिरों का जीणोद्धार एवं शिखर पर कलशारोहण कराने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं क्योंकि जो व्यक्ति शिखर पर कलसारोहण करता है या करता है वह भी पुण्य का आश्रम करता है क्योंकि जो व्यक्ति भगवान के दर्शन करने नहीं पहुंच पाता है वह मंदिर के शिखर पर चढ़े कलश को देखकर उतना ही पूर्ण प्राप्त करता है जितना भगवान के दर्शन करना। मुनिराज ने आगे कहा कि शिखर अशोक वृक्ष का प्रतीक होता है जिसमें तीर्थंकर जिस वृक्ष के नीचे दीक्षा लेते हैं वही अशोक वृक्ष के नाम से प्रचलित होता है शिखर बनाने से प्रसिद्ध भी मिलती है शिखर पर कलश सात चक्र में चढ़ाया जाता है जितनी बड़ी मूर्ति होगी उससे 12 गुना बड़ा होता है कलश मेरे गुरु गणाचार्य विराग सागर जी महाराज के आशीर्वाद से लगभग 550 से अधिक शिखर पर कलश चढ़बा दिए हैं जिसमें 63 मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं 13 शिखर तो इटावा शहर में एक साथ बनवाये एवं 32 शिखर छोटे बड़े मिलाकर बरासो जी में बने हैं।
कार्यक्रम के शुभारंभ में गणाचार्य विराग सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रजनन राजेंद्र जैन मुकेश बडेरी चक्रेश जैन पार्षद मनोज जैन अशोक महामाया नरेश जैन आदि ने किया।
विहसन्त सागर महाराज का दुलाहगन से भिंड की ओर हुआ बिहार
पार्षद मनोज जैन ने बताया कि मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसन्त सागर महाराज का दुल्हागन जैन मंदिर से बुधवार की शाम को भिंड के लिए बिहार हुआ जिसमें वह 21 मार्च को भिंड नगर के पवैया जैन मंदिर में मंगल प्रवेश करेंगे जहां पर एक दिन के प्रवास के बाद 22 मार्च को अतिशय क्षेत्र बरासो जैन मंदिर के लिए बिहार करेंगे वहां पर होली के पावन अवसर पर सहस्त्रनाम विधान एवं भगवान का महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें भिंड ही नहीं अनेकों स्थानों से श्रद्धालु गण कार्यक्रम में उपस्थित होंगे
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