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1 दिसंबर 1895 से प्रकाशित जैन समाज का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला साप्ताहिक

Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha

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गतिविधियां

दिगंबर जैन अग्रवाल बड़ा जैन मंदिर

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नैनंवा जिला बूंदी 24 सितंबर रविवार जैन पाठशाला से छोटे-छोटे बच्चे भगवान महावीर के अनुयाई बने नैनवा का सबसे बड़ा जैन मंदिर जो अग्रवाल जैन मंदिर...

दिगंबर जैन संत से अजेन भक्त ने पूछा मुनि जी आप कपड़े...

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वर्षा योग कर रहे जैन मुनि विश्रांत सागर महाराज मध्य प्रदेश के गांव बड़ा गांव में अपार धर्म सभा को संबोधित करते हुए भजेन भक्त...

मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने चातुमार्स के लिये विराजमान आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर...

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मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार में बड़ौत में चातुमार्स के लिये विराजमान आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर महाराज बसे आशीर्वाद लिया दरअसल प्रदेश के...

सत्य के बिना व्यक्ति अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता

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फागी कस्बे सहित परिक्षेत्र के चकवाड़ा, चौरु, नारेड़ा, मंडावरी,मेहंदवास, निमेडा एवं लदाना सहित सभी जिनालयों में जैन धर्म के नौ वें तीर्थंकर पुष्पदंत भगवान...

आर के पुरम जैन मंदिर में दस लक्षण विधान में बह रही है भक्ति...

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जंगल वाले बाबा मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा से निर्मित आर. के. पुरम स्थित मुनिसुव्रत नाथ दिगंबर जैन त्रिकाल चौबीसी...

गंध दशमी पर्व : चारों ओर बिखरी धूप की खुशबू

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दिगंबर जैन मंदिरों में आज चारों ओर धूप की भीनी-भीनी और सुगंधित खुशबू बिखरी । सभी समाजवासीयों ने आज के दिन सुगंध दशमी (धूप...

दस लक्षण महापर्व का छठा दिन – *मन को वश में करना सामान्य...

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गुवाहाटी: फैंसी बाजार के भगवान महावीर धर्म स्थल में पर्युषण पर्व का आज (रविवार) छठा दिन था।आज के दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना...

जैन समाज द्वाराआज धूपदशमी पर्व बडी धूमधाम से मनाया गया

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अजमेर 24सितम्बर 2023 दश लक्षण पावन पर्व पर्यूषण की दस दिवसीय श्रृंखला के तहत आज छठवें दिवस उत्तम संयम धर्म के दिन आज पूरे...

जीवन का सत्य उपासना नहीं, साधना है।आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी

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औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय...

उत्तम त्यागधर्म — विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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आत्मशुद्धि के उद्देश्य से विकार भाव छोड़ना तथा स्व-पर उपकार की दृष्टि से धन आदि का दान करना त्यागधर्म है। अतः भोग में लाई...

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