बिखरती मानवीय संवदेनाओं को जोड़ती है होली

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– डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
त्योहार भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा हैं, यहाँ कई तरह के रंग-बिरंगे व विविधतापूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश के प्रमुख त्योहारों में से होली एक है जो कि जीवन के उत्साह, उल्लास और उमंग को बनाए रखने का काम करता है। होली आ गई है।
भाई-चारे का संदेश वाहक : होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे  हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक : यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है।
यह त्यौहार बुराई की सत्ता पर अच्छाई की विजय का भी संकेत है। यह ऐसा त्यौहार है जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं, हँसते हैं, समस्याओं को भूल जाते हैं और एक दूसरे को माफ करके रिश्तों का पुनरुत्थान करते हैं। यह बहुत सारी मस्ती और उल्लास की गतिविधियों का त्यौहार है जो लोगों को एक ही स्थान पर बाँधता है। हर किसी के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान होती है और अपनी खुशी को दिखाने के लिए वे नए कपड़े पहनते हैं।
यह भारतीय समाज में लोकजनों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का आईना है। परिवार को समाज से जोड़ने के लिए होली जैसे पर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
होली के दिन सभी लोगो को अपनी बुराइयों को जला कर नष्ट कर देना चाहिए। यह आनन्द , मस्ती , उत्साह , उमंग का त्यौहार है। मंजीरा, ढोलक, मृदंग की ध्वनि से गूंजता रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महिना जैसे होली के उत्तेजना को बढ़ा देता है।
मजबूत सांस्कृतिक धारणा : ये त्यौहार हमें भेद भाव और नफरत जैसी बुराईयों से दूर रहने की सलाह देती है। ये त्यौहार मिलन और दोस्ती की माहौल बना कर हर किसी के दिल में खुशियाँ भर देती है।
होली महोत्सव मनाने के पीछे लोगों की एक मजबूत सांस्कृतिक धारणा है। इस त्योहार का जश्न मनाने के पीछे विविध गाथाऍ लोगों का बुराई पर सच्चाई की शक्ति की जीत पर पूर्ण विश्वास है।असल में होली बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है। इसी से जिंदगी जीने का नया अंदाज मिलता है, औरों के दुख-दर्द को बांटा जाता है, बिखरती मानवीय संवदेनाओं को जोड़ा जाता है।
सतरंगी समरसता का संदेश :
होली का त्यौहार हमारे भीतर के अहंकार और अन्य बुराइयों को अग्नि में विसर्जित कर देने का प्रतीक है। अहंकार जाने के बाद ही हमारे भीतर प्रेम का उदय होता है और समाज में सतरंगी समरसता आती है व एकता मजबूत होती है।
इस त्योहार से सामाजिक समरसता की भावना प्रसारित होती है। इससे राष्ट्रीय एकता को भी बल मिलता है।
होली के इस त्योहार का दूसरा पहलू भी उत्सव से भरपूर है।
होली के विविध नाम :
होली को कई राज्यो में अलग अलग नामो से जाना जाता हैं। जैसे पश्चिम बंगाल में इसे वसन्तोत्सव कहते है। पंजाब में इसे होला मोहल्ला कहा जाता हैं।रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं के अनुसार होली उत्तर प्रदेश में ‘लट्ठमार होली’ के रूप में, असम में ‘फगवाह’ या ‘देओल’, बंगाल में ‘ढोलपूर्णिमा’ और नेपाल आदि में ‘फागु’ नामों से लोकप्रिय है। ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
बुराइयों से दूर रहें :
इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए।  पहले होली के मोहक रंगों की फुहार से जहां प्यार, स्नेह और अपनत्व बिखरता था, आज वहीं खतरनाक केमिकल, गुलाल और नकली रंगों से अनेक बीमारियां बढ़ रही हैं और मनों की दूरियां भी।
यह  त्यौहार मिलजुल कर मनाना चाहिए।
यह भी देखा जाता है कि लोग होली के रंग में रंगकर शत्रुता त्याग देते हैं और वर्षो पुराने दुश्मन दोस्त बन जाते हैं।  होली का आनंद मन को प्रेम के रंग में डुबो देता है और मित्रता की इच्छा को जाग्रत कर देता है। वस्तुत: होली मित्रता और एकता का पर्व है। इस दिन द्वेषभाव भूलकर सबसे प्रेम से मिलना चाहिए। तभी इस त्योहार को मनाना सार्थक सिद्ध होगा। होली के आनंद को सब में बांटना चाहिए।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार :
होली यह संदेश लेकर आती है कि जीवन में आनंद, प्रेम, संतोष एवं दिव्यता होनी चाहिए। जब मनुष्य इन सबका अनुभव करता है, तो उसके अंतःकरण में उत्सव का भाव पैदा होता है, जिससे जीवन स्वाभाविक रूप से रंगमय हो जाता हैं।
यह संसार रंगभरा है। प्रकृति की तरह ही रंगों का प्रभाव हमारी भावनाओं और संवेदनाओं पर पडता है। जैसे क्रोध का लाल, ईर्ष्या का हरा, आनंद और जीवंतता का पीला, प्रेम का गुलाबी, विस्तार के लिए नीला, शांति के लिए सफेद, त्याग के लिए केसरिया और ज्ञान के लिए जामुनी। प्रत्येक मनुष्य रंगों का एक फव्वारा है। रंगों का पर्व यह भी सिखाता है कि काम, क्रोध, मद, मोह एवं लोभ रुपी दोषों को त्यागकर ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए।
सौहार्दपूर्ण ढंग से होली खेलने से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, वहीं सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
होली खेलने से पहले रखें इन बातों का ध्यान :
होली के रंगों और पानी को ज्यादा देर तक अपने शरीर पर न रहने दें। होली खेलने के लिए बाजार से केमिकल्स युक्त कलर खरीदने से बचें। छोटे बच्चों को पानी वाली होली खोलने से दूर रखें। ज़ुखाम या हल्के बुखार के लक्षण होने पर होली खेलने से बचना चाहिए। होली खेलने के लिए भीड़ वाली जगहों पर न जाएं।
होली पर बाहर की मिठाइयों के बजाए घर में बनी मिठाई खाएं।

होली के इस शुभ अवसर पर,
खुद से ये वादा तुम कर लो।
करके उदासी दूर किसी को,
खुशियों के तुम रंग भर दो।।

-डॉ. सुनील जैन ‘संचय’
ललितपुर-284403 (उत्तर प्रदेश)
9793821108
Suneelsanchay@gmail.com

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