अहंकार नरक का द्वार : आचार्य प्रमुख सागर महाराज

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बंगाईगांव: श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बंगाईगांव में ससंघ विराजित असम के राज्यकिय अतिथि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ने मंगलवार को सिद्घचक्र महामंडल विधान के तीसरे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि अहंकार झुकने नहीं देता है। वह नरक का द्वार है और विनयवाण हमेशा झुक कर काम करता है। अहंकारी खजूर के वृक्ष की तरह होता है आंधी तूफान आते ही टूट जाता है और विनयवाण घास की तरह होता है आंधी तूफान भी उसे उखाड़ नहीं पाती है।आचार्य श्री ने कहा कि बंगाईगांव कि जैन समाज बहुत भाग्यशाली है जिनको चतुर्विध संघ के सान्निध्य में सिद्धों की आराधना करने के लिए श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान करने का अवसर प्राप्त हुआ है।उन्होंने कहा कि सिद्धचक्र महामण्डल विधान के तहत इन्द्र बनकर सिद्धों की आराधना करने से पूजा का फल दुगना हो जाता है जो अनन्तान्त कर्मों के क्षय का कारण बनता है। इस अवसर पर ससंघ के निर्देशन में श्रीजी की शांतिधारा, अभिषेक के साथ इंद्र- इंद्राणियों सहित विधान के मुख्य पात्रों द्वारा संगीत- लहरियों के साथ पूजा अर्चना कर विधान के 32 अघ्य चढ़ाएगा गए। यह जानकारी सुनील कुमार सेठी एवं मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज रारा(मिंटु) द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।।

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