वृद्धावस्था में सेहत को ऐसे प्रभावित करता है वायु प्रदूषण

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हमारा जीवन पंचमहाभूतात्मक हैं –पृथ्वी ,जल ,वायु ,अग्नि ,आकाश जो वर्तमान में सब प्रदूषित हैं। पृथ्वी पर अंधाधुंध निर्माण ,जल की कमी और उनके स्त्रोत दूषित ,पेट्रोलियम ,बिजली कोयला आदि का दुरुपयोग ,वायु तो बहुत अधिक प्रदूषित होने के कारण जीना मुश्किल हो रहा हैं और आकाश में वायुयान ,सेटेलाइट ,वाहनआदि का उपयोग से प्रदूषित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में दीवाली में पटाखों का फोड़ना भी प्रदुषण में योगदान जैसा हैं।
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण बुजुर्गों में सांस लेने में तकलीफ सहित कई समस्याएं बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण भारत में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
भारत सहित पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। भोजन और पानी की तरह, ताजी हवा हर व्यक्ति की एक मूलभूत जरूरत है। स्वस्थ हवा में सांस न ले पाने के कारण वायु प्रदूषण भारत में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है।
हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह कारखानों, बिजली संयंत्रों, जलते कोयले, लकड़ी और वाहनों से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषकों से दूषित होती है। दरअसल, इनडोर एयर ,आउटडोर की अपेक्षा 5 गुना अधिक प्रदूषित है। हवा की खराब गुणवत्ता सभी के लिए हानिकारक है, लेकिनवायु प्रदूषण के कारण बुजुर्गों को कई तरह की गंभीर बीमारियां हो रही हैं।
बुजुर्गों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव: बढ़ती उम्र के कारण बुजुर्गों के शरीर के कई अंग काफी धीमी गति से कार्य करते हैं। इसके कारण उनका फेफड़ा ताजी हवा को फिल्टर नहीं कर पाता है। यही कारण है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से बुजुर्गों को सांस से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती है। बुजुर्गों पर वायु प्रदूषण के अन्य प्रभाव के बारे में नीचे बताया गया है।
सांस लेने में तकलीफ: वयस्कों की अपेक्षा बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। इसके कारण उन्हें बीमारियां तेजी से पकड़ती हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को हवा में मौजूद हानिकारक प्रदूषकों से निपटने में कठिनाई होती है। इसके कारण बुजुर्गों को गंभीर अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो जाती है।
आंखों में परेशानी: बुजुर्गों को आंखों से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण आंखों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। हवा में मौजूद धूल के कण से बुजुर्गों के आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है जिसके उन्हें देखने में परेशानी होती है। वायु प्रदूषण के कारण आंखों में खुजली, गले में खराश और त्वचा पर चकत्ते बुजुर्गों में होने वाली एक आम समस्या है।
हृदय पर प्रभाव: वायु प्रदूषण बुजुर्गों के हृदय पर भी असर डालता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बुजुर्गों के हृदय की क्रिया धीमी होने लगती है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्त का प्रवाह धीमा पड़ जाता है जिससे बुजुर्गों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
बुजुर्गों को वायु प्रदूषण से कैसे बचाएं
-आउटडोर एयर की अपेक्षा इनडोर एयर 5 से 10गुनी अधिक प्रदूषित होती है। बुजुर्गों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए घर में एयर प्यूरिफायर लगवाएं। यह हानिकारक प्रदूषकों को फिल्टर करता है जिससे घर की वायु शुद्ध होती है।
-घर के अंदर धूम्रपान न करें। इससे बुजुर्गों के फेफड़ों पर खराब असर पड़ता है और उन्हें सांस से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।
-वायु को शुद्ध करने के लिए घर और आसपास एलोवेरा, गार्डन में , स्पाइडर प्लांट, पीस लिली जैसे पौधे लगाएं। इससे बुजुर्गों को ताजी हवा मिलेगी।
चूंकि वायु प्रदूषण का प्रभाव बुजुर्गों पर सबसे अधिक पड़ता है इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के सभी उपाय करने चाहिए। साथ ही उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
: अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर में हर साल पलूशन को लेकर बहुत शोर मचने लगता है। इस दौरान बढ़े हुए पलूशन की एक वजह लोग दिवाली और क्रिसमस के दौरान चलाए जानेवाले पटाखों को भी बताते हैं। हालांकि सिर्फ किसी एक कारण से पलूशन इतना अधिक नहीं बढ़ता है। बल्कि इसमें पराली का धुआं, मौसम में हुआ बदलाव और बढ़ी हुई व्यवसायिक गतिविधियां भी शामिल होती हैं।
पलूशन बढ़ने के दौरान खांसी, जुकाम, सिरदर्द, हर समय थकान रहना, गले में खराश होना, अस्थमा के रोगियों की समस्या बढ़ना, आंखों में जलन रहना और पानी बहना, सांस लेने में दिक्कत होना, सीने में भारीपन की समस्या जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिन लोगों को दैनिक कार्यों और ऑफिस वर्क के चलते घर से बाहर जाना ही होता है, एन-95 मास्क का उपयोग करके ही घर से बाहर निकलें। यह मास्क आपको कोरोना इंफेक्शन से बचाने के साथ ही वायु प्रदूषण के बुर असर से भी बचाने में सहायता करता है।
-ध्यान रखें कि आपके इस एन-95 मास्क में रेस्पिरेटर वॉल्व नहीं लगा होना चाहिए। आपको बिना वॉल्व के मास्क का उपयोग करना है। यदि आप चाहें तो कॉटन के मास्क का उपयोग भी कर सकते हैं। लेकिन यह अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए।
कोरोना महामारी ने दुनिया को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है। लेकिन यह भी सही है कि इस दौरान हमने जीवन जीने के नए तरीकों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा है। अब ज्यादातर सेक्टर्स अपने इंप्लॉइज को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रहे हैं तो बच्चों के लिए भी ऑनलाइन एजुकेशन का विकल्प मौजूद है।
-वहीं, कोरोना टाइम के दौरान लगे लॉकडाउन के चलते लोगों के अंदर घर में रहने की आदत बढ़ी है। साथ ही इंडोर ऐक्टिविटीज भी एक्सप्लोर हुई हैं। इन सभी बातों और नियमों का ध्यान आप प्रदूषण से बचने के लिए भी रखें।
-जितना हो सके अधिक से अधिक समय घर पर ही रहें। लॉकडाउन के दौरान घर से बहुत सारे काम संभव हो सके हैं। इसलिए रनिंग की जगह घर पर ही जॉगिंग करें। लॉन्ग वॉक की जगह शॉर्ट वॉक को चुनें। ताकि पलूशन से कम से कम एक्सपोजर हो।
योग एक कंप्लीट हेल्थ पैकेज है। क्योंकि इसके अंदर ध्यान और प्राणायाम जैसी क्रियाएं भी सम्मिलित हैं। योगासनों के जरिए हमारा शरीर स्वस्थ रहता है तो प्राणायाम हमारे श्वसनतंत्र और आंतरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है। वहीं मेडिटेशन मेंटल हेल्थ को फिट बनाए रखने का काम करता है।
-इसलिए आप जिम जाने, पार्क में एक्सर्साइज और रनिंग करने की जगह घर में ही रहकर योग करें। इंटोर एक्सर्साइज जैसे जॉगिंग और डांस की मदद से भी अपनी फिटनेस को बनाए रख सकते हैं। ऐसा करने से आप प्रदूषण के संपर्क में कम आएंगे।
दिवाली से लेकर न्यू इयर तक प्रदूषण की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। ऐसे में जब-जब ऐसे त्योहार और अवसर आएं, जब पलूशन सबसे अधिक हो, उस दौरान अपने घर के खिड़की और दरवाजे ज्यादा से ज्यादा समय बंद ही रखें। ताकि बाहर का प्रदूषण हवा के माध्यम से आपके घर के अंदर प्रवेश ना कर पाए।
-आप घर के उन एरिया या कमरों में एयर प्यूरिफायर लगवाएं, जिनका आप सबसे अधिक उपयोग करते हैं। यानी घर के जिस कमरे में आप सबसे अधिक समय तक रहते हैं, उस कमरे में एयर प्यूरिफायर जरूर लगवाएं। यह आपके घर के अंदर की हवा को साफ रखने में सहायता करेगा।
-नियमित रूप से पूजा-पाठ करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप सिर्फ देसी घी का दीपक जलाकर ही भगवान का पूजन करें। इस दौरान धूपबत्ती, अगरबत्ती या कंडे इत्यादि से हवन ना करें। ये सभी क्रियाएं आपके घर की हवा में डेंसिटी बढ़ाने का काम करती हैं। इससे घर के अंदर वायु प्रदूषण बढ़ता है।
-दिवाली सप्ताह के दौरान घर में किसी तरह के परफ्यूम, एयर फ्रेशनर या मच्छर मारने और भगाने की दवाओं का उपयोग ना करें। क्योंकि इनके उपयोग के बाद घर को बंद रखने से आपको श्वांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। या आंखों में जलन और सिर में भारीपन भी हो सकता है।
प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं से बचने के लिए आप अपनी डायट में विटमिन-सी का उपयोग करें। इसके लिए आपको अलग से विटमिन-सी की टैबलेट्स लेने की जरूरत नहीं है।
-बल्कि आप सर्दियों के फलों जैसे मौसमी, संतरा, अमरूद इत्यादि का सेवन कर सकते हैं। दिन के समय एक गिलास संतरे का जूस हर दिन लेने से आपको शरीर पर प्रदूषण का असर कम होगा।
जितनी भी ब्राइट कलर्स की सब्जियां होती हैं, उन सभी के अंदरऐंटिऑक्सीडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है। जैसे कलरफुल शिमला मिर्च। आप लाल-पीली-हरी शिमला मिर्च को सब्जी, सलाद या अन्य स्नैक्स के साथ ले सकते हैं।
-यदि पलूशन के कारण आपको आंखों में जलन और सिर में भारीपन की समस्या हो रही है तो तुरंत राहत पाने के लिए आप अपनी आंखों को ताजे पानी से बार-बार धुलें। आंखों की जलन को शांत करने के लिए रोज वॉटर आई ड्रॉप्स, लूब्रिकेंट आई ड्रॉप्स का उपयोग करें।
-यदि ऐसा करने के बाद भी आंखों में जलन होना या आंखों से पानी आने की समस्या दूर नहीं होती है तो आप तुरंत आई स्पेशलिस्ट के पास जाएं। ताकि इस समस्या को बढ़ने से पहले ही रोका जा सके।
-सिर के भारीपन को दूर करने के लिए आप ग्रीन-टी का उपयोग कर सकते हैं। गर्म पानी पी सकते हैं। या फिर विक्स की भाप ले सकते हैं। स्टीम लेने से सिर का भारीपन भी दूर होता है और पूरे श्वसनतंत्र की सफाई हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है और सिर का भारीपन दूर हो जाता है।
प्रदूषण के असर को बेअसर करने के लिए हर दिन ग्रीन-टी का उपयोग लाभकारी होता है। इसके साथ ही हरी फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे मेथी, पालक, बथुआ, हरी प्याज, ब्रोकली इत्यादि प्रदूषण के हानिकारक तत्वों का शरीर पर असर नहीं होने देती हैं। क्योंकि ये सभी सब्जियां इम्यूनिटी बूस्टर्स की तरह काम करती हैं।
प्रदूषण और धुंए के कारण होनेवाली गले की खिचखिच या खराश को गर्म पानी के गरारे द्वारा सही किया जा सकता है। इसके साथ ही स्टीम लेना भी इस समस्या से निजात दिलाता है।
-खाने के बाद आप गर्म पानी का सेवन करेंगे तब भी गले की समस्याओं से बच सकते हैं।
ग्रीन-टी या अदरक की चाय आपको गले की समस्याओं से बचाने में मदद करती है। यदि इन तरीकों से राहत ना मिले तो आप ईएनटी स्पेशलिस्ट यानी नाक-कान और गले के डॉक्टर से जरूर मिलें और उनके बताए अनुसार दवाओं का सेवन करें।
यहाँ यह बात बताना जरुरी हैं यह समय ऋतू संधिकाल होता हैं इसमें तापक्रम में अधिक उतार चढ़ाव होने से हमारा शरीर भी तापक्रम से संतुलित न होने के अलावा हमारी रोगप्रतिरोधक शक्ति पर निर्भर करती हैं। इसके लिए आवश्यक हैं की हमें वर्षा ऋतू
की आदत को धीरे धीरे छोड़ना चाहिए और शीत ऋतू की आदत स्वीकार करना चाहिए
यदि हम दीवाली और क्रिसमस में पटाखों न करे तो बहुत सीमा तक हम प्रदुषण कम करने में योगदान कर सकते हैं और इसके कारण पूरी मानव ,पशुपक्षी सुरक्षित रह सकेंगे।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद् ,A2 /104 पेसिफिक ब्लू,नियर डी ,होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753

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