एक युग थे – परम पूज्य कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महा स्वामी जी

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विनम्र श्रद्धांजलि

राजेन्द्र जैन महावीर सनावद – जैन जगत में दिगम्बर-श्वेताम्बर, बीस पंथ-तेरह पंथ, तारण पंथ,मुमुक्षु कहान पंथ, प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शांति सागर जी महाराज परम्परा, अंकलीकर आचार्य श्री आदिसागर जी परम्परा, आचार्यश्री शांतिसागर जी छाणी महाराज की परम्परा उत्तर- भारत, दक्षिण -भारत अन्तर्राष्ट्रीय जैन जगत में यदि एक शब्द में कहे कि अनेकांत-स्याद्वादवादी जैन यदि कोई थे तो वे *परमपूज्य जगदगुरू कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्तिजी भट्टारक महास्वामी श्रवणबेलगोला कर्नाटक* ही थे। अपनी चर्या के प्रति दृढ़ निश्चमी, गोम्टेश भगवान बाहुबली के प्रति अपूर्व स्नेही , प्राणी-मात्र के प्रति संवेदनशील, शिक्षा स्वास्थ्य, समुन्नति के प्रतीक, प्रत्येक पार्टी, दल के पूज्यनीय, जन जन में आदर भाव के प्रतीक, श्रवणबेलगोला तीर्थ को अन्तरराष्ट्रीय सुविधाओं के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण करने वाले ,शून्य से शिखर तक की यात्रामें  अपने तन-मन को लगाकर देश के समस्त आचार्य संघ मुनि संघ के साथ विद्वान पत्रकार ,सम्पादक ,श्रेष्ठी आर्थिक सम्पन्न ,आर्थिक विपन्न सभी के लिए अपनत्व भाव रखने वाले युग श्रेष्ठ व्यक्तित्व जिनके बारे में क्या लिखे- क्या नहीं लिखे मन में अश्रुपूरित भाव के साथ इतने विचार आ रहे है कि कैसे कह दूं ,कैसे मान लू कि परमपूज्य जगद्गुरू कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति जी भट्टारक महास्वामीजी ने 23 मार्च 23 की प्रातः बेला में अपनी देह को त्याग कर महाप्रयाण कर लिया। नूतन नववर्ष के बाद पहले दिन गुरुवार को वे हम सबको जैन दर्शन काशा श्वत सत्य बताते हुए आत्म दर्शन की महायात्रा में चले गए। जब से खबर मिली है सोच रहा हूँ क्या लिखूँ कहा से प्रारम्भ करू कुछ समझ नहीं आ रहा फिर भी मैं कुछ बातें कम शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश कर अपने लेखकीय उत्तरदायित्व को पूर्ण करने का प्रयास कर रहा हूँ-

1. जन्म 3 मई 1949 तीर्थक्षेत्र वारंग कर्नाटक
2. जन्मनाम रत्न वर्मा
3. श्रावक श्रेष्ठ श्रीमती कांते श्रीचंद्रराज के घर शुभ नक्षत्र, शुभ बेला में जन्म।
4. धार्मिक संस्कार हेतु हुमचा मठ में अध्ययन हेतु प्रवेश। 5.श्रवणबेलगोला तीर्थ के भट्टारक जी पूज्य श्री भट्टकलंक जी को अपने उत्तराधिकारी की आवश्यकता।
6.अनेकों कुण्डलियों में रत्न वर्मा के प्रतिजगा विश्वास
7.12 दिसम्बर 1969 में भट्टारक दीक्षा ।
8.19 अप्रैल 1970 को वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर जन्म कल्याणक अवसर पर श्रवणबेलगोला श्री क्षेत्र के उत्तराधिकार के रूप में पट्टाभिषेक ।
9.आर्थिक रूप से अति विपन्न श्रवणबेलगोला तीर्थ को समुन्नत बनाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी मात्र 20 वर्ष की उम्र में |
10.तीर्थ पर आर्थिक बैलेंस नहीं, सुविधाएँ नहीं ऐसे अवसर पर 20 वर्षीय युवा पर आई अनेकों जिम्मेदारियाँ 11. पहले अध्ययन करने का निर्णय देश के श्रेष्ठ विद्वानों, आचायों के साथ जैनदर्शन का अध्ययन
12. जैन धर्म के ज्ञाता बने 1976 में सिंगापुर
की यात्रा कर धर्म प्रभावना। 13. अमेरिका,वर्मा, अफ्रीका , इंग्लैंड, थाईलैंड में धर्म प्रभावना ।
14.लौकिक पढ़ाई मे अव्वल मैसूर विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में मास्टर ऑफ आर्ट।
15.कन्नड़ के साथ भाषा हिन्दी, संस्कृत ,प्राकृत, अंग्रेजी व हिन्दी में साहित्य विशारद, संस्कृत साहित्य में विशारद।
16.जन मंगल कलश प्रवर्तन व भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण कल्याणक में अपना उल्लेखनीय योगदान। 17.आचार्य श्री विद्यानंदजी के सान्निध्य से आयोजनों की रूपरेखा में योगदान। 18.गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली स्वामी की प्रतिमा के एक हजार वर्ष पूर्ण 1981 मे।
19. महामस्तकाभिषेक के साथ भगवान की प्रतिमा
सहस्त्राब्दी महोत्सव का आयोजन।
20. अभूतपूर्व प्रतिमा का महामहोत्सव व
1981 में सहस्त्राब्दी महोत्सव 20 वी सदी का अनुपम आयोजन बनाया।
21. सम्पूर्ण विश्व में गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली की प्रभावना व अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा के साथ विश्व भर से आये दर्शनाथी
22.1981 के सफल आयोजन की ऐसी छाप बनी कि प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने *’कर्मयोगी*’ की उपाधि से सम्मानित कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया।
23.सम्पूर्ण देश ऐसी अद्भुत धर्म प्रभावना हुई कि देश के ग्राम – ग्राम, नगर-नगर में भगवान बाहुबली की प्रतिमाएँ स्थापित होना प्रारंभ हुई।
24.1988 में इंग्लैंड के शहर लेस्टर में भगवान बाहुबली की प्रतिमा का पंचकल्याणक पूज्य स्वामी के मार्गदर्शन में हुआ।
25. 1981 के महोत्सव में 149 संतों का सान्निध्य।26.1981 से 1992 तक श्रवणबेलगोला व आसपास 20 से अधिक शिक्षण संस्थाएँ जिनमें विद्यालय, महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक ,इंजीनियरिंग, नर्सिग कालेज आदि का निर्माण व सफल संचालन।26. 1993 में 12 वर्षीय महामस्तकाभिषेक
हेतु, आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को आमंत्रण। 27.1993 में गोम्टेश के महामस्तकाभिषेक
में 250 से अधिक पिच्छी धारी स्वामीजी के वात्सल्य आमंत्रण पर पहुँचे।
28. प्राकृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए
राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान श्रवणबेलगोला की स्थापना। 29.कन्नड़ ग्रंथों ,प्राकृत ग्रंथों का अनुवाद धवला – जय धवला ग्रंथों का अनुवाद कराकर जिनवाणी की अनुपम सेवा ।
30. बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ के माध्यम से प्राकृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प 31.श्रवणबेलगोला में यात्री सुविधाओ का विस्तार ।
32.भारत सरकार व कर्नाटक सरकार से
हर संभव मदद हेतु कार्य योजनाएँ
33. 2006 में पुनः स्वयं के निर्देशन में तीसरे महामस्तकाभिषेक का आयोजन।
34. आयोजन में संतों की निरंतर बढ़ती उपस्थिति पहुँचे लभगग 300 से अधिक पिच्छी धारी साधु।
35. आयोजन पूर्व श्रवणबेलगोला को आदर्श ग्राम बनाकर खुले में शौच से मुक्त करने के साथ ग्राम का चहुँमुखी विकास कराया।
36.गोम्मटेश बाहुबली बाल चिकित्सालय का निर्माण आर. के. मार्बल परिवार की ओर से।
37.मोबाईल त्याग के साथ आदर्श चर्या का अनुपम उदाहरण व स्वकल्याण की
जागरूकता के प्रति सचेत।
38.जन-जन तक स्वास्थ्य सुविधा हेतु मोबाईल अस्पताल।
39.कर्नाटक के जन-जन में बाहुबली भगवान के प्रति समर्पण का भाव जगाकर अहिंसा धर्म की प्रभावना । 40.गोम्टेश भगवान बाहुबली की प्रतिमा की सुरक्षा के लिए आस-पास के पाँच किलो मीटर एरिया मेँ खनन ब्लास्टिंग कार्य पर रोक लगाने मे सफलता।
41.श्रवणबेलगोला पहुंचने वाले साधु संतों का अभूतपूर्व स्वागत के साथ आगवानी व अनुपम् विन‌म्रता भाव।
42. बड़े छोटे, सभी विद्वानों के प्रति अनुपम वात्सल्य के साथ उनका यथायोग्य सम्मान मेरे विचार से केवल श्रवणबेलगोल के स्वामी जी ही करते रहे।
43.2018 का महामस्तकाभिषेक अन्तर्राष्ट्रीय जगत के लिए मिसाल।
44. अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया में जैनदर्शन दिगम्बरत्व व गोम्मटेश के प्रति आदर भाव ।
45.गोम्मटेश के संन्देश : अहिंसा से सुख, त्याग से शांति, मैत्री से प्रगति ,ध्यान से सिद्धि को जन-जन तक पहुंचाने के सफल कर्मयोद्धा।
46.महामस्तकाभिषेक हेतु बेंगलौर से श्रवणबेलगोला रेलवे लाईन का शुभारंभ कराया ।
47. 2018 के महामस्तकाभिषेक में रिकार्ड तोड़ 35 आचार्य के साथ लगभग 400 पिच्छी धारी संतों का सान्निध्य का अनुपम उदाहरण।
48. स्वामीजी का स्वप्न श्रवणबेलगोला में प्राकृत विश्वविद्यालय
का काम प्रारम्भ हुआ।
49.श्रवणबेलगोला के रत्न के रूप में कर्नाटक सरकार ने भगवान महावीर शांति पुरस्कार व दस लाख की राशि से सम्मान |
50.2018 मे महोत्सव की राष्ट्रीय अध्यक्षा के रूप में श्राविका शिरोमणि श्रीमती सरिता एम. के. जैन चेन्नई का मनोनयन, इतिहास में पहली बार किसी महिला को यह दायित्व सौपा।

51.यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘तं गोम्टेश पणमामि णिच्च के साथ स्वामी जी को महान व्यक्तित्व बताया।
52.परम पूज्य आचार्य श्री वर्धमान सागाजी महाराज जिन्होंने लगातार तीन बार महामस्तकाभिषेक में सान्निध्य प्रदान किया उनके प्रति कहते है कि आयोजन की सफलता उनके नाम जुड़ने से ही हो जाती है उनका निश्छल भाव उन्हें गोम्मटेश भगवान बाहुबली के दर्शन कराता रहा और सम्पूर्ण जगत को दिगम्बरत्व का दिग्दर्शन कराता रहा है ,ऐसे व्यक्तित्व से जो धर्म प्रभावना हुई है वह अतुलनीय हैं।
ऐसे अभूतपूर्व व्यक्तिव को कुछ शब्दों में यह विनयांजलि सादर समर्पित है ।विगत 20वर्ष से अनेकों बार उनका सान्निध्य आशीर्वाद मेरे सम्पूर्ण परिवार को प्राप्त हुआ। मेरे आदर्श,सम्पूर्ण समाज की धरोहर जिनके आगे सारी उपमाएँ व्यर्थ है। केवल स्वामी जी नाम उल्लेख से सम्पूर्ण भारतवर्ष में केवल
“परमपूज्य जगतगुरू कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्तिजी महास्वामी का नाम उभर कर सामने आता है। ऐसे पूज्य स्वामी जी का महाप्रयाण कर जाना एक युग का अवसान हैं।
भगवान गोम्मटेश्वर से प्रार्थना है कि वे शीघ्र ही मुक्तिवधु का वरण करें।

अश्रुपूरित विनयांजलि के साथ
– राजेन्द्र जैन ‘महावीर
सह संपादक जैन गजट
217, सोलंकी कालोनी सनावद451111
जिला खरगोन (म.प्र.) 9407492577

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