शांति की शुरुआत व्यक्तिगत होती हैं – अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस

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हर युग में मनुष्य के द्वारा बहुत विकास किया गया और वह सुख शांति की खोज करता रहा और करता ही हैं ,पर विकास और अशांति का चोली दामन का साथ हैं .जब तक मानव विकास के साथ कुछ समय धार्मिक ,आध्यात्मिक क्षेत्र में नहीं जायेगा तब तक वह दुखी होगा .
आज विश्व युद्धों के कारण अशांति के मुंह में बैठा हैं और वह विध्वंश करने उतारू हैं ,युध्य से किसी भी कालखंड में शांति स्थापित नहीं हुई ,शांति वार्तालाप के साथ वैचारिक सकारत्मकता के कारण प्राप्त हो सकती हैं .शांति विश्व स्तरीय ,देश स्तरीय ,सामाजिक ,पारिवारिक के साथ व्यक्तिगत अधिक महत्वपूर्ण होती हैं .शांति व्यक्ति से शुरू होती हैं ,व्यक्तिगत से मतलब राष्ट्र प्रमुख की विचारधारा पर निर्भर करता हैं .नित्य नए नए आधुनिकतम आयुध संसाधन अशांति के मुख्य कारण हैं ,चीन द्वारा विस्तारवादी नीति के कारण,पाकिस्तान परपीड़क होने से और अन्य राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा के साथ प्रभुत्व की लड़ाई हैं .
शांति से एक साथ रहना मतभेदों को स्वीकार करने और दूसरों को सुनने, पहचानने, सम्मान करने और सराहना करने की क्षमता रखने के साथ-साथ शांतिपूर्ण और एकजुट तरीके से जीने के बारे में है।
इस वर्ष का ध्येय ‘अंत जातिवाद’ है—शांति बनाएं’। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह २४ घंटे के संघर्ष विराम की अहिंसक अवधि के माध्यम से शांति के आदर्शों को मजबूत करने के लिए समर्पित एक तारीख है इसका मकसद दुनिया भर में युद्ध और शत्रुता को कम करते हुए शांति का विस्तार करना है। इस दिन की स्थापना वर्ष १९८१ में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
उद्देश्य: देशों और लोगों को शत्रुता रोकने के लिए आमंत्रित करना तथा शांति से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाना।
इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की स्थापना १९८१ में की गई थी। इसके लगभग
२० साल बाद, २००१ में, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से मतदान करके अहिंसा एवं संघर्ष विराम काल के रूप में इस दिन को नामित किया गया।
शुरुआत में यह दिन सितंबर के तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था लेकिन साल २००१ के बाद इसे बदलकर २१ सितंबर तय कर दिया गया। तभी से हर साल २१ सितम्बर को वर्ल्ड पीस डे मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है?
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य अहिंसा और संघर्ष विराम के माध्यम से विश्व में शांति कायम करना है। इसके साथ ही मानवता के लिए सभी मतभेदों से ऊपर उठकर शांति के लिए प्रतिबद्ध होने और शांति की संस्कृति के निर्माण में योगदान करना भी इसका मुख्य मकसद है।दुनिया भर के सभी देशों और लोगों के भीतर शांति के आदर्शों को मजबूत करने और युद्ध को कम करने लिए यह ख़ास तौर पर समर्पित है।
इस साल अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस २०२२ की थीम ‘जातिवाद खत्म करें, शांति का निर्माण करें‘ रखी गई है। जो सही मायने में शांति प्राप्त करने के लिए ऐसे समाज के निर्माण की आवश्यकता को दर्शाता है, जिसमें लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाता हो चाहे उनकी जाति कोई भी हो।
विचार
शांति भीतर से आती है…इसकी तलाश बाहर मत करो।—–गौतम बुद्ध
शांति अपने आप में ही, एक पुरस्कार है। -महात्मा गाँधी
शांति, राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं मिल सकती, बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से मिल सकती है। -सर्वपल्ली राधाकृष्णन
ह्रदय के अन्दर शांति की शुरुआत एक मुस्कराहट से होती है -मदर टेरेसा
साहसी लोग शांति की लिए, क्षमा करने से भी घबराते नहीं है. -नेल्सन मंडेला
हम केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में ही विश्वास रखते हैं। -लाल बहादुर शास्त्री
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शान्ति प्राप्त होती है। -भगवत गीता
जो व्यक्ति द्वेषपूर्ण विचारों से मुक्त रहता हैं, वह निश्चित रूप से शांति को प्राप्त करता हैं। -गौतम बुद्ध
संयुक्त राष्ट्र सभी देशों को इस ख़ास दिन पर शत्रुता को रोकने के लिए आमंत्रित करता है, और शांति से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाते हुए इस दिन को मनाता है।
सफेद कबूतर: सफेद रंग को शान्ति का प्रतीक माना जाता है इसलिए Peace Day मनाने के लिए इस दिन शान्ति के दूत सफेद कबूतरों को उड़ाकर विश्वभर में शांति का संदेश दिया जाता है।
शांति की घंटी: अमेरिका के न्यूयोर्क शहर में स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजा कर यह दिन मनाया जाता है। इसके एक ओर ‘विश्व में शांति हमेशा बनी रहे’ लिखा है।
यह घंटी सभी महाद्वीपों (अफ्रीका को छोड़कर) के बच्चों द्वारा दान किए गए सिक्कों को मिला कर बनाई गई है, जिसे जापान के यूनाइटेड नेशनल एसोसिएशन ने गिफ्ट में दिया था।
ऐसा कहा जाता है की यह घंटी युद्ध में मनुष्य की कीमत की याद दिलाती है।
विश्व शांति की स्थापना हेतु विभिन्न उपाय
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने दुनियाभर में शान्ति एवं अमन की स्थापना हेतु पांच मूल मंत्र दिए, जिन्हें ‘पंचशील का सिद्धांत‘ भी कहा जाता है। यदि हर कोई इन पांच मूल मंत्रो को अमल लाये तो विश्व में कभी अशांति नहीं होगी।
सभी देश समानता और आपस में फायदे की नीति का पालन करें।
एक दूसरे के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करें।
देश एक दूसरे के खिलाफ कोई भी आक्रामक कार्यवाही न करें।
एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करें।
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखे।
शांत खुशियां सबसे ज्यादा देर टिकती हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५

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