संसार का सबसे बड़ा जादू है — निस्वार्थ प्रेम और निश्छल हँसी..! 108 प्रसन्न सागर जी महाराज

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संसार का सबसे बड़ा जादू है — निस्वार्थ प्रेम और निश्छल हँसी..!       108 प्रसन्न सागर जी महाराज     औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की        संसार का सबसे बड़ा जादू है — निस्वार्थ प्रेम और निश्छल हँसी..!
निस्वार्थ प्रेम और निश्छल हँसी के लिये बहुत कुछ सहन करना पड़ता है। यह कार्य कठिन है पर असम्भव नहीं। जहाँ निस्वार्थ प्रेम होगा वहाँ पराये भी अपने से लगेंगे और जहाँ स्वार्थ होगा वहाँ अपने भी बेगाने लगेंगे। अब निश्छल हँसी कहाँ देखने को मिलती है, जो पहले मिलती थी।
आज का आदमी समझदार कम, चतुर, चालाक, होशियार ज्यादा हो गया है।यही कारण है कि हर एक व्यक्ति एक दूसरे की पीठ पीछे बुराई करते मिल जायेंगे। मुख के मीठे, मन के झूठे लोगों का तांता लगा हुआ है। यदि मैं आप से कहूँ- कि आप हमें अपने खासम खाश पाँच लोगों के नाम दो जो आपकी पीठ पीछे प्रशन्सा करते हों-? बाबू – आपके अपने ही नहीं मिलेंगे। यदि मैं कहूँ– कि पाँच ऐसे लोगों के नाम दो जो आपके बिना जीना नहीं चाहते हो-? गैरों की हम क्या बात करें – आपके अपने ही नहीं मिलेगे।
आज हर रिश्तों में स्वार्थ, लोभ और लालच घुस गया है।*आज रिश्ते भी बोझ बन गये हैं।इसलिए तो सिर्फ नाम के रिश्ते बचे हैं। हम उनको याद रखते हैं जिनसे हमारे स्वार्थ पूर्ण हो रहे हैं अन्यथा अब किसी के पास समय नहीं है…!!!
पहले जब घरों में मेहमान आते थे, तो पूरे घर का माहौल होली दीवाली सा हो जाता था और आज कोई मेहमान आ जाये तो सबसे पहले पूछते हैं आप कब जायेंगे। ये फर्क पड़ा है तब और अब में। आज सबको स्वार्थ और विचारों की संकीर्णताओं ने जकड़ के रखा है।
यही कारण है कि आज हम किसी के काम नहीं आ पा रहे हैं। *सिर्फ कमाना, खाना, जोड़ना और सब कुछ छोड़कर यू हीं चले जाना ही ज़िन्दगी और जीने का उद्देश्य बन गया है…!!!।  नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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