साधु कुछ देते नहीं, आपका शगुन बन जाते हैं – मुनिश्री सुधासागर जी

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मुनिश्री की छतरपुर नगर में हुई भव्य आगवानी,दुल्हन की तरह सजा शहर

विशाल धर्मसभा में उमड़ा देशभर के श्रद्धालुओं का समूह

(राजेश जैन रागी / रत्नेश जैन बकस्वाहा)

छतरपुर । पूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य निर्यापक श्रवण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी महाराज का छतरपुर नगर में प्रथम ऐतिहासिक मंगल प्रवेश 14 मार्च 24 गुरुवार को सुबह आठ बजे भारी जनसमूह वाली शोभायात्रा में शामिल गाजों – बाजों और जयकारों के साथ हुआ। मुनिश्री आरटीओ ऑफिस मेन रोड , बस स्टैंड से चौक बाजार होते हुए एवं बाजार मार्ग के सभी जैन मंदिरों के दर्शन करते हुये पुरानी तहसील प्रांगण पहुंचे। यहां शोभायात्रा एक विशाल धर्मसभा में तब्दील हो गई, जहां उनके प्रेरक प्रवचन हुए । इस अवसर पर माननीय न्यायाधीश श्री अरविन्द जी जैन को गुरुवर ने शुभाशीर्वाद प्रदान किया।
जैन समाज छतरपुर के डा.सुमति प्रकाश जैन एवं समाज के उपाध्यक्ष श्री रीतेश जैन ने बताया कि मुनिश्री ससंघ का मंगल विहार कानपुर से छतरपुर की ओर 29 फरवरी को शुरू हुआ था। मुनिश्री के संघ की 14 मार्च को छतरपुर में भव्य आगवानी की गई। शोभा यात्रा में सभी पुरुष सफेद कुर्ता पैजामा, अलग अलग महिला मंडल अपनी निर्धारित केसरिया, लाल और पीली साड़ी पहने चल रहे थे, जो आकर्षण का केंद्र बने रहे। बैंड पार्टियां भजनों की मधुर प्रस्तुतियां देती चल रहीं थीं। जबलपुर से आए युवाओं के रंगोली दल ने भी अपनी कला से सबका मन मोहित कर दिया। ये रंगोली दल शोभायात्रा के आगे आगे बेहद फुर्ती से अनेक चित्ताकर्षक रंगों से नयनाभिराम रंगोली बनाते चल रहे थे। इस पावन अवसर पर नगर को तोरण द्वारों, झंडियों, गुब्बारों आदि से दुल्हन की तरह सजाया गया ।
पुरानी तहसील परिसर में हुई विशाल धर्मसभा के प्रारंभ में पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के मोहक चित्र का अनावरण तथा दीप प्रज्ज्वलन विशिष्ट अतिथियों ने किया। इस अवसर पर महाराज श्री सुधा सागर जी ने अपने मांगलिक प्रवचन में कहा कि साधु आपको कुछ देते नहीं है, पर आपके लिए शगुन बन जाते हैं, फिर शगुन से आपकी सफलता आसान हो जाती है। मुनिश्री ने छतरपुर की जैन समाज की सराहना करते हुए कहा कि आप लोग साधु की आगवानी बहुत अच्छी करते हैं।आपकी अगाध श्रद्धा के कारण आधे घंटे का रास्ता दो घंटे में पूरा हुआ, ये साधु भक्ति की पराकाष्ठा है। मुनिश्री ने कहा कि दर्पण की बजाय अपने भीतर की आत्मा को देखो, पहचानो और उसके कल्याण के लिए इस भव में भी अच्छे कार्य करो। साधु भी न्याय की देवी के समान आंखों में काली पट्टी बांध कर सबसे निष्पक्ष और समान व्यवहार करते हैं।
कार्यक्रम में मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य समाज सेवियों स्व बाबू प्रेमचंद जैन के पुत्रों अभय, विजय, कल्लू जैन आदि कुपीवाला परिवार तथा शिखर चंद जैन रमेशचंद जैन अहिंसा परिवार को मिला।कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री राजेश बड़कुल ने अपना काम बखूबी निभाया।
छतरपुर आने के पूर्व तक जैन समाज छतरपुर के अध्यक्ष अरुण जैन अन्नू, उपाध्यक्ष अजय फट्टा, रीतेश जैन, महामंत्री स्वदेश जैन, कोषाध्यक्ष जीतेन्द्र जैन, सहमंत्री अजित जैन सहित अनेक समाजसेवी प्रतिदिन मुनिश्री का आहार और बिहार कराने उनके पास पहुंच कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते रहे हैं। देश के कोने कोने से भी मुनिभक्त छतरपुर पधार रहे हैं। कानपुर के मुनिभक्तों आलोक जैन,अमोद जैन,अमित जैन(बंटी)पीयूष जैन,अनिल जैन ने बताया कि कानपुर में उन्हें मुनिश्री की भक्ति का खूब अवसर और आशीर्वाद मिला। अनेक सुदूर नगरों और समीपी क्षेत्रों के लोगों ने भी गुरुवार को छतरपुर पधार कर मुनिश्री के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
सायंकाल बड़े जैन मंदिर में मुनिश्री ने प्रश्नोत्तरी सभा में सभी श्रद्धालुओं की जिज्ञासा तथा प्रश्नों का सटीक समाधान किया।आज गुरुवार को नगर में मुनिश्री के मांगलिक प्रवेश के ऐतिहासिक पल को हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी आँखों और कैमरे में कैद किया।बड़ी संख्या में भक्तजन तथा कई प्रमुख व्यक्तित्व भी मुनिश्री की आत्मीय आगवानी हेतु पहुँचे थे। मुनिश्री जनभावना को ध्यान में रखते हुये सभी भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। जहाँ भी मुनिश्री पहुंचते हैं सारा आसमान उनके जयकारों से गुंजायमान हो जाता है।
मुनिश्री की भव्य, सानंद, निर्विध्न और ऐतिहासिक आगवानी में जनप्रतिनिधियों , जिला तथा पुलिस प्रशासन, ट्रैफिक प्रभारी सहित नगरवासियों का सराहनीय योगदान रहा। जैन समाज कार्यकारिणी ने सभी सहयोगियों के प्रति आभार ज्ञापित किया है।

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