वर्तमान स्थिति की यदि व्याख्या करें तो प्रत्येक व्यक्ति दोहरे मापदंड को अपनाकर जीवन व्यतीत कर रहा है। उसने स्वयं के सामाजिक ताने-बाने को किसी और स्वरूप में बना रखा है जबकि मुखौटा किसी और स्वरूप का लगा रखा है इन दोनों के मध्य अंतर करना भी बड़ा ही कठिन और दुर्लभ कार्य है। सामाजिक ताना-बाना और मुखौटा दो ऐसे शब्द हैं जो हमारे समाज में व्यक्ति के व्यवहार और पहचान को दर्शाते हैं।
सामाजिक ताना-बाना:
सामाजिक ताना-बाना समाज में व्यक्ति के सामाजिक संबंधों और पहचान को दर्शाता है। यह हमारे परिवार, समुदाय, और समाज के साथ हमारे संबंधों को दर्शाता है। सामाजिक ताना-बाना हमें हमारे समाज में एक पहचान देता है, और हमें हमारे समाज में एक स्थान दिलाता है।
मुखौटा:- मुखौटा समाज में व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह हमारे समाज में हमारी पहचान को दर्शाता है, लेकिन यह हमारी वास्तविक पहचान नहीं होती है। मुखौटा हमें हमारे समाज में एक निश्चित छवि देता है, लेकिन यह हमारी वास्तविक भावनाओं और विचारों को नहीं दर्शाता है।
सामाजिक ताना-बाना और मुखौटा के बीच का संबंध:
सामाजिक ताना-बाना और मुखौटा दोनों ही हमारे समाज में व्यक्ति के व्यवहार और पहचान को दर्शाते हैं। सामाजिक ताना-बाना हमें हमारे समाज में एक पहचान देता है, जबकि मुखौटा हमें हमारे समाज में एक निश्चित छवि देता है। लेकिन, मुखौटा हमारी वास्तविक पहचान नहीं होती है, और यह हमारी वास्तविक भावनाओं और विचारों को नहीं दर्शाता है।
चर्चा करें कि दोहरे मापदंड के मुखोटे की जो हमारे समाज में व्यक्ति के दोहरे व्यवहार को दर्शाता है। यह शब्द उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो अपने व्यक्तिगत जीवन में एक तरह का व्यवहार करते हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन में दूसरा तरह का व्यवहार करते हैं।
दोहरे मापदंड का मुखोटा के पीछे का उद्देश्य है:
– *अपनी वास्तविक पहचान छुपाना*: दोहरे मापदंड का मुखोटा पहनने वाले लोग अपनी वास्तविक पहचान छुपाना चाहते हैं।
– *अपने स्वार्थ की पूर्ति करना*: दोहरे मापदंड का मुखोटा पहनने वाले लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति करना चाहते हैं।
– *दूसरों को धोखा देना*: दोहरे मापदंड का मुखोटा पहनने वाले लोग दूसरों को धोखा देना चाहते हैं।
दोहरे मापदंड ओढ़े मुखोटा के उदाहरण:
– *एक नेता या अधिकारी जो सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी की बात करता है, लेकिन अपने व्यक्तिगत जीवन में भ्रष्टाचार करता है।*
– *एक व्यक्ति जो सार्वजनिक जीवन में दूसरों की मदद करने की बात करता है, लेकिन अपने व्यक्तिगत जीवन में स्वार्थी होता है।*
– *एक कंपनी जो सार्वजनिक जीवन में पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, लेकिन अपने व्यक्तिगत जीवन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।*
ऐसे अनेको उदाहरण दिए जा सकते हैं कि व्यक्ति दिखाता कुछ है और होता कुछ है। यही दोहरा मापदंड है किंतु वर्तमान युग में व्यक्ति बड़ी आसानी के साथ इस दोहरे मापदंड के साथ अपने जीवन को व्यतीत कर रहा है। चिंतन मंथन और मनन करने के लिए समय किसी के पास नहीं है यदि कुछ समय निकालकर थोड़ा सा चिंतवन किया जाए तो निश्चित रूप से स्वयं से कुछ सवाल करने का मन व्यक्ति का जरूर होता है। कि आखिरकार दोहरे मापदंड के साथ जीने का फायदा क्या है किंतु सब कुछ चल रहा है और हम भी बिना रुके उसी लहर में चले जा रहे हैं। यही वर्तमान का हास्यास्पद सा जीवन है। सादर प्रणाम
संजय जैन बड़जात्या कामां,जैन गजट संवाद दाता












