तुम- तुम्हारी उम्र से नौ महिने बड़े हो, यह बात सिर्फ एक ही शख्स जानता है। सत्य को शब्दों का जामा नहीं पहनाया जा सकता है क्योंकि जो नग्न है वही सत्य है।जैसे – धरती नग्न है, आकाश नग्न है, चांद तारे, पेड़, पौधे, सागर, सरिता, पशु, पक्षी, जानवर भी नग्न है,, इसलिए दिगम्बर जैन सन्त भी नग्न है। नग्नता प्रकृति प्रदत्त उपहार है जिसे हम नकार नहीं सकते।
उत्तम सत्य धर्म कहता है- दिखावे का जीवन बहुत जी लिया, अब यथार्थ के जीवन से जुड़ें और सत्य का जीवन जीयें। अभी हम आकाश में जीते हैं, कल्पनाओं में उड़ते हैं, इसलिए सत्य के दर्शन से वंचित रह जाते हैं। अभी हम पृथ्वी पर रहते हैं, और आकाश की बातें करते हैं। जिस पृथ्वी पर रहना है, जीना है, चलना है, मरना है, और भी बहुत कुछ करना है, हम उस पृथ्वी की बात नहीं करते। हम आकाश की बातें करके अपने मैं को पुष्ट करते हैं,, इसलिए सत्य से दूर हो जाते हैं।
सत्य एक है, असत्य अनन्त है। धर्म सत्य है, अग्नि सत्य है, मृत्यु सत्य है। जो सत्य तुम्हें बांध ले, वह सत्य नहीं सम्प्रदाय है। सम्प्रदाय बांधता है, सत्य – मुक्त करता है। सत्य मुक्ति प्रदाता है, सत्य से बढ़ कर दूसरा कोई मुक्ति दाता नहीं है।सत्य ही शिव है, सत्य ही सुन्दर है, सत्य ही परमात्मा है। उत्तम सत्य का अर्थ है मौन हो जाना। मोबाइल आने के बाद आदमी झूठ बोलने में मास्टर माइण्ड बन गया है।
मोबाइल रखने का अर्थ है झूठ बोलने का लाइसेंस…!!