बाल गृह में चिकिन और अंडे के साथ शराब भी प्रदाय की जाए – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन

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भोपाल- हमारे देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जब आनंद भवन में रहती थी ,उनके बचपन में जब  वे ६ -७ वर्ष की थी, आनंद भवन के पडोसी के यहाँ खेलने जाती थी और वहां बहुत अच्छा लगता था .कुछ दिनों के बाद एक दिन उनके पडोसी बाहर गए और उनको अपने घर पर नाश्ता करना पड़ा ,तब उनको अपने घर का नाश्ता पसंद न आने से बहुत रोई ,एक दिन पडोसी से पूछा कि आप नाश्ता में क्या खिलाते  थे इंदिरा को तब उन्होंने बताया उनको चिकिन और अंडे का नाश्ता खिलाते थे, उससे उनकी आदत उस नाश्ते की बन गयी.

आज कल स्कूलों में बच्चे अपने घरों से टिफ़िन ले जाते हैं और कभी कभी बच्चे अपना टिफ़िन आपस में मिलकर खाते हैं उसमे कभी कभी शाकाहारी और मांसाहारी भोजन मिलकर खाते हैं और स्वाद अच्छा होने पर शाकाहारी ,मांसाहारी की तरफ झुकाने लगते हैं .

इसी प्रकार पंच सितारा होटल्स , रेस्टोरेंट में मांसाहार -शाकाहार भोजन खाना मिलता हैं उनमे भी कितना आपस  में परहेज़ हो पाता होगा .एक ही स्थान पर खाना बनता और परोसा जाता हैं .कहते भी हैं खरबूज को देख खरबूज भी रंग बदलता हैं .

बाल गृह में कोमल उम्र के बालक बालिकाएं होते   हैं और उनको आप चाहे सप्ताह में एक दिन ही क्यों चिकिन और अंडा देंगे तो स्वाभाविक हैं शाकाहारी बालक बालिकाओं को भी वो पसंद आने से वो भी उनको खाना शुरू कर देंगे ,या दोनों का वितरण एक स्थान से होने से कुछ को पसंद भी न आएं “आदतें इच्छाशक्ति से ज्यादा शक्तिशाली होती हैं ,जैसा बनना चाहते हैं ,वैसी  आदतें अपना ले तो सफलता तय हैं ,”इसका अर्थ साफ़ हैं जब उनको चिकिन और अंडे एक सप्ताह में दिया जायेगा जबकि उनके  भोजन मेन्यू में दाल ,राजमा ,चना ,नाश्ते में दूध ,पत्तेदार सब्जियां दही छाछ ,गुड़ मूंगफली ,पनीर स्वीट डिश ,चाय कॉफी ,सूजी पोहा ,खिचड़ी और ब्रेड ,अरहर मूंग हरे चने काबुली चने भी मिलेंगे .इसके साथ मेथी ,पालक सरसों की साग और मौसमी फल भी दिए जायेंगे और दिन में चार बार खाना दिया जायेगा, हमारा देश अहिंसा प्रधान हैं और हम  कोमल उम्र के लोगों को ये सब चीजे दे रहे हैं तो चिकिन अंडा की क्या जरुरत हैं ,?हाँ यदि  ये दिया जाना जरुरी हैं तो उनको शराब भी इसी उम्र से दिया जाना उचित होगा और मध्य प्रदेश शासन शराब के प्रति बहुत नरम दिल और मेहरबान हैं . जिससे बाल गृह  के द्वारा भी शराब आदि की भी बिक्री बढ़ जाएगी .

देश -प्रदेश लोकोपकारी और लोककल्याणकारी हैं ,यह सरकार का उत्तरदायित्व हैं की उनको अच्छी आदतें सिखाएं, खाना पीना पहनना, पूजा पाठ व्यक्तिगत मामला हैं पर शासकीय अशासकीय संस्थाओं द्वारा चिकिन अंडे का परोसा जाना मान्य और उचित नहीं हैं .

  • तन, मन ,धन करता कौन ख़राब?
  • मछली, अंडा, मांस, शराब  

-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन   संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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