मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण : विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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हमारा शरीर बहुत ही महत्वपूर्ण मशीन हैं .जिस प्रकार हम अपनी कार  मोटर साइकिल या अन्य मशीनों की देखरेख करते हैं उसमे ऑइलिंग ग्रीसिंग और सर्विसिंग कराते रहते हैं .लम्बी यात्रा के समय अपना वाहन अप डेट रखते हैं .इसी प्रकार यह शरीर भी सब कुछ चाहती हैं यानी पोषण ,पाचन और आराम .
सम दोषः समाग्नि सम धातु मलाः क्रियाः .
प्रसन्न आत्मेन्द्रिय   मनः स्वस्थ्य इत्यादिभीयते .(सु श्रु )
जिस की धातुएं साम्यावस्था में ,अग्नि (पंचाग्नि  और धात्वग्नि  और अग्नी )और १८ प्रकार के मल साम्यावस्था में हो और इसके अलावा जिसकी आत्मा ,मन और इन्द्रियां स्वस्थ्य हो उसे स्वस्थ्य कहते हैं .इसका आशय शरीर के साथआत्मा  मन ,और इन्द्रियाँ भी स्वस्थ्य होगी उसे स्वस्थ्य कहा जायेगा .आजकल इस अनुसार अधिकांश इस परिभाषा में खरे नहीं उतरते या उतर नहीं पा रहे हैं .
रोग के दो स्थान हैं मन और शरीर और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ,यदि शरीर रोगी हैं तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं और यदि मन दुखी हैं तो उसका प्रभाव शरीर पर पड़ता हैं .आजकल शरीर के साथ मानसिक रोगों की बहुलता हैं ,जिसका इलाज़ स्वयं जो प्रभावित होता हैं उसके पास हैं .
हमारी रोजाना का भाग दौड़ में हम अक्सर कुछ ऐसी गलतियां करते हैं जो हमारे दिमाग के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकती हैं। कहीं आपकी भी तो यही स्थिति नहीं है।
कुदरत की देन में हमें यह शरीर मिला है, जिसका विकास वक्त के साथ खुद ब खुद होता रहता है। लेकिन यह चीज मस्तिष्क के साथ बिल्कुल नहीं है। अगर एक व्यक्ति स्कूल कॉलेज ना जाए या किसी तरह का ज्ञान हासिल ना करे तो उसका मस्तिष्क वैसा ही रहता है जैसे किसी जानवर का या एक छोटे बच्चे का होता है। यह जानते हुए भी हम हर गैर जरूरी चीज का ध्यान रखते हैं जो शायद मायने नहीं रखती।
वहीं मस्तिष्क के विकास का काम या उसके पोषण को भूल ही जाते हैं। यही नहीं हम कुछ ऐसी आदतों को अपनाने लगते हैं जो हमारे मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं।
नींद और सोने का तरीका
यदा तु मनार्स  क्लानाते  कर्मात्मानः .विषयोभ्यो निवर्तन्ते तदा स्वपिति मानवः .(चरक सूत्रस्थान )
जब कार्य करते करते मन थक जाता हैं एवं इन्द्रियां भी थकने के कारण अपने अपने विषयों से निवृत हो जाती हैं तब मनुष्य शयन करता हैं
नींद का अधिक आना और ना आना दोनों ही एक गंभीर समस्या है। अगर आप उन लोगों में से हैं जो एक अच्छी नींद नहीं लेते। तो इसकी वजह से आपको कुछ भी याद रखने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं अगर आप ऐसा लंबे समय तक पर्याप्त नींद नहीं लेते तो इससे आपकी मौत भी हो सकती है।
इसके अलावा अगर आप मुंह ढक कर सोते हैं तो इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं का विकास रुक जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है और ऑक्सीजन का स्तर शरीर में कम होने लगता है। जिसका असर मस्तिष्क पर पड़ता है।
निद्रयत्तम सुखम दुखम पुष्टिः कार्श्य बलाबल्म  .वृष्ता क्लीब्ता ज्ञानमज्ञानं जीवितं न च .
सुखपूर्वक निद्रा के आने  से शरीर में आरोग्य ,शरीर का पोषण ,बल की वृद्धि ,शुक्र की वृद्धि ,ज्ञानेन्द्रियों की उचित रूप में प्रवृति और आयु नियत रूप से यथाकाल बानी रहती हैं .निद्रा के न आने पर शरीर में रोग ,कृशता ,बल की हानि ,ज्ञानेन्द्रियों का अपने विषयों में उचित रूप से प्रवृत न होना और निद्रा के न आने से अनेक भयंकर रोग होने से मृत्यु तक की संभावना हो जाती हैं .
शुगर का अधिक सेवन
हम जो भी खाते हैं उसका सीधा असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। ऐसे में अगर आप अपनी खाद्य सामग्री में शुगर का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, तो यह शरीर में पोषक तत्वों और प्रोटीन के अवशोषण को बाधित करता है। जिसकी वजह से मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी बहुत हद तक प्रभावित करती है। यही नहीं अगर लंबे समय तक शुगर का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो यह कुपोषण का कारण तो बनती ही है। साथ ही मस्तिष्क के विकास को भी धीमा कर देता है।
प्रतिक्रिया  पड़ सकता है भारी
हम सभी ज्यादातर छोटी – छोटी बातों पर ओवररिएक्ट करते हैं या गुस्से में चिल्लाने लगते हैं। अगर आप खुद अपने बीते कुछ दिनों को ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि, आपने हाल ही में कितना ज्यादा गुस्सा किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह बात – बात पर ओवर रिएक्ट करना आपके मस्तिष्क के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। दरअसल जब आप ऐसा करते हैं तो मस्तिष्क की रक्त धमनियां सख्त होने लगती है। जिसकी वजह से आपकी मस्तिष्क की कार्य क्षमता कमजोर होने लगती है।
ब्रेकफास्ट  न करना या छूट जाना
ब्रेकफास्ट को दिन का सबसे जरूरी  आहार  माना जाता है। यह हमें दिन भर ऊर्जावान रहने में मदद करता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस बीच हमने लगभग 8 घंटे से कुछ भी नहीं खाया होता। ऐसे में सुबह के समय हमारे शरीर को शुगर और अन्य पोषक तत्वों की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। इस स्थिति में अगर आप लगभग रोज अपना ब्रेकफास्ट नहीं करते  हैं या ऐसा करना बंद कर दें। क्योंकि यह आगे चलकर आपके मस्तिष्क के डिजनरेशन की वजह बन सकता है।
अधिक शारीरिक श्रम जो मस्तिष्क के लिए खतरनाक
अगर आप ज्यादा बीमार हैं और इसके बावजूद बहुत मेहनत करते हैं या पढ़ाई करते हैं या फिर मस्तिष्क से जुड़ा हुआ कोई काम करते हैं तो इसकी वजह से मस्तिष्क की कार्य क्षमता कम होने लगती है।
नियमितता भोजन में करना
आजकल अजीर्ण ,अपचन ,अम्लपित्त ,आमाशय  में छाले अमूमन सामान्य बात हो रही हैं उसका मुख्य कारण अनियमित भोजन करना .इसके कारण एक बार रुग्ण होने पर आप अपने द्वारा अर्जित धन और उससे आहार का आनंद नहीं भोग सकेंगे .
संतुलित आहार होना
समयाभाव के कारण तुरंत या रेडीमेड या बनाया बनाया भोजन करने के कारण संतुलित भोजन न मिलने से कमजोरी और उसके कारण अन्य संबधित बीमारियों को आमंत्रित करते हैं .दिन चर्या नियमित और संतुलित बनाये रखना अत्यंत आवश्यक हैं ,अन्यथा जीवन रोगग्रस्त और कष्टमय हो जाता हैं .
ध्यान और व्यायाम
अपने व्यस्त समय में से कुछ समय व्यायाम और आत्मावलोकन के लिए जरूर निकाले और सकारातमक सोच का विकास करे
अगर आप इनमें से किसी भी तरह की दिनचर्या या आदत से घिरे हुए हैं तो आप ऐसा करना तुरंत बंद कर दें। तभी आपका मस्तिष्क स्वस्थ रहेगा। इसके अलावा अपनी खाद्य सामग्री में ऐसी चीजों को शामिल करें, जो मस्तिष्क के लिए फायदेमंद हो।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल ०९४२५००६७५३

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