मध्य प्रदेश के विकास में पिंक क्रांति का योगदान ! – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

0
89

हर व्यक्ति ,परिवार ,समाज ,राज्य ,देश और विश्व विकसित होणाचाहता हैं .पहले गरीब ,फिर विकासशील और फिर विकसित .विकास की परिभाषा हमारा सुसज्जित घर हो ,वाहन ,सुख सामग्रियां और धन दौलत ,इसी प्रकार राज्य भी चाहता हैं की राज्य में सड़क बिजली पानी ,शिक्षा स्वास्थय भवन इत्यादि की सम्पन्नता हो और सब नागरिक सुखी रहे .यही फार्मूला सब जगह लागु होता हैं .जिस घर में धन आता हैं वह शीघ्र श्रीवृद्धि प्राप्त करता हैं धन की हमने परिभाषा बना ली हैं की यह काला या सफ़ेद होता हैं .धन तो लक्ष्मी हैं जिसके पास आयी उसकी और गयी तो उसकी .इसलिए उसे चंचला भी कहते हैं .
हमारा देश अहिंसा .शांति के लिए जाना पहचाना जाता हैं .क्योकि इस देश ने महावीर ,गौतम जैसे अहिंसा के पुजारी दिए जिन्होंने अहिंसा का पाठ विश्व में उदघाटित किया और उसकी अहमियत को पहचाना .जैसे कहा भी जाता हैं की जैसा खाएंगे अन्न .वैसा होगा मन ,जैसा पियेंगे पानी वैसी होगी वाणी .जैसी होगी कमाई वैसे होगी भलाई .
मध्य प्रदेश में वर्ष २००३ से भारतीय संस्कृति के समर्थक और हिंदुत्व के झंडे को अपनी शान समझते हैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार जहां जिसमे अधिकांश समय वर्तमान मुख्य मंत्री जी का हैं जो धर्मभीरु ,संवेदनशील और साधु संतों का सम्मान करने वाले हैं जिनका हृदय कोमल और दयालुता से परिपूर्ण हैं जिनके द्वारा दिन रात मेहनत कर प्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाल कर विकासशील राज्य में ले आएं ,जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं और उससे उनका व्यक्तिगत विकास भी हुआ .
मध्य शासन की आर्थिक सर्वे २०१७ -१८ की रिपोर्ट सुखद और आँख खोलने वाली हैं .मध्य प्रदेश ांडा और मांस निर्यात में विगत पांच वर्षों में दुगना लक्ष्य प्राप्त करने वाला राज्य बन गया . वर्ष २०१२-१३ में मध्य प्रदेश में अण्डों का उत्पादन ८७.१२ करोड़ से २०१६ -१७ में १६९.४१ करोड़ अण्डों का उत्पादनकिया .वर्ष २०१२-१३ में मांस उत्पादन ४०,००० मेट्रिक टन हुआ था और २०१६-१७ में ७९,००० टन उत्पादन किया .जबकि इसी दौरान दूध का उत्पादन डेढ़ गए हुआ .२०१२ -१३ में ८८,३८,००० मेट्रिक टन हुआ और २०१६-१७ में १३,४४५,००० मेट्रिक टन हुआ..
हमारे देश में पहले हरित क्रांति की शुरुआत हुई उससे हम अन्न के प्रति आत्म निर्भर हुए .उसके बाद श्वेत क्रांति के कारण हम दूध में आत्म निर्भर हुए .उसके बाद भारत शासन के साथ राज्य शासन की आर्थिक सुधार हेतु पिंक करती का आविर्भाव हुआ जिससे हमने मांस निर्यात चमड़ा निर्यात,मछली निर्यात ,अंडा निर्यात को इतना बढ़ावा दिया की हम आज विश्व में नंबर एक पर हैं मॉस आदि के निर्यात से और हमारी आर्थिक स्थिति में इसका बहुत बड़ा योगदान हैं और हमारा मनपसंद प्रदेश भी अग्रणी हैं .यह सब उस महान शांति के पुजारी के जिसके नेतृत्व में हम विकास की और अग्रसर हो रहे हैं .
जो मुख्य मंत्री शांति.अहिंसा दया की कसमें खाते नहीं अघाता ,मंदिर मस्जिद ,गुरुद्वारा ,साधु संतों महंतों ,शंकराचार्यों के चरणों में बैठकर आशीर्वाद लेते हैं और उनकी कृपा से .मार्गदर्शन में चलने की कसम खाते हैं और दूसरी और उनका और उनकी सरकार का चरित्र हमें क्या दिखाता हैं ?.सुंदरता के पीछे कितनी कुरूपता छिपी हैं यह सब उजागर हो रहा हैं .याद रखे सबके पीछे कर्मों की रिकॉर्डिंग हो रही हैं ,सबके पीछे सी सी टी वी लगी हैं वहां कोई सहायक नहीं हैं .
जितने भी राजा होते हैं वे सब नरकगामी होते हैं कारण उनका कोई भी कृत्य या भाव पाप और कषाय जन्य होते हैं .उनका चौबीस घंटा सुख शांतिमय नहीं बीतता .दिन रात राग द्वेष की तुला में ऊपर नीचे रहता हैं अहिंसा /समत्व भाव /वीतराग भाव का अभाव रहता हैं .खास तौर पर राजनीती में दिनरात छलावा ,झूठ ,मायाचारी ,कुटिलता मय रहता हैं .दिनरात लोभ लालच के लिए हिंसा करना सामान्य बात हैं भाव नहीं तो द्रव्य हिंसा .वे जरूर ऊपर से सम्पन्न दीखते हैं पर हैं सब दया के पात्र .
इस कारण इन्हे स्वीकारना चाहिए की हम हिंसा के पुजारी हैं और इन्हे गुरुओं के समक्ष झूठी कसम /वादें करके आशीर्वाद लेने का कोई अधिकार नहीं हैं और जो आशीर्वाद लेने के बाद वचन भग्न करते हैं वे और गुरुतर पाप के भागीदार होते हैं .या तो न आशीर्वाद ले और न झूठे वचन दे . उपरोक्त आंकड़ें मध्य प्रदेश सर्कार के द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बताये गए हैं .जिससे साफ़ जाहिर होता हैं की हमारा मध्य शासन अपनी आर्थिक उन्नति हेतु पिंक क्रांति का सहारा ले रही हैं और इसमें उनकी पार्टी का सहयोग और भागीदारी हैं .
पार्टी प्रवक्ता का कहना हैं की वर्ष २००३ से आर्थिक विकास उत्तरोत्तर बढ़ा हैं .कृषि उत्पादन से विकास हुआ पर बहुआयामी विकास में पिंक क्रांति का बहुत योगदान हैं .इस प्रकार हमारा मध्य प्रदेश पिंक क्रांति शराब बिक्री और अन्य अन्य आय(अन्याय ) के कारण विकसित हो रहा हैं यह कृत्रिम विकास हैं .
न्यायो दयाद्र वृत्तत्वं अन्यायः प्राणिमारणम .दया से कोमल परिणाम होना न्याय हैं और प्राणियों का मारना अन्याय हैं .
दया भाव हिरदै नहिं ,ज्ञान कथै बेहद !
ते नर नरकहि जाहिंगे ,सुनी साखी शब्द !!
जिनके हृदय में दया भाव नहीं हैं ,अर्थात प्राणियों के प्रति सेवा -उपकार की भावना नहीं हैं और वे सीमा से अधिक ज्ञान का कथन करते हैं ,ऐसे मनुष्य केवल साखी -शब्दों को सुनसुनकर भी ,भयंकर दुःख रूपी नरक में जायेंगे अर्थात जीवन -कल्याण के लिए करुणापूर्ण हृदय का होना परम आवश्यक हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संस्थापक शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here