झूठे ,मक्कारों, चापलूसों से बचना ही श्रेयस्कर हैं

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बिके हुए लोगों से अच्छे हैं चुके हुए लोग
जो करते हैं व्यभिचार अपनी ही प्रतिभा से .
जबसे हमारे देश में स्वंत्रतता मिली और अप्रत्यक्ष्य में पत्रकारिता को चौथा स्तम्भ जैसे की मान्यता मिली और पत्रकार होने के लाभ मिले तब से पत्रकार हर गांव ,कसबे ,शहर महानगर में कुकुरमुत्ते जैसे पैदा हुए .वार्षिक,अर्धवार्षिक ,त्रिमासिक ,मासिक, पाक्षिक,साप्तहिक, और दैनिक पत्रिकाओं ,समाचार पत्रों की बाढ़ सी आयी और पत्रकार समाज के साथ साथ देश के भाग्य विधाता बनने लगे .
पत्रकारिता इतिहास बहुत गौरवमय रहा हैं ,भारतेन्दु हरिश्चंद्र से लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी .गणेशशंकर विद्यार्थी आदि आदि जैसे लोगो ने भूखे पेट रहकर अभावों की जिंदगी जीकर अपने पारणों की आहुति दी .उनका योगदान आज भी सम्मान और आदर से लिया जाता हैं और रहेगा .जिन्होंने पत्रकारिता में मील का पत्थर साबित हुए .
यह क्रम बहुत वर्षों तक रहा .पर जबसे अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता के स्थान पर स्वंच्छंदता मिली और पहले पत्रकार अपने भरण पोषण के लिए करपात्र लेकर सेठ साहूकारों मालिकों के सामने दीन हीन होकर याचना करने को बाध्य होना पड़ता था .कुछ झुके और कुछ टूट गए .
जबसे स्वच्छंदता मिली और पीत पत्रकारिता के कारण जो पत्रकार सेवक होते थे वे मालिक बन गए .जो स्थापित होते हैं वे अपने आपको ऐसा समझते हैं जैसे नगर निगम की कचरा गाड़ी के नीचे चलने वाला कुत्ता अपने आपको यह समझता हैं की में यह गाड़ी चला रहा हूँ .
विगत ३० वर्षों से अधिक समय में मीडिया यानी समाचार पत्रों ,पत्रिकाओं और टी वी के कारण समाचार संचार साधनों की बढ़ोत्तरी हुई और उनमे नए नए प्रयोग होना शुरू हुआ .उससे सरकारी अधिकारी नेताओं मंत्रियों के साथ व्यापारिक वर्गों के साथ ब्लैकमेल होना शुरू हुआ .इसके बाद जब सीमायें लांघना शुरू हुआ तो पहले सरकार ने दबाव बनाया मालिकों पर और मालिक शासकीय विज्ञापनों के लोभ से सरकार के सामने नतमस्तक हुए .और उनका चैनल सरकारों के इशारों पर काम करना शुरू किया .
टी वी चैनल में प्रत्यक्ष्य प्रसारण होने से कभी कभी शर्मिंदगी की स्थितियों का सामना करना पड़ता हैं .सरकार से प्रभावित होने कारण शासक पक्ष की प्रशंसा में बहुत कसीदे पढ़े जाते हैं कारण उनको विज्ञापन और सरकारी सुरक्षा जो कवच का काम करता हैं .अन्यथा विपरीत स्थिति का सामना करने का भय रहता हैं .
मोदी शासन काल में टी वी चैनल और समाचार पत्रों पर जबरदस्त नियंत्रण हैं और सभी सरकारों ने प्रचार प्रसार में अरबों खरबों की राशियाँ खर्च की और पूरा संचार साधन अपने नियंत्रण में रखा हैं जिस कारण अच्छे ,निष्पक्ष ,ईमानदार एंकरों पत्रकारों को स्तीफा देने बाध्य होना पड़ा और किसी किसी की दबाव के कारण मौत तक हो गयी .
टी वी चैनलों में जो वादविवाद ,बहस होती हैं जिसे श्वान युध्य कहते हैं और उनके एंकर अमूमन सत्ताधारी पक्ष के पक्षधर होते हैं वे विपक्ष को हमेशा नीचा दिखाने का काम करते हैं और सत्ता पक्ष का बढ़चढ़कर बचाव करते हैं .और जनता इन बिके हुए एंकरों की बातों पर भरोसा करके भृमित होते हैं .
आई एन डी आई ए गठबंधन द्वारा चाटुकार /बिके हुए एंकरों की बहस में भाग ना लेने का निर्णय स्वागत और प्रशंसनीय हैं .अमन चोपड़ा ,अमीश देवगन ,अदिति त्यागी अर्णव गोस्वामी ,अशोक श्रीवास्तव ,नाविका कुमार ,रुबिका लियाकत ,सुधीर चौधरी आदि जो ब्लैकमेल ,सरकारों और मालिकों से करोड़ों रूपया वेतन के रूप में मिल रहा हैं .इनको पैसा से मतलब हैं ,नैतिकता ,मूल्यों से कोई लेना देना नहीं .सही में इनके द्वारा विघटन कराया जाता हैं .जहाँ आग ना लगी हो वाहन लगा देते हैं ,भड़का देते हैं .
वर्तमान मोदी सरकार भी अंग्रेजो की नीति पर चलकर अपनी रोटी पका रहे हैं .यह निर्णय गठबंधन बहुत अनुकरणीय हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संस्थापक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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