जैसे पानी से जुदा होकर मछली मर जाती है.. वैसे ही आदमी के भीतर से इन्सानियत निकल जाये तो, आदमी जीते जी मर जाता है..! प्रसन्न सागर जी महाराज

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जैसे पानी से जुदा होकर मछली मर जाती है..
वैसे ही आदमी के भीतर से इन्सानियत निकल जाये तो, आदमी जीते जी मर जाता है..! प्रसन्न सागर जी महाराज            औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की
जैसे पानी से जुदा होकर मछली मर जाती है..
वैसे ही आदमी के भीतर से इन्सानियत निकल जाये तो,
आदमी जीते जी मर जाता है..!
फिर भी मनुष्य और जानवर में समानता बहुत है। विवेक, बुद्धि, समझ दोनों में है। मनुष्य अभिव्यक्त कर देता है, लेकिन जानवर अभिव्यक्त नहीं कर पाता। मनुष्य के पास अच्छा बुरा सोचने, समझने और क्रियान्वित करने की शक्ति है, लेकिन जानवरों के पास क्रियान्वित करने की शक्ति नहीं है।
गधा जब पैदा होता है तब भी वह गधा होता है और जब मरता है तब भी। मनुष्य जब पैदा होता है तब भगवान का रूप होता है और जब मरता है तो _____??? लेकिन मनुष्य के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। मनुष्य सम्राट की तरह पैदा होता है, भिखारियों की तरह जीता है और जीवन भर भीख मांगते मांगते, रोते रोते मर जाता है।जानवरों ने आज तक अपना इमान, धर्म, विश्वास नहीं खोया लेकिन मनुष्य ने सब कुछ खो दिया और बद से बदत्तर जिन्दगी जी रहा है। इसलिए संसार में जितने भी परमात्मा है, उनके चिन्हों में पशु,पक्षी, जानवर तो मिलेंगे लेकिन एक भी चिन्ह आदमी का नहीं मिलेगा-?  भगवान को भी भरोसा नहीं था आदमी पर।
आज बड़ी बड़ी पोस्टो पर कुत्ते, घोडे, ऊंट, हाथी मिल जायेंगे। और पढ़ा लिखा इन्सान इन जानवरों को सैल्यूट मारता है। आदमी के भीतर से जब प्रेम, करूणा, दया और सम्वेदनशीलता खत्म हो जाती है तो वह पत्थर दिल हो जाता है और उसका पतन होना प्रारंभ हो जाता है।
हम अपनी सम्वेदनाओं को जाने, पहचानें और इन्सानियत का जीवन जीयें…!!!। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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