औरंगाबाद ,आज की दौड़ती भागती ज़िन्दगी में, एक नया दौर शुरू हुआ है – वह दौर है असुरक्षा का भय। आज हमारी बहिन, बेटियाँ, महिलाओं का चरित्र सुरक्षित नहीं है। कानून अपना काम करेगा, सरकार अपना काम करेगी और कर्म अपना काम करेगा।
हम दुनिया की नजरों से बच सकते हैं, लेकिन खुद और खुदा की नजरों से नहीं बच सकते। हम विचार करें कि तकनीकि विकास और चरित्र का ह्रास, यह कैसा विकास है भाई-?शायद विकास की आड़ में ही हम अपराधी बनते जा रहे हैं।
मैं देख रहा हूँ- आजकल छोटी छोटी बहिन बच्चीयों का चरित्र भी सुरक्षित नहीं रह पा रहा है। आश्चर्य तो तब होता है जब बहिन बच्चीयों के चरित्र के साथ हमारे अपने परिवार और रिश्तेदार ही होते हैं। अधिकांश परिवार और रिश्तों की आड़ में ही चरित्र के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कभी कभी कुछ लोगों का उपचार बातों से नहीं दण्ड देकर भी करना पड़ता है। दण्ड कानून देता है, परिवार समझाइश करता है और कर्म मार मारता है। फिर कोई भी बचाने नहीं आता। इसलिए जो भी कर्म करो, उसके फल को भोगने के लिये तैयार हो कर करो।
_जैसा कर्म करोगे वैसा फल देगा भगवान…!!!_। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद