औरंगाबाद नरेंद्र / पियुष जैन – भगवान महावीर के बाद सिंह निष्क्रीडित की साधना करने वाले भारत के एक मात्र जैन जगत के दिगंबर संत परम श्रद्धेय गुरुदेव अंतर्मना साधना महादधि तपाचार्य आचार्य मुनि श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश रामगढ़ में हुआ। गुरुवार को उनके रामगढ़ आगमन पर बाजार टांड से बैंड बाजे के साथ जुलूस के रूप में जैन समाज के लोगों ने अगवानी की। नगर भ्रमण कर श्री दिगंबर जैन मंदिर रामगढ़ पहुंचे। यहां मंगल प्रवेश पर श्री दिगंबर जैन समाज रामगढ़ के अध्यक्ष मानिक चंद जैन की अगुवाई में जैन समाज की महिला और पुरुषों ने मुनि श्री का अभिनंदन और स्वागत किया। सर्वप्रथम महाराज श्री का पग परिचालन व आरती की गई।
इसके बाद मुनि श्री ससंघ मंदिर में भगवान के दर्शन और स्वाध्याय किया। अंतर्मना मुनि श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के अमृत वाचन में आईना जब भी उठाया करो, पहले देखो फिर दिखाया करो, फूटा घड़ा और फूला व्यक्ति हमेशा खाली ही रहता है, पहले मैं वहां देखता था, जहां फूल खिले होते थे, अब मैं जहां देखता हूं, वहीं फूल खिले मिलते है, मन में वहम, बुद्धि में अहम और व्यवहार में शर्म आ जाए तो रिश्तों की हार सुनिश्चित है, जिसने अपना मूल्यांकन किया वो सुखी है और जिसने दूसरों का मूल्यांकन किया वो सबसे दुखी इन्सान है, आज जो कुछ भी तुम्हारे पास है, वो स्वांस रुकते ही छूट जाएगा, कुछ करीब के लोगों को बहुत दूर देखा, जैसे संदेश शामिल है।
मौके पर समाज अध्यक्ष मानिक जैन, नरेंद्र छाबड़ा, अरविन्द सेठी, ललित चुरीवाल, जीवन पाटनी, राजेंद्र पाटनी, राजेंद्र चूरीवाल, राजेश सेठी, विमल सेठी, शांतिलाल सेठी, जंबू पाटनी, अशोक ट सेठी, अशोक काला, देवेन्द्र गंगवाल, सुशील चूरीवाल, मोनू प सेठी, संजय सेठी, पदम चंद छाबड़ा, अशोक काला, मांगीलाल चूरीवाल, नितिन पाटनी, बबलू सेठी, नीरज सेठी, पदम चंद जैन, अजय पाटनी, विनोद पहारिया, निशांत सेठी, सौरव अजमेरा, विवेक अजमेरा, टीकम चंद बागड़ा, रघु गंगवाल, अंकित जैन, ललित गंगवाल, प्रदीप जैन, अशोक कुमार रापरिया, दिलीप रापड़िया, सुनील पाटनी, पदम चंद सेठी, रोहित जैन, बीरेंद्र गंगवाल अनेक लोग मौजूद थे।
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद