घर के भगवान माता-पिता हैं। सच्चे रिश्ते — अच्छे मित्र और सही दिशा देने वाला गुरू, सदगुरू मिल जाये तो पैदल की जिन्दगी भी बहुत आसान और मजेदार होगी…!!!अंतर्मना गुरुदेव 108 प्रसन्नसागरजी महाराज

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घर के भगवान माता-पिता हैं।    सच्चे रिश्ते — अच्छे मित्र और सही दिशा देने वाला गुरू, सदगुरू मिल जाये तो पैदल की जिन्दगी भी बहुत आसान और मजेदार होगी…!!!अंतर्मना गुरुदेव 108 प्रसन्नसागरजी महाराज.                          औरंगाबाद/हैदराबाद पियुष, कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा औरंगाबाद  ‘घर के भगवान माता-पिता हैं। मंदिर में भगवान के चरण छूने से मोक्ष का द्वार खुलता है और घर में माता-पिता, सास- ससुर ही भगवान हैं। उनके चरण छूने से घर स्वर्ग बन जाता है।’
उक्त उद्‌गार आगापुरा स्थित श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान, शिक्षण, संस्कार शिविर में अंतर्मना गुरुदेव 108 प्रसन्नसागरजी महाराज ने व्यक्त किए। पूज्यश्री ने कहा कि जीवन में कोई ऐसा काम मत करना, जिससे तुम्हारे माता- पिता विरोधी हो जाएँ। जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया, पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया, जहाँ तुम आज हो उस योग्य बनाया और तुम अपने क्षणिक स्वार्थ में उनकी भावनाओं पर कुठाराघात करते हो।  जीवन में सब कुछ पुण्य से ही मिलता है, इसलिए पुण्य संचय करो।थोडा बहुत शतरंज का आना भी जरूरी है मित्रो —
कई बार सामने वाला, मोहरे चल रहा होता है, और हम जिन्दगी भर रिश्ते निभाते रह जाते हैं..!
एक सज्जन आये और बोले – आचार्य श्री आप ऐसा आशीर्वाद दें कि मरण सुधर जाये-? मैं उस व्यक्ति की तलाश में हूँ, जो यह कहे कि — आचार्य श्री आप ऐसा आशीर्वाद दें कि जिससे जीवन सुधर जाये। मरण को सुधारने की चिन्ता मत करो, क्योंकि वो हमारे आपके हाथ में नहीं है। मौत जब भी आयेगी, वो तुम्हें बेहोश, गाफ़िल, मूर्छित करके ही आयेगी। तुम उस वक्त कुछ भी नहीं कर पाओगे। तन्त्र, मन्त्र, पंडित, ज्योतिषी, वैद्य, डाक्टर, हकीम ये कुछ भी नही कर पायेंगे। इसलिए मैं आप से कह रहा हूँ कि केवल अपनी जिन्दगी के बेश कीमती चन्द लम्हों को सार्थक कर लो, तो जीवन भी संभल जायेगा और मरण भी सुधर जायेगा।
कौन कहता है कि बड़ी गाड़ियों में ही सफर अच्छा होता है। सच्चे रिश्ते — अच्छे मित्र और सही दिशा देने वाला गुरू, सदगुरू मिल जाये तो पैदल की जिन्दगी भी बहुत आसान और मजेदार होगी…!!!
उपाध्याय मुनि 108 पीयूषसागरजी महाराज ने शिक्षण शिविर में कहा कि रत्नत्रय ही मोक्ष का मार्ग है।
आगापुरा स्थित श्री 1008 चन्द्रप्रभु जैन मंदिर में आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान, शिक्षण, संस्कार शिविर को संबोधित करते गुरुदेव 108 प्रसन्नसागरजी महाराज, उपाध्याय मुनि 108 पीयूषसागरजी महाराज, प्रवर्तक मुनि 108 सहजसागरजी महाराज।
दर्शन (राइट फेथ), सम्यक ज्ञान (राइट नॉलेज), सम्यक चारित्र (राइट कंडक्ट), धर्म के ऊपर सही श्रद्धा, धर्म का सही ज्ञान, उस पर सही आचरण ही मोक्ष का पथ है। है। उपाध्यायश्री इन इन तीनों के बारे में शिक्षार्थियों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि घर के भगवान माता पिता हैं, मंदिर के भगवान जिनेंद्र देव हैं। उनके नित्य देव दर्शन करो, अभिषेक करो, चरण छुए बिना दर्शन के सम्यक दर्शन नहीं हो सकता। मात्र दर्शन से भी काम नहीं चलेगा। देव दर्शन कुलाचार है
तो देव पूजा षट आवश्यक में है और
पूजा बिना अभिषेक के नहीं होती। मंदिर में भगवान के चरण छूने से मोक्ष का द्वार खुलता है। घर में माता-पिता, सास ससुर ही भगवान हैं, उनके चरण छूने से घर स्वर्ग बन जाता है। अगर घर को स्वर्ग बनाना है, तो रोज सुबह उठकर उनके पैर छुओ। आपके माता पिता को न आपकी संपत्ति की जरूरत है, न गाड़ी की, आप तो बस सुबह उनके चरण स्पर्श करो, शाम को थोड़ी देर सेवा करो, प्यार से दो शब्द बोल दो, उनके
लिए यही बहुत काफी है। आगापुरा जैन मंदिर में शिक्षण शिविर
में नैतिकता और कर्तव्य का बोध कराते हुए प्रभावी वक्ता प्रवर्तक मुनि 108 सहजसागरजी महाराज ने कहा कि जिस कुल में तुमने जन्म लिया है, उसकी नाक कभी न कटने पाए, यह तुमको ध्यान रखना है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विस्तार पूर्वक समझाते हुए उन्होंने बताया कि जिन प्रतिमा ऊर्जा की बहुत बड़ी स्रोत हैं। 6 द्रव्य, 7 तत्व, 9 पदार्थों के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी। नरेंद्र  अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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