दिगम्बरत्व प्रदर्शन का नहीं आत्मदर्शन का प्रतीक है- मुनि विनंद सागर जी

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  • वार्षिक कलशाभिषेक एवं विमानोत्सव के साथ क्षमावाणी महापर्व मनाया।
  • पावागिरि जी में मुनि श्री 108 सरल सागर जी महाराज का 40वां दीक्षा दिवस मनाया।

तालबेहट (ललितपुर) वीर बुंदेलखंड के प्रसिद्ध श्री 1008 श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र पावागिरि जी में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य महान तपस्वी मुनि श्री 108 सरल सागर जी महाराज का 40वां दीक्षा दिवस एवं क्षमावाणी महापर्व मनाया। कार्यक्रम के शुभारम्भ में मंगलाचरण विनोद भैया वैरागी ने किया। मुनिश्री की भक्तिभाव के साथ पूजन अर्चना की गयी, श्रद्धालुओं ने पाद पृच्छालन कर शास्त्र भेंट किये एवं मंगल आरती उतारी। इस मौके पर मुनि सरल सागर जी महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब सांसारिक मोह माया से वैराग्य उत्पन्न हो जाये तब ही दीक्षा सार्थक होती है और दिगम्बरत्व को धारण किया जा सकता है।

उन्होंने कहा जिस परिवार में सबसे बुजुर्ग व्यक्तियों को आदर सम्मान और प्रेम मिलता है, सभी परिजन क्षमा भाव को धारण करते हैँ उसका कोई ग्रह कुछ नहीं बिगाड़ सकते और जिनेंद्र भगवान के समक्ष अष्ट द्रव्य चढ़ाने से सभी ग्रह दूर हो जाते हैं। तत्पश्चात वार्षिक कलशाभिषेक शांतिधारा की क्रियाएं सम्पन्न की गयी। संचालन ज्ञानचंद जैन पुरा एवं आभार व्यक्त जयकुमार जैन कन्धारी ने किया।

वहीं कसबे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में उच्चार्णाचार्य विनम्र सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 विनंद सागर जी महाराज एवं मुनि श्री 108 विनुत सागर जी महाराज के मंगलमय सानिध्य में क्षमावाणी महापर्व मनाया गया। सुबह से ही भारी संख्या में धर्मावलंबियों ने मंदिर पहुँच कर मूलनायक भगवान पारसनाथ स्वामी एवं बड़े बाबा आदिनाथ स्वामी का अभिषेक-शांतिधारा पूजन विधान कर पुण्यार्जन किया। मुख्य कार्यक्रम दोपहर की बेला में आयोजित किए गए वार्षिक विमानोत्सव कार्यक्रम में पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर से श्री जी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भगवान आदिनाथ स्वामी जी को विमान में लेकर श्रद्धालु, मुनि द्वय के साथ धर्मध्वजा लेकर श्रेष्ठीजन, डी जे बैंड की धार्मिक धुनों पर नृत्य करते युवा, मंगल गीत गाती हुई महिलाएं, सत्य-अहिंसा एवं जियो और जीने दो के नारे लगाते हुए धर्मावलंबियों ने नगर भ्रमण किया, श्री 1008 वासुपूज्य दिगम्बर जैन नया मंदिर से वापस बड़े मंदिर जी पहुँचे, भक्तों ने मंगल आरती उतारी एवं श्रीजी की शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया। आचार्यप्रवर श्री विद्यासागरजी महाराज एवं गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर ज्ञानद्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

पर्युषण पर्व में आयोजित भव्य गुणानुवृद्धि श्रावक संस्कार शिविर के शिविरार्थियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। मुनि श्री विनंद सागर जी महाराज ने कहा दिगम्बरत्व प्रदर्शन का नहीं आत्मदर्शन का प्रतीक है, यह वासना नहीं उपासना का प्रतीक है। उन्होंने कहा क्षमा विनम्रता का भाव वैसे ही उत्कृष्टता की ओर ले जाता है जैसे किसी पेड़ की डाली को नीचे की ओर झुकाकर छोड़ते हैँ तो वह अपनी ऊंचाई से कहीं अधिक ऊपर तक जाती है, और घमंड की बिल्डिंग कितनी भी ऊँची क्यों ना हो वह 9 सेकंड में ढह जाती है। मुनिश्री विनुत सागर जी महाराज ने कहा क्षमा भाव को धारण करने से ऊंचाईयों तक पहुँच सकते हैँ। उन्होंने कहा कलुषित आत्मा को पवित्र करने के लिए क्षमा भाव बहुत आवश्यक है जो पर्यूषण पर्व का पहला धर्म है यह इसभव और परभव में सुख देने वाला है ।

तत्पश्चात कलशाभिषेक शांतिधारा की क्रियाएं सम्पन्न की गयी। रात्रि में संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके शुभारम्भ में समीक्षा मोदी सीमा सिर्स और नीलू मोदी ने मंगलाचरण किया। चौधरी चक्रेश जैन के दिशा निर्देशन में पर्यूषण पर्व में आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित कर प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। तत्पश्चात क्षमावाणी का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने गत वर्ष में की गयी गलतियों एवं भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमा मांगी। दशलक्षण महापर्व पर श्री 1008 वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर की पावन धरा पर अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा के संचालन में आयोजित प्रतियोगिताओं के अंतर्गत जूनियर वर्ग की भजन, फैंसी ड्रेस और भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर आन्या जैन विधि चैंपियन बनी। कार्यक्रम को सफल बनाने में सकल दिगम्बर जैन समाज का सहयोग रहा और सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। संचालन अनिल जैन चौधरी ने किया। अंत में आभार व्यक्त प्रवीन जैन कड़ेसरा एवं अजय जैन मोनू विरधा ने संयुक्त रूप से किया।

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