चौदहवे तीर्थन्कर श्री अनन्तनाथ जी का जन्म वैशाख क्रष्णा त्रयोदशी के दिन अयोध्या नरेश सिन्ह्सेन की रानी सुयशा देवी की रत्नकुक्षी से हुआ | अनन्तनाथ जी ने युवावस्था मे ग्रहस्थ -धर्म के निर्वाह हेतु पाणिग्रहण सन्स्कार स्वीकार किया | पिता के पश्चात राज्य का सन्चालन भी किया | जैसे कमल कीचड मे जन्म लेकर भी उससे निर्लिप्त रहता है एसे ही प्रभु भी सन्सार के दायित्वो को वहन करते हुए भी माया – ममत्व आदि से मुक्त रहे |
जीवन के उत्तरपक्ष मे पुत्र को राज्य मे स्थापित करके वैशाख क्रष्णा चतुर्दशी के दिन अनन्तनाथ अभिनिष्क्रमण के पथ पर बढ चले | तीन वर्षीय साधनाकाल मे प्रभु ने घाती कर्मो का घात कर वैशाख क्रष्णा चतुर्दशी के दिन अपने ग्रहनगर मे ही कैवल्य प्राप्त किया | धर्मोपदेश की गन्गा प्रवाहित कर तीर्थ की रचना की |
भगवान के यश आदि पचास गणधर थे | चतुर्विध सन्घ मे छियासठ हजार श्रमण , बासठ हजार श्रमणिया ,दो लाख छ्ह हजार श्रावक एवम चार लाख चौदह हजार श्रमणिया थी |
चतुर्थ बलदेव सुप्रभ एवम वासुदेव पुरुषोत्तम प्रभु के चर्णोपासक थे | चैत्र शुक्ल पन्चमी के दिन सम्मेदशिखर पर्वत से प्रभु ने निर्वाण -लाभ प्राप्त किया |
भगवान के चिन्ह का महत्व
श्येन – श्येन अर्थात ‘ बाज’ | श्येन शब्द का अर्थ है जि्से देखकर दूसरों के चेहरे भय से कांपने लगें | अनन्तनाथ भगवान के चरणों का प्रतीक है यह श्येन | बाज तेज तर्रार , निशानेबाज , फ़ुर्तीला , धूर्त और किसी से भी नहीं डरने वाला , अपने लक्ष्य पर झपटकर उसे प्राप्त करने वाला , अदभुत तेजी वाला पक्षी है | उसके इन दुर्गुणों से भी हम कूछ अच्छी बातें सीख सकते हैं | यदि मनुष्य भी अपने लक्ष्य के प्रति नि्ष्ठावान बन जाए , अपने हाथ में आए अवसरों को जीवन -विकाश के लिए अपने अनुकूल बनाना सीख जाए तो शीघ्र ही अपने लक्ष्य को साध सकता है | यह लक्ष्य – बोधकता सीखने के लिए बाज को प्रतीक माना जा सकता है | भगवान महावीर ने म्रत्यु को श्येन की उपमा देते हुए कहा है कि ‘ सेणो जहा वटटयं हरे ‘ -श्येन जैसे चिडिया पर झपटकर उसे ले जाता है , वैसे ही काल प्राणी पर झपटकर उसे ले जाता है | इसलिए काल से सावधान रहो | चिडिया -कबूतर आदि पक्षी बाज से सावधान रहते हैं वैसे ही तुम भी म्रत्यु से सावधान होकर अप्रमत्त रहो |
असित कार्तिक एकम भावनो, गरभ को दिन सो गिन पावनो |
किय सची तित चर्चन चाव सों , हम जजें इत आनंद भाव सों ||
ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णाप्रतिपदायां गर्भमंगलमंडिताय श्रीअनंतनाथजिनेन्द्राय
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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