आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज ने कहा कि संसार का सबसे बड़ा मंगल दिगंबर मुनिराज है। जहां मुनिराज विराजते हैं, वहां अमंगल की कोई चर्चा नहीं होती। इसलिए किसी भी कार्य को लेकर इतना गंभीर न हों कि यह सोचना पड़े कि कार्य होगा या नहीं। मुनि श्री बड़ोदिया के खेल मैदान में आयोजित चातुर्मास मंगल कलश स्थापना आयोजन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
मुनि श्री ने कहा कि पंचम काल में कलश को अरिहंत की संज्ञा दी गई है। जैसे अरिहंत भगवान पूर्ण ज्ञान से भरे होते हैं, वैसे ही मंगल कलश भी सामग्री से भरा होता है। यह जिस घर में जाता है, वहां मुनिराज का चातुर्मास होता है। चार महीने के इस आयोजन में जितना धर्म होता है, उसका छह प्रतिशत पुण्य उस परिवार को मिलता है। यह परिवार के लिए भविष्य का पुण्य संचय है।
इससे पहले मुनि संघ के सानिध्य में श्री आदिनाथ जैन मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। महिलाएं जिनवाणी और अष्ट द्रव्य की थाल लेकर भक्ति नृत्य करते हुए स्कूल खेल मैदान पहुंचीं। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई, जिसे पल्लवी जैन और उनकी पार्टी ने प्रस्तुत किया। आचार्य श्री के चित्र का अनावरण अतिथियों ने किया। पलक जैन और काव्यं जैन ने कविता प्रस्तुत की।
आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी महाराज और मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज की अष्ट द्रव्य से पूजा की गई। मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज के चरणों का प्रक्षालन विकास जैन पुत्र चांदमल जैन परिवार ने किया। मुनि श्री को जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य रमणलाल नानावटी परिवार नौगामा और क्षुल्लुक अकंप सागरजी महाराज को पंकज जैन परिवार कलिंजरा ने प्राप्त किया। त्रिलोकचंद पांड्या परिवार निवाई ने मुनि श्री को कमंडल भेंट किया। चातुर्मास का ध्वजारोहण विरेश जैन पुत्र पोपटलाल जैन परिवार ने किया। सभी कलशों की बोलियां आशिष भैयाजी ने लगवाई ।
जिले के विभिन्न गांवों और देश के अन्य स्थानों से आए अतिथियों का स्वागत जीतमल तलाटी, सुरेश चंद्र तलाटी, कमलेश दोसी और निलेश तलाटी चारों सेठ सहित समाज के प्रतिनिधियों ने किया। आयोजन में नन्हे बच्चों ने लघु नाटिका के माध्यम से मुनि धर्म और उनके सानिध्य में जीवन कल्याण की बात समझाई।
2025 बड़ोदिया चातुर्मास के लिए मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज के चातुर्मास का मूल प्रथम कलश रोनक जैन पुत्र सतीश चंद्र जैन, संगीता जैन, निक्की जैन, निर्धा जैन परिवार ने स्थापित किया। द्वितीय कलश आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के पूण्यार्जक बबली देवी दोसी, महेश दोसी, कमलेश दोसी, साधना दोसी, शीतल दोसी,विराग,दृष्टा,पुजा, प्राची परिवार ने स्थापित किया। तीसरा कलश जितेंद्र जैन पुत्र पोपटलाल जैन, सोनल जैन, विस्मय जैन, माही परिवार ने स्थापित किया। इन तीनों परिवारों ने बोली लेकर मुख्य कलश जिन मंदिर में स्थापित किए।
इसके अलावा पांच अन्य कलश शांतिलाल दोसी, पंकज तलाटी, संजय खोडणिया, कल्पेश तलाटी, कांतिलाल खोडणिया सहित अन्य श्रद्धालुओं ने स्थापित किए। कार्यक्रम का संचालन आशीष भैया ने किया।