अपने दादा और परदारा गुरुओ की जन्मभूमि पर पधारे मिठाई से भी मीठा व्यक्ति का व्यवहार होता है! एटा के भगवान आचार्य श्री !

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एटा मैं विराजमान भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज संसारी जीव निरंतर दुाखो का अनुभव करता है। दुःख का कारण क्या है? बन्धुओं । दुःख का कारण है जीव की स्वयं की मनमानी । व्यक्ति हाथों से मनमानी करता है, पैरों से, आँखों से, कानों से दिलो-दिमाग से भी मनमानी प्रवृत्ति करता है। आपके लिए सर्व साधन सुलभ है किन्त साप अपनी मनमानी प्रवृत्ति से उन सब सुलभ साधनों को अपने दुःख का साधन, दुःखों का कारण बना लेते हैं। प्यारे बन्धुओ ! आपको यह शरीर मिला है तो मात्र सुख प्राप्त करने के लिए मिला है। आप इस शरीर से वह सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं जो भगवान ने प्राप्त कर लिया है। आप प्रतिदिन वीतरागी भगवान के दर्शन करते हैं, भगवान नासाग्र दृष्टि किए बैठे हैं। आपको भी नेत्र प्राप्त हुए हैं किन्तु आप अपने नेत्रों को पसार-प्रसार कर देखते हैं, यही आपकी मनमानी प्रवृत्ति है। नेत्रों से देखों, लेकिन वह देखो जो स्व-पर हितकारी हो। आप अपने शरीर की, शरीर के सभी अंगोपांगों की मनमानी प्रवृ‌त्ति को छोड़ दीजिए, आपके दुःखों का मार्ग बन्द हो जाएगा और आपके समस्त साधन आपके सुख के साधन बन जायेंगे। ऐसा मांगलिक सदुपदेश धर्मनगरी एटा की घरा पर एटा के भगवान भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए दिया । आचार्य श्री ने सुधी श्रोताओं को जीवन को सुख-शान्ति मय बनाने के लिए औषधिरूप वचन प्रदान करते हुए कहा – प्यारे बन्धुओं । एक बात हमेशा ध्यान रखना मिगई से भी जादा मीठा व्यक्ति का व्यवहार होता है। मिठाई अधिक खा लेने से सुगर (डायबिटीज) बड़ सकती है लेकिन मीठे वचन बोलने से न आपकी सुगर बढ़ेगी, न ही दूसरों की । किन्तु यदि आप अपने वचन अपना व्यवहार कटुक रखते हैं तो ध्यान रखना आपके जीवन में निरंतर एक्सीडेंट हो रहा है। आपकी मनमानी प्रवृत्तियों से आपके जीवन में निरंतर एक्सीडेंट हो रहा है और आप हैं कि मुस्कुरा रहे हैं। मीग बोलें, मीठा व्यवहार रखें एकर आपके जीवन में सहज ही मिगस घुल जाएगी, आपका जीवन खुशियों का आधार बन जाएगा ! 14 माह बाद एटा के भगवान ने किया एटा की धरा को अपनी चरणरण ये पावन । जिनागम पंथ प्रभावना यात्रा को लेकर से मभूमि जतारा से निजारा अतिष्णा से की ओर बढ़ रहे भावलिंगी संत के बाहर विरासते मंगलवार को धर्मनगरी एटा मा क्षेत्र गए । मध्याहन बेला में हजारों की तादाद में विशाल भक्त समूह अगर के भगवान की मंगल आगवानी करने पहुंचा। नगर के मुख्य मार्गो से विशाल जलूस के साथ चतविध संघ ने नगर प्रवेश किया। नगर के बीचोंबीच घंटाघर चौराहे पर आचार्य “ये विशाल धर्मसभा को सम्बोधन प्रदान किया। गुरुवर के चरणों में शहर के प्रमु श्री ने हाजनैतिक व्यक्तित्वों ने अपना प्रर्थ घमर्षण किया।

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