अन्यायी रिश्वत खोर अपनी माता के स्तन का भक्षण कर लेते हैं

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वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में अनेकों कांडों की भरमार हैं .कोई भी क्षेत्र हो जैसे स्वास्थ्य ,शिक्षा ,सड़क ,बिजली ,सिचाई ,भवन निर्माण आदि कौन से क्षेत्र बचा हैं .ठीक भी हैं हम रामराज्य की कल्पना करते हैं ,महाकवि तुलसीदास जी ने रामायण भी कांडों में लिखी जैसे बाल कांड ,अयोध्या काण्ड ,लंका काण्ड ,सुन्दर काण्ड ,हम रामराज की स्थापना की कल्पना करते हैं पर रम्य रामायण की नहीं मानते .एक धोबी के सीता जी के ऊपर आपत्ति उठायी तब श्रीराम ने उनकी परीक्षा ली और सीता जी अग्नि परीक्षा में पास हो गयी थी .आज क्या इतने सत्यवान राजनेता हैं क्या ?यदि परीक्षा देने का समय आता हैं तो भाग लगा देते हैं कारण अग्नि का ताप सहन नहीं कर पाएंगे .
आज कांडों घोटालों का बोलबाला हैं .पूरे कुँए में यही घुला हुआ हैं और हम उसको अंगीकार कर चुके हैं ,स्वीकार्य हो गया हैं ,अब भ्र्ष्टाचार शिष्टाचार बन गया हैं और अब आरोप प्रत्यारोपों से सब अप्रभावित हैं ,
जब कोई मुख्यमंत्री के ऊपर सैकंडों घोटालों के आरोप लगते हैं और वे उन्हें नकार देते हैं यानी उनकी चमड़ी कितनी मोटी और प्रभावहीन होंगी यह कल्पना से परे हैं .आज ये या अन्य काबीना मंत्री अपने आपको बहुत ईमानदार बताते हैं पर ये बहुत ही भ्रष्टतम हैं .
कार्यार्थिनः पुरुषां लॉंचलूँचानिशाचरणाम भूतवालिन्ना कुर्यात .
लान्चलूँचा हि सर्वपातकानमागमनद्वराम
मातुः स्तनमपि लुञ्चन्ति लँचोपजीविनः .
लान्चेन कार्यकारिभुरूधरावःस्वामी बिक्रियत .
राजा आये हुए प्रयोजनाथी पुरुषों को बलात्कार -पूर्वक रिश्वत लेने वाले (रिश्वतखोर )अमात्य -आदि अधिकारीयों के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाले (रिश्वत देने वाले )न बनावे .यानी की रिश्वतखोरी से प्रजा -पीड़ा ,अन्याय -वृद्धि व राजकोष क्षति होती हैं अतः राजा को प्रयोजनार्थी पुरुषों का रिश्वतखोरों से बचाव करना चाहिए .शुक्र विद्वान ने भी प्रयोजनार्थी का रिश्वत खोरों से बचाव न करने वाले राजा को आर्थिक -क्षति का निरूपण किया हैं .
बलात्कार पूर्वक रिश्वत लेना समस्त पापों का द्वार हैं .वशिष्ठ ने भी चापलूस व रिश्वतखोर अधिकारीयों से युक्त राजा को समस्त समस्त पापों का आश्रय बतलाया हैं .
रिश्वतखोरी से जीविका करने वाले अन्यायी रिश्वत खोर अपनी माता के स्तन का भक्षण कर लेते हैं -अपने हितैषियों से भी रिश्वत ले लेते हैं और फिर दूसरों से रिश्वत लेना तो साधारण बात हैं .
भारद्वाज ने भी रिश्वत खोरों की निर्दयता व विश्वास -घात के विषय में इसी प्रकार कथन किया हैं .रिश्वतखोर अपने उन्नतिशील स्वामी को बेच देता हैं क्योकि जिस प्रयोजनार्थी से रिश्वत ली जाती हैं ,उसका अन्याय -युक्त कार्य भी न्याय युक्त बताकर रिश्वतखोरो को सिद्ध करना पड़ता हैं जिससे स्वामी की आर्थिक -क्षति होती हैं यही रिश्वतखोरों द्वारा स्वामी को बेचना -पराधीन करना समझना चाहिए .
जो राजा बलात्कार पूर्वक प्रजा से धनगृहाण करता हैं ,उसका वह अन्याय -पूर्ण आर्थिक लाभ महल को नष्ट करके लोह कीले के लाभ के समान हानिकारक हैं .अर्थात जिस प्रकार जरा से -साधारण लोह -कीले के लाभार्थ अपने बहुमूल्य प्रासाद का गिराना स्वार्थ -नाश के कारण महामूर्खता हैं उसी प्रकार क्षुद्र स्वार्थ के लिए लूट -मार करके प्रजा से धन ग्रहण करना भी भविष्य में राज्य -क्षति का कारण होने से राजकीय महामूर्खता हैं .क्योकि ऐसा घोर अन्याय करने से प्रजा पीड़ित व संत्रस्त होकर वगावत कर देती हैं .जिसके फलस्वरूप राज्य क्षति होती हैं .अभिप्राय यह हैं की राज्य -सत्ता बहुमूल्य प्रासाद -तुल्य हैं उसे चोर समान नष्ट करके तुच्छ लंच (लूटमार या रिश्वत )रूप कीले का ग्रहण करने वाला राजा हंसी का पात्र होता हैं ,क्योकि वह महाभयंकर अन्याय करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी पटकता हैं .
जो राजा बलात्कार करके प्रजा से धनादि का अपहरण करता हैं ,उसके राज्य में किसका कल्याण हो सकता हैं ?किसी का नहीं .क्योकि यदि देवता भी चोरों की सहायता करने लगे ,तो किस प्रकार प्रजा का कल्याण हो सकता हैं ?नहीं हो सकता .उसी प्रकार रक्षक ही भक्षक हो जाय -राजा ही िश्वतख़ोरों व लूटमारने वालों की सहायता करने लगे ,तब प्रजा का कल्याण किस प्रकार हो सकता हैं ?नहीं हो सकता . अत्रि मुनि ने भी अन्यायी लूटमार करने वाले राजा के विषय में इसी प्रकार कथन किया हैं .रिश्वत व लूटमार आदि घृणित उपाय द्वारा प्रजा का धन अपहरण करने वाला अपने देश (राज्य ) खजाना ,मित्र और सैन्य नष्ट कर देता हैं .राजा का प्रजा के साथ अन्याय (लूटमार आदि ) करना ,समुद्र की मर्यादा उल्लंघन ,सूर्य को अँधेरा फैलाना व माता को अपने बच्चे का भक्षण करने के समान किसी के द्वारा निवारण न किया जाने वाला महाभयंकर अनर्थ हैं ,जिसे कलिकाल का ही प्रभाव समझना चाहिए .
जिस धन में करुणा नहीं ,और न प्रेमनिवास ,
उसका छूना पाप है , इच्छा विपदाग्रास .
जो धन दया ,और ममता से रहित हैं ,उसकी कभी इच्छा मत करो और उसको कभी अपने हाथ से छुओ भी मत .
अन्याय से धन कमाने की अपेक्षा गरीब रहना अच्छा जैसे कोई दुबला मनुष्य मोटे होने की के लिए शरीर में सूजन चढ़ा ले उस अपेक्षा से दुबला ही अच्छा .और वर्षा के जल से कभी भी नदियों में बाढ़ नहीं आती जब तक नाले और नालियों का पानी उसमे न मिले .
आजकल नर्सिंग प्रवेश ,मेडिकल प्रवेश आयुर्वेद प्रवेश ,शिक्षा विभाग में भर्ती काण्ड .सिचाई विभाग ,हर क्षेत्र में बहुत अनियमितताएं हैं और उनके मूल में अन्य–आय यानि भ्र्ष्टाचार ,लूटमार अवैध धन संचय का होना .आज धन के पीछे सब प्रकार के पाप करते हैं और फिर करने वाले को ही कष्ट /सजा /दंड सहन करना पड़ता हैं और परिवार जन का कोई सहयोग नहीं होता कारण उनके लिए घूंस लेना पड़ता हैं और अपराधी बनना पड़ता हैं ,और वह अपने साथ नहीं ले जाते हैं .धन कमाने में कष्ट ,सुरक्षा करने में कष्ट ,खर्च करने में कष्ट और पकड़े जाने पर शासन द्वारा जब्त होने पर कष्ट .ऐसे कान के बाला पहनने से क्या फायदा जिससे तुम्हारे कान कट जाएँ
विद्यावास्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू नियर डी मार्ट होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753

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