अणुबमो से नही अणुव्रतो के धारण करने से विश्व में शांति संभव

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भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है

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पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा

भारत की पावन पवित्र वसुंधरा पर समय समय पर अनेकानेक ऋषि मुनियों त्यागी महान दिव्य आत्माओं ने जन्म लिया है। आज संपूर्ण विश्व तीसरे विश्व युद्ध की ओर देख रहा है या यू कहे कि विश्व का प्राणी मात्र तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से भयभीत है। विश्व में शांति अणु बमो से नही अपितु अणुव्रतो के धारण करने से होगी । वर्तमान शासन नायक, जियो और जीनों दो सिद्धांत के प्रणेता, भगवान महावीर स्वामी के द्वारा बताए गए पंच शील के सिद्धांत वर्तमान समय में बड़े प्रासंगिक है। उनके सिद्धांत आउट ऑफ डेट नहीं हुए बल्कि आज भी अप टू डेट है। उन्होंने पंच शील के सिद्धांत सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचोर्य (चोरी नहीं करना ) और ब्रह्मचर्य ये बताए थे।
महावीर का “म” कहता है मन का संयम रहे बना
महावीर का “ह” कहता है हाथ दया से रहे सना
महावीर का “वी” कहता है वीतराग इंसान बने
और महावीर का “र ” कहता है रामकृष्ण महावीर बने ।
जैन धर्म दर्शन के अनेकांत और स्यादवाद के सिद्धांत के माध्यम से विश्व की समस्त समस्याओं का सफल समाधान किया जा सकता है। नर से नारायण पाषाण से परमात्मा की यात्रा का मार्ग दर्शन किया हैं । महापुरुषो के जीवन चरित्र पढ़ने और आत्मसात करने से जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियो में भी मन को साहस मिलता है वो घबराता नहीं है ।जीवन में नव चेतना का संचार होता है। मैं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के पावन स्वर्णिम अवसर पर सभी को ह्रदय की असीम गहराइयों से हार्दिक शुभकामनाएं और मांगलिक बधाईया समर्पित करता हूं।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा

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