अहिंसा संविधान की मूल भावना – अशोक गहलोत

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया अहिंसा-रथ रवाना

जयपुर – सत्य और अहिंसा संविधान की मूल भावना है। राज्य सरकार भी इन्हीं आदर्शों पर चल रही है। भगवान महावीर का संदेश है कि समाज हिंसा और घृणा से मुक्त होना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी सत्य और अहिंसा की शिक्षाएं जैन मुनि से ही प्राप्त की थीं। शांति और सद्भावना राजस्थान की विशेषता है।

ये विचार राजस्थान के लोकप्रिय यशस्वी मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मतिसागर जी महाराज के 13 वें समाधि दिवस समारोह के अवसर पर जयपुर के श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर वैशाली नगर के पांडाल परिसर में आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। श्री गहलोत ने आचार्य श्री सुनीलसागर जी के साथ राज्य में संचालित जनहित के विभन्न कार्यक्रमों और योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षाओं के प्रचार के लिए शांति और अहिंसा विभाग की स्थापना की है। इस विभाग द्वारा गांधीवादी विचारों के व्यापक प्रचार के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में महात्मागांधी इंस्टिट्यूट ऑफ गवर्नेंस एण्ड सोशल साइंसेज की स्थापना की गई है ताकि अधिक से अधिक युवाओं में समाज सेवा की भावना विकसित हो सके।

मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने शनिवार को भगवान महावीर के 2525वें निर्वाण उत्सव पर आयोजित अहिंसा रथ की पूजा अर्चना कर हरी झंडी दिखा कर रवाना करते हुए कहा कि रथ के माध्यम से सत्य, अहिंसा की शिक्षा के साथ-साथ नशमुक्ति का संदेश भी आमजन तक पहुंचेगा। इससे पहले उन्होंने समारोह को सम्बोधित करते हुए आचाार्य श्री सन्मतिागर जी महाराज के 13वें समाधि दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये, ‘सुनील संजीवनी’, ‘अनूठा तपस्वी’ और ‘दूसरा महावीर’ पुस्तकों का विमोचन किया।

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