आपकी सुयोग्य दृष्टि सामान्य पदार्थ को भी मूल्यवान बना देती है। भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी

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एटा, इस धरा पर जितने भी पदार्य हैं वे पदार्थ तो जैसे हैं वैसे ही होते हैं किन्तु संसारी जीवों की अपनी दृष्टि से एक ही पदार्थ भिन्न-भिन्न दिखाई देता है। जिस व्यक्ति को जिस पदार्य की महत्ता दिखाई देती है वह पदार्थ उस व्यक्ति के लिए मूल्यवान हो जाता है, मूल्यवान पदार्थ भी यदि आपकी दृष्टि में मूल्यवान नहीं है तो वह मूल्यवान पदार्थ की भी आपके जीवन में कोई महत्वता नहीं रखता, आप उसके प्रति सामान्य दृष्टि ही रखते हैं। ऐसा मंगलमय धर्मोपदेश एटा के भगवान आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज ने धर्मनगरी एटा के श्री पार्श्वनाथ जिनालय में उपस्थित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए दिया ।
आचार्य श्री ने सत्-संगति का महत्व बतलाते हुए आगे कहा. बन्धुओ ! आप जिसके निकट पहुंच जाते हैं आपके अंतरंग परिणाम (भाव) भी उसके अनुरूप होने लग जाते हैं। श्री जिनेन्द्र भगवान के निकट आप जिनदर्शन के लिए पहुँचते हैं तो आप भी भगवान जैसे अनंत सुख को प्राप्त करने की प्रबत भावना अपने अंतरंग में संजोने लगते हैं। जिनेन्द्र भगवान और निर्ग्रन्थ वीतरागी गुरु जनों के सामने आपने माथा टेक दिया और एक अर्ध चरणों में समर्पित कर दिया, बन्धुओं। देखने में यह क्रिया बहुत छोटी-सी प्रतीत हो रही है किन्नु इस भाव पूर्वक की गई छोटी सी क्रिया भी आपके जीवन में क्या परिवर्तन ला रही है यह तो आपका भविष्य ही बताएगा। एक डॉक्टर छोटी-सी सुई आपको लगा देता है देखने में क्रिया बहुत छोटी है लेकिन वह सुई के द्वारा आपके अंदर पहुंची हुई दवाई आपको स्वास्थ्य प्रदान करने वाली होती है। प्यारे बन्धुओं ! भगवान तो अपूर्व महिमा शाली हैं ही और हम सब काँच के टुकड़े हैं। भगवान के निकट पहुँचने मात्रसेही हम सब भी चमकने लगते हैं। सत्संगति से भगवान के निकट पहुँचने से हमारी मति सुमति हो जाती है जीवन के में होने वाली क्षति मिटकर सुगति होती है और परम्परा से निर्माण पद की भी प्राप्ति होती है। अतः जब भी सत्संगति का अवसर प्राप्त हो सत्संगति का लाभ अवश्य लेना चाहिए।
भावलिंगी संत आचार्यश्री विमर्रा सागर जी महामुनिराज ससंघ को शीतकाली वाचना की स्थापना मकर संक्रांति को एटा नगर में की जाएगी। शीतकालीन प्रवास के बोरान “श्री इस्टरोपदेश ग्रंथराज की वाचना का लाभ सुधी श्रावकों को प्राप्त होगा। 18 जनवरी की प्रातःकाल की मंगल बेला में बड़े मंदिर के समीपस्थ आचार्य श्री विमर्श बागर सभागार का शिलान्यास भी चतुर्विध संघ के सानिध्य में किया जायेगा।

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