औरंगाबाद नरेंद्र /पियूष जैन. उदगांव में इन दिनों उत्कृष्ट सिंहनिष्कीडित व्रतकर्ता-साधना महोदधि आचार्यश्री 108 गुरूवर्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सान्निध्य में जैनधर्म प्रभावना के साथ जैन दर्शन के विभिन्न तथ्यों का प्रकट होना जारी है। चारो तरफ कुंजवन उत्सव की धूम मच रही है। भक्तों का उत्सव में उत्साह उल्लास और उमंग का प्रवाह सुबह से रात तक बन रहा है। आज महामंडलाराधना एवं महायोगमंडल विधान गाजे बाजे के साथ धूमधाम से पूर्ण हुआ। संध्याकाल में संस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज के मंगल प्रवचनों का भी लोगों ने लाभ उठाया।
मंदिर जी में सुबह सर्वाण्ह यक्ष स्थापना के साथ ही ध्वजारोहण किया गया। मंत्रोच्चारण के साथ ही ध्वजारोहण कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों ने भाग लिया। ध्वजारोहण की क्रियाओं के पूर्ण होने पर उपनयन संस्कारों की क्रियाओं के दिव्य मंत्रों से संपूर्ण वातावरण गूंजायमान हो गया। मत्रों के बीच किशोर व युवाओं के मोजीबंधन बांधे गये। उनको इसके महत्व से अवगत कराया गया। इसकी पवित्रता पावनता को बनाये रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना है यह बताया गया। इसके साथ ही सामूहिक नवग्रह शांति हवन किया गया। इसमें सभी लोगों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।आराधना का यह क्रम एक बार प्रारंभ हुआ तो फिर यह धीरे-धीरे चरमोत्कर्ष पर पहुंचने लगा। भक्तों में भी जोश आता गया, और उत्कृष्ट सिंहनिष्कीडित व्रतकर्ता-साधना महोदधि आचार्यश्री 108 गुरूवर्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सान्निध्य में खिरते मंत्र अपने प्रभाव और प्रताप से लोगों के दिलो दिमाग को अलोकित करते गये। महामंडलाराधना और महायोग मंडल विधान के दौरान लोग मंत्रों के साथ श्लोकों पर झूमने लगे, गाने लगे, मस्त होकर प्रभु के चरणों में अपना सभी कुछ अपर्ण करने के भाव भाने लगे। जैन धर्म के त्याग और तप संयम के गुण गाने लगे। निश्चित ही ऐसे भक्तों का सौभाग्य जाग रहा है, जो धर्म आराधना के इस पावन पुनीत यज्ञ में उपस्थित होने के साथ ही मंत्रों के माध्यम से आहूतियों में आपने कर्मों को होम कर रहे हैं। इस दौरान आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने भक्तों को प्रवचन के माध्यम से बताया कि मानव जीवन की कला में धर्म उत्कृष्टता के साथ जीवन जीने का माध्यम है। संध्याकाल में आचार्य प्रसन्न सागर आनंद यात्रा, आरती हुई इसके बाद प्रारंभ हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला, जिसमें सौधर्म इंद्र की सभा तत्वचर्चा होने के दौरान ही सौधर्म इंद्र आसन कंपायमान होता है। इंद्र अपने मतिज्ञान से प्रभु जन्म होने के बारे में जानते हैं। और धनपति कुबेर को आज्ञा देते हैं कि वह कोशम्बी नगर की रचना करने के साथ रत्न वृष्टि करें। कुबेर द्वारा अष्टकुमारिकाओं की सुसीमा देव की माता की सेवा में नियुक्त किया जाता है। देर रात्रि तक प्रभु भक्ति में लीन भक्तों ने इन सभी कार्यकमों के माध्यम से प्रभु के प्रति अपनी कृतज्ञाता को प्रकट किया। कार्यक्रम आयोजक श्रीब्रहम्नाथ पुरातन दिगंबर जैन मंदिर टस्ट कुंजवन उदगांव रहा।
27 दिसंबर को मंदिर शुद्धि गर्भकल्याणक महोत्सव, 28 दिसंबर को जन्मकल्याणक 29 दिसंबर दीक्षा कल्याणक के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। यह सभी कार्यक्रम उत्कृष्ट सिंहनिष्कीडित व्रतकर्ता-साधना महोदधि आचार्यश्री 108 गुरूवर्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सान्निध्य में होंगें। कार्यक्रम आयोजक श्री ब्रहम्नाथ पुरातन दिगंबर जैन मंदिर टस्ट कुंजवन उदगांव रहेगा। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद