“यदि कोई समस्या आये तो जल्दबाजी में समाधान नहीं खोजें, उस समस्या के भीतर उतरते जायें” -आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज

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औरंगाबाद नरेंद्र /पियुष जैन भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता स आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का विहार महाराष्ट्र के ऊदगाव की ओर चल रहा है विहार के दौरान भक्त को कहाँ की लोगों को खोने से मत डरो..बल्कि इस बात पर चिन्तन करो -कहीं लोगों (भक्तों) को खुश करते करते, तुम खुद को ना खो दो..!

एक विचारक झरने के पानी को दो सौ फीट की ऊंचाई से गिरते हुये देख रहे थे। उसमें उठ रहे झाग को देखकर विचार कर रहे थे कि यदि कोई इसमें गिर जाये तो जिन्दा ना बच पाये। फिर क्या था एक बुजुर्ग को उस झाग के बीचों बीच कूदते हुये देखा और वह बुजुर्ग डूब गया, और कुछ देर बाद वह बुजुर्ग 100 मीटर आगे निकला – बालों को झटकारते हुये गीत गा रहा था – आदमी मुसाफिर है,, आता है जाता है। उस विचारक ने पूछा-? मैं समझा आप शरीर छोड़कर चले गये। आप कैसे बच गये-? बुजुर्ग ने बहुत गहरी बात एक लाइन में कह दी – मैं भंवर के साथ डूबता गया और उसने ही हमको बाहर कर दिया।हमने अपना सर्वस्व भंवर को सौंप दिया। इसलिए बच गया, यदि मैं चैलेंज करता तो बच नही पाता।

सब लोगों की हजारों समस्या है और हम आप ज्ञानी बनकर समाधान करने बैठ जाते हैं।ध्यान रखना! लोगों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। क्योंकि सबसे बड़ी समस्या एक ही है – जिसका कोई भी समाधान नहीं है। मूल समस्या एक ही है “अहंकार” — जिसके लिये हम सबसे लड़ भिड़ जाते हैं। यहां हर एक कोई हमारा दुश्मन है — लोग, समाज, आबोहवा, भाग्य और भी बहुत कुछ और हमें इन सबसे जीतना है। कैसे जीत पायेंगे -?समस्या में ही समाधान है। समस्या बीज की तरह होती है, जिसके गर्भ में समाधान छुपा होता है। यदि कोई समस्या आये तो जल्दबाजी में समाधान नहीं खोजें, उस समस्या के भीतर उतरते जायें – आप पायेंगे कि समाधान मिल गया।

समस्या पानी के भंवर जैसी है, उसमें छलांग लगायें और गहरे उतरते जायें। उस समझदार बुजुर्ग ने भंवर को चैलेंज नहीं किया। अपना सर्वस्व अर्पण, समर्पण कर दिया। आप भी समस्या के स्वभाव को समझ लें और समाधान प्राप्त कर लें। उन्हें अपना समझने से क्या फायदा जिनके मन में ना समर्पण हो, न अपनेपन का भाव हो…!!!

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