चतुर्थकालीन चर्या का पालन करने वाले भावलिंगी संत पहुंचे कैलाशनगर, दिल्ली में भावलिंगी संत का मंगल पदार्पण

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प.पू. सूरिगच्छाचार्य श्री 108 विरागसागर जी महामुनिराज के प्रिय, प्रभावक शिष्य, अपने व्कृतित्व से पूरे देश में धूम मचाने वाले; जीवन है पानी की बून्द’ जैसे भमर महाकाव्य के मूल सृजेता, विमर्श एम्बिसा और विमर्श लिपि जैसी ऐतिहासिक कृतियों के जनक: जिनागम पंथ’ का नारा देकर जैन एकता का शंखनाद करने वाले, आदर्श महाकवि, राष्ट्रयोगी भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज के विशाल चतुर्विध संघ का प्रथम वार देश की राजधानी दिल्ली में चातुर्मास का सुयोग बनने जा रहा है। इस ऐतिहासिक चातुर्मास की अगुवाई करने का सौभाग्य कृष्णानगर दिल्ली को प्राप्त होगा। आचार्य संघ दो दिन लाल मंदिर चाँदनी चौक दिल्ली में प्रवास के उपरान्त दिनांक 12 जुलाई 2024 को धर्म नगरी कैलाशनगर में भव्य आगमन हुमा। आर्यिका विकक्षा श्री माताजी (ससंघ) ने सैकड़ों श्रद्धालुनों के साथ पूज्य आचार्य संघ की अगवानि की , दोनों संघों का वात्सल्य भव्य मंगल मिलन हुआ । श्री जी की वंदना कर दोनों संघ मंचासीन हुये। गुरुपूजन, मंगलाचरण के बाद सबसे पहले आर्यिका विकक्षा श्री माताजी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आचार्य श्री विमर्शसागर जी मुनिराज की पावन चर्या को देखकर ही हमारे जीवन में वैराग्य कमा अंकुरण हुआ है । उपरान्त आचार्य श्री विमर्शरसागर जी महामुनिराज में धर्म सभा को संबोधित करते हुये कहा – आवक दान देता है, है, और गुरु भक्तों की वरदान देते हैं। आ.श्री ने कहा हम सभी मंगल को चाहते हैं और अमंगल से बचना चाहते हैं। लेकिन जब तक मंगल स्वरूप धर्म का बोध जीवन में जागृत नहीं होता तक भीवा में अमंगल ही घटता रहता है। आचार्य संघ का 12,13 जुलाई को कैलाशनगर में प्रवास राहेगा, 14 जुलाई की कृष्णानगर में चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश होगा।

दिल्ली से सोनल जैन की रिपोर्ट

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