विश्व हेपेटाइटिस दिवस हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 28 जुलाई को मनाया जाता है। 28 जुलाई की तारीख का चयन नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर बारूच सैमुएल ब्लमबर्ग के जन्मदिन को सम्मानित करने के लिए किया गया था। विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2017, वर्ष 2030 तक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य ज़ोखिम के तौर पर वायरल हेपेटाइटिस (नब्बे प्रतिशत तक नए संक्रमणों एवं पैंसठ प्रतिशत तक मृत्यु दर को कम करने) की समाप्ति के लक्ष्य के साथ वर्ष 2016-2021 तक वायरल हैपेटाइटिस पर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक स्वास्थ्य रणनीति को लागू करने के सभी प्रयासों को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
हर साल विश्व हैपिटाइटिस डे 28 जुलाई को मनाया जाता है| इस दिन को पूरे विश्व के लगभग सभी देशो में मनाया जाता है| इस दिन को मनाने के पीछे एक अहम् कारण है| हैपिटाइटिस बी एक लीवर को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है जो की कभी कबार लीवर कैंसर का रूप ले लेती है| यह बीमारी पूरे विश्व के लगभग 325 मिलियन लोगो को प्रभावित करती है| हर साल इस बीमारी की वजह से लगभग 1.34 मिलियन लोगो की मौत हो जाती है
हेपेटाइटिस-बी लिवर को प्रभावित करने वाला एक गंभीर संक्रमण है। यह वायरस मरीज के लिवर को निशाना बनाता है जिसके कारण शरीर स्थायी रूप से प्रभावित होता है। इससे डायरिया, भूख कम होना, उल्टियां होना, थकान, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, पेट दर्द, तेज बुखार और पीलिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हिपेटाइटिस-बी का संक्रमण होने के बाद मरीज़ को ठीक होने में करीब छः महीने का समय लगता है। इसके बाद भी यदि मरीज हिपेटाइटिस-बी पॉजिटिव हो तो इसका मतलब है कि बीमारी गंभीर रूप ले चुकी है और अब यह जीवनपर्यंत रहेगी। गंभीर रूप से संक्रमित होने पर रोगी के लिवर को स्थायी क्षति पहुंचती है। मरीज की लिवर कैंसर की वजह से मृत्यु भी हो सकती है।
हिपेटाइटिस-बी के इलाज से आमतौर पर 90 प्रतिशत वयस्क ठीक हो जाते हैं लेकिन 10 प्रतिशत में बीमारी गंभीर रूप ले लेती है।
संक्रमण की चपेट में आने वाले 90 प्रतिशत शिशुओं को गंभीर हिपेटाइटिस हो जाता है। गंभीर संक्रमण आमतौर पर ऐसे लोगों को होता है जो बचपन में हिपेटाइटिस-बी वायरस की चपेट में आ चुके हों। हिपेटाइटिस-बी वायरस से संक्रमित होने पर हो सकता है कि आपको कोई लक्षण नजर ही न आए।
संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों को भी संक्रमण फैल सकता है, चाहे उनमें बीमारी के लक्षण दिखाई न भी दे रहे हों। कई दिनों या हफ्तों तक रोगी बीमार महसूस कर सकता है। उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब भी हो सकती है। यदि शरीर हिपेटाइटिस-बी वायरस से सफलतापूर्वक लड़ लेता है तब इस बीमारी के कारण सामने आए लक्षण कुछ हफ्तों या महीनों में गायब हो जाते हैं।
जब मरीज का शरीर इस संक्रमण से लड़ते-लड़ते हार जाता है तो ऐसे में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। हिपेटाइटिस के कई मरीजों में इस बीमारी की वजह से कोई लक्षण सामने नहीं आते, न ही वे बीमार दिखाई देते हैं। लेकिन फिर भी उनके लिवर को नुकसान होना शुरू हो चुका होता है। साथ ही उनके शरीर से दूसरों तक संक्रमण भी फैल सकता है। संक्रमण होने के बाद शुरुआती संकेत ये हो सकते हैं- भूख कम होना, कम परिश्रम पर अधिक थकान मससूस करना, बार-बार बुखार होना, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द रहना, मितली आना, उल्टियां होना आदि। त्वचा पर पीलापन आना, गहरे पीले रंग का मूत्र होना आदि लक्षण भी सामने आते हैं।
हेपेटाइटिस क्या है?
हेपेटाइटिस यकृत की सूजन है। स्थिति आत्म-सीमित हो सकती है या फाइब्रोसिस (स्कारिंग), सिरोसिस या यकृत कैंसर के लिए प्रगति कर सकती है। वायरल हैपेटाइटिस वायरस द्वारा होने वाले संक्रामक रोगों का समूह है, जिसे हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी और ई के नाम से जाना जाता है।
हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी) दूषित भोजन एवं पानी या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने के माध्यम से फैलता है।
हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) संक्रामक रक्त, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों (जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केंद्रों या नशे के इंजेक्शन लगाने वाले व्यक्तियों में सुई और सिरिंजों के पुन: उपयोग या संक्रमित माताओं से जन्म के समय शिशुओं या प्रारंभिक बाल अवस्था में परिवार के सदस्य से शिशु और संक्रमित साथी के साथ यौन संपर्क) के संपर्क में आने से फैलता है।
हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) असुरक्षित इंजेक्शन (इंजेक्शन से ड्रग लेने वालों एवं असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल) और बिना परीक्षण किए रक्त एवं रक्त उत्पादों के आधान के माध्यम से फैलता है तथा एचसीवी संक्रमित माताओं से पैदा हुए बच्चे में प्रसारित होता है।
हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी) संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने के माध्यम से फैलता है। एचडीवी संक्रमण केवल एक साथ या एचबीवी के साथ उच्च संक्रमण के रूप में प्रकट होता है।
हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी) दूषित पानी या भोजन के उपभोग से फैलता है।
ए) वायरल हैपेटाइटिस मुख्य वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है तथा इस पर तत्काल कार्रवाई करने की ज़रूरत है। वर्ष 2015 में विश्वभर के लगभग तीन सौ पच्चीस मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से पीड़ित पाये गये। भारत ग्याहर देशों में चौथा देश है, जो कि क्रोनिक हेपेटाइटिस के वैश्विक बोझ का लगभग पचास प्रतिशत वहन करता है।
बी) हेपेटाइटिस से मृत्यु में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। वर्ष 2015 में वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित एक दशमलव चौंतीस मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई, जो कि टीबी एवं एचआईवी से होने वाली मृत्यु से बहुत अधिक है।
सी) उनमें से बहुत कम संक्रमित लोगों को परीक्षण एवं उपचार की पहुँच प्राप्त थी। वर्ष 2015 में नौ प्रतिशत एचबीवी-संक्रमित लोगों और बीस प्रतिशत एचसीवी-संक्रमित लोगों का परीक्षण और निदान किया गया था। जिन लोगों में एचबीवी संक्रमण का पता लगाया गया, उनमें से आठ प्रतिशत उपचार पर थे। जबकि सात प्रतिशत एचसीवी संक्रमण से पीड़ित लोगों का उपचार वर्ष 2015 में शुरू किया गया था।
डी) नये हेपेटाइटिस संक्रमण लगातार हो रहे है, लेकिन उनमें से अधिकांशत: हेपेटाइटिस सी के मामले है। वर्ष 2015 में हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण की शुरुआत के बाद बच्चों में हेपेटाइटिस बी का संक्रमण एक दशमलव तीन प्रतिशत कम हो गया है (हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण की शुरुआत से पहले यह चार दशमलव सात प्रतिशत था)। वर्ष 2015, कुछ देशों में स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में असुरक्षित इंजेक्शन एवं नशे के इंजेक्शन लगाने के कारण एचसीवी से पीड़ित वयस्कों में संक्रमण लगातार उजागर हो रहा है।
इस सम्बन्ध में यही कहना हैं की बचाव ही इलाज़ हैं और यदि एक बार संक्रमित होने के बाद लगातार इलाज़ करना और कराना बहुत जरुरी हैं अन्यथा असाध्य अवस्था के बाद इलाज़ लाभदायक नहीं हो पाता.
थोड़ी सी समझदारी में ही जिंदगी बच सकती हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल 09425006753
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