वर्ल्ड जेलीफिश डे—विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

0
68

आज वर्ल्ड जेलीफिश डे है. ये मछली छाते की तरह या मशरूम की तरह नजर आती है, इसके पास ना आंखें होती हैं और दिल और ना ही दिमाग लेकिन इसकी प्रजनन क्षमता गजब की है. दुनिया में एक तरह से ये सबसे पुराने प्राणियों में हैं, तब से जब धरती पर डायनासौर हुआ करते थे. वैज्ञानिक मानते हैं कि वो धरती पर 5000 लाख साल से हैं.
दुनिया में मौजूद सभी जीव-जंतू की आयु की एक निर्धारित सीमा है। यानी उस आयु को पूरा करने के बाद ही उनकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी की धरती पर एक ऐसा भी जीव मौजूद है, जो कभी मरता ही नहीं है। आसान शब्दों में कहें, तो इस जीव को ‘अमरता का वरदान’ मिला हुआ है।
दरअसल, हम जेलीफिश के बारे में बात कर रहे हैं। अपने अजीबोगरीब गुणों की वजह से यह जीव दुनियाभर में मशहूर है। जेलीफिश एक प्रकार की मछली है, जिसकी 1500 से भी ज्यादा प्रजातियां मौजूद है। यह दिखने में पारदर्शी होती हैं, लेकिन इंसानों के लिए यह बेहद ही खतरनाक भी होती हैं। जेलीफिश अपने डंक से किसी भी इंसान को पलभर में मौत की नींद सुला सकती है।
यह जीव समुद्र की अथाह गहराइयों में मिलती है, जहां सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती है। कहा जाता है कि धरती पर जेलीफिश का अस्तित्व सदियों पुराना है। यह डायनासोर के काल से ही धरती पर मौजूद हैं। जेलीफिश दुनिया की इकलौती ऐसी मछली है, जिसमें 95 फीसदी तक पानी होता है। इसी गुण के कारण यह मछली पारदर्शी दिखाई देती है। कहा जाता है कि जेलीफिश के पास दिमाग नहीं होता है, इसी कारण उसके आसपास हमेशा छोटी-बड़ी मछलियों का झुंड जमा रहता है। क्योंकि वो इसके आसपास खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं।
जेलीफिश की लंबाई औसतन छह फीट तक होती है और इसका वजन 200 किलोग्राम तक होता है। अब तक की सबसे बड़ी जेलीफिश अमेरिका के समुद्र में मिली थी, जिसका लंबाई 7.6 फीट थी और उसकी मूंछें 120 फीट लंबी थीं। वैसे जेलीफिश दिखने में बहुत खूबसूरत लगती हैं, लेकिन अगर उनकी मूंछें किसी इंसान की त्वचा से छू जाएं तो उनका तत्काल इलाज कराना पड़ता है, क्योंकि उनकी मूंछें इतनी जहरीली होती हैं कि वो त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाती हैं।
जेलीफिश को कभी न मरने वाला जीव कहा जाता है, क्योंकि इसके अंदर ऐसी खासियत होती है कि इसको अगर दो भागों में भी काट दिया जाए तो यह मरती नहीं है, बल्कि उन दोनों भागों से अलग-अलग जेलीफिश का जन्म होता है।
जेलीफ़िश भोजन कैसे करती है?
जेलिफ़िश के जाल में छोटी-छोटी चुंबन वाली कोशिकाएं होती हैं जो शिकार को पहले अचेत या पंगु बना देती हैं. जेलिफ़िश के शरीर के बीचों-बीच उसका मुंह होता है, जो आकार में छोटा होता है. जिसकी मदद से यह भोजन को अंदर निगल लेती है और बाहर भी निकालती है.
जेलिफ़िश में अपने भोजन को बहुत जल्दी पचाने की क्षमता होती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह अपने मल को भी मुंह से ही बारह निकाल देती है.
मनुष्यों पर जेलीफ़िश का प्रभाव
जानकारों के मुताबिक, हालांकि ज्यादातर जेलीफिश इंसानों के लिए हानिकारक नहीं होती, लेकिन फिर भी जेलिफिश की कुछ प्रजातियां ऐसी होती हैं जो इंसानों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं.
बॉक्स जेलीफ़िश इंसानों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती हैं. यह एक बॉक्स के आकार की होती है, जिसके संपर्क में आने पर इंसान को असहनीय दर्द होता है, इसके साथ ही दिल की धड़कन भी रुक सकती है.
क्या जेलीफ़िश के पास दिमाग होता है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जेलिफ़िश के पास दिमाग नहीं होता है. इसके अलावा इसमें हड्डियां, हृदय और रक्त या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र भी नहीं होता है.
मस्तिष्क के बजाय, जेलीफ़िश में तंत्रिकाओं का जाल होता है. उनके जाल के तल पर नसों का एक मूल समूह होता है जो स्पर्श, तापमान, लवणता आदि का पता लगा सकता है.
जेलिफ़िश का जीवनकाल कितना होता है?
अधिकांश जेलीफ़िश अल्पकालिक होती हैं. ज्यादातर जेलिफ़िश की उम्र एक साल से भी कम होती है यानि ये सिर्फ 1 साल तक ही जीवित रहती हैं. कुछ जेलिफ़िश तो बहुत छोटी होती हैं, जो केवल कुछ दिनों तक ही जीवित रह सकती हैं.
मेडुसा या वयस्क जेलीफ़िश आमतौर पर प्रजातियों के आधार पर कुछ महीनों तक जीवित रहते हैं, हालांकि कुछ प्रजातियां देखरेख में 2-3 साल तक जीवित रह सकती हैं.
#1. जेलीफिश / का वैज्ञानिक नाम स्कैफ़ोज़ोआ है.
#2. आपको जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों के अनुसार जेलीफिश का अस्तित्व डायनासोर से करीब 50 करोड़ साल पहले से धरती पर है.
#3. जेलीफिश एक ऐसा जीव है जिसमें न तो हड्डियां होती हैं और न ही दिमाग होता है.
#4. जेलीफ़िश के शरीर का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा ही ठोस पदार्थ होता है बाकि पूरी तरह से पानी से बना होता हैं.
#5. जेलीफ़िश के समूह को कभी-कभी Bloom, Swarm या Smack कहा जाता है.
जेलीफ़िश के बारे में रोचक तथ्य
#6. अधिकांश जेलीफ़िश सफेद रंग की होती हैं लेकिन कुछ जेलीफ़िश गुलाबी, पीले, नीले, बैंगनी आदि रंग की हो सकती हैं.
#7. कुछ जेलीफ़िश बायोलुमिनसेंस भी हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपना स्वयं का प्रकाश उत्पन्न करते हैं.
#8. यह जानने के बाद सभी को हैरानी होगी कि जेलीफिश के पास दिमाग, दिल, हड्डियां और आंखें भी नहीं होती, फिर भी ये अपना छोटा जीवन जीने में सक्षम होती हैं.
#9. जेलिफ़िश में अपने भोजन को बहुत जल्दी पचाने की क्षमता होती है.
#10. जेलिफ़िश अन्य समुद्री जीवों, छोटे पौधे, मछली के अंडे, छोटी मछली जिसे लार्वा भी कहा जाता है आदि को अपने भोजन के रूप में खाती हैं.
#11. भलेही जेलीफिश के नाम में “फिश” है लेकिन वे मछली की प्रजाति नहीं है.
#12. कुछ जेलिफ़िश प्रकाश उत्पन्न करने में सक्षम होती हैं, और वे इस प्रकाश का उपयोग पानी में शिकारियों से अपना बचाव करने के लिए भी करते हैं.
#13. जेलीफ़िश की कुछ प्रजातियां आकार में बड़ी और रंगीन होती हैं और आमतौर पर दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं.
#14. दुनिया की सबसे बड़ी जेलिफ़िश “The lion’s mane Jellyfish” प्रजाति की है, इसका वजन 200 किलो है और इसकी कुल लंबाई मापी जाए तो यह लगभग 120 फीट होगी.
#15. जेलीफ़िश का डंक इंसानों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और कुछ मामलों में तो यह जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन एक बात यह भी है कि ये जानबूझकर इंसानों पर हमला नहीं करते हैं, वे तभी हमला करते हैं जब इंसान गलती से उन्हें छू लेते हैं.
#16. बॉक्स जेलीफ़िश ) को दुनिया की सबसे खतरनाक समुद्री जेलीफ़िश माना जाता है. एक बॉक्स जेलीफ़िश का जहर 60 लोगों की जान ले सकता है.
#17. हर साल शार्क से ज्यादा लोग जेलीफिश के डंक मारने से मरते हैं.
#18. जेलिफ़िश की कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं जो अमर हैं, जिसका अर्थ है कि वे कभी नहीं मरती हैं. इस जीव को अगर दो भागों में काट दिया जाए तो भी यह दो जेलीफिश में पुनः उत्पन्न हो जाती है.
#19. जेलीफ़िश को अमेरिका जैसे देशों के मछली घरों में जेली या समुद्री जेली के रूप में जाना जाता है.
#20. जेलीफ़िश को दुनिया भर के कई देशों में एक व्यंजन के रूप में परोसा जाता है.
#21. चीन जैसे विदेशों में जेलिफ़िश का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है.
#22. कुछ प्रयोगों में जेलिफ़िश का भी उपयोग किया गया है, जिसके कारण उन्हें अंतरिक्ष में भी भेजा गया है. अब तक 60,000 से अधिक जेलीफ़िश को अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है.
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here