विश्व रेबीज दिवस——विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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इस वर्ष की थीम ‘रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्स’ में लोगों और जानवरों दोनों के साथ पर्यावरण के संबंध पर प्रकाश डाला जाएगा।
28 सितंबर को हर साल दुनिया भर में विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. आज के दिन को फ्रांसिस वैज्ञानिक लुईस पाश्चर की बरसी के तौर पर भी याद किया जाता है. लुईस पाश्चर ने पहली बार रेबीज की वैक्सीन का विकास कर मेडिकल जगत को अनमोल तोहफा दिया था. रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है.
रेबीज का संक्रमण आमतौर पर कुछ हफ्तों या अधिकतम 3 माह में दिखने लगता है. कुछ मामलों में तो इसके इंफेक्शन का असर साल भर के बाद भी देखा गया है.
रेबीज कुछ जानवरों के काटने से होने वाला संक्रमण  है. संक्रमित जानवर जब किसी इंसान को काटता है, तो उसके सलाइवा (लार) के साथ यह वायरस ब्लड के जरिए शरीर में पहुंचकर संक्रमण पैदा करता है. इसका सही समय पर और गंभीरता से इलाज बहुत जरूरी है. रेबीज एक बेहद घातक वायरस है, जो इंसानों और जानवरों को संक्रमित  करता है.
यह संक्रमण सेंट्रल नर्वस सिस्टम  और  मस्तिष्क  पर हमला करता है और अगर इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाएं, तो यह घातक हो सकता है लेकिन अगर आप समय पर सही कदम उठाएंगे तो इस बीमारी को रोका जा सकता है.
जानलेवा साबित होता है संक्रमण
रेबीज की वैक्सीन आ जाने से वैसे तो इस बीमारी के संक्रमण का खतरा नहीं रहा, लेकिन अगर संक्रमित जानवर के काटने का शिकार हुए हैं, तो इसे गंभीरता से लें क्योंकि यह स्पष्ट नहीं होता है कि जिस जानवर ने आपको काटा है, वह वायरस से संक्रमित था या नहीं. नजरअंदाज करने पर यह संक्रमण जानलेवा साबित होता है. यह ऐसा संक्रमण है, जिसके लक्षण आने में समय लगता है. कुछ मामलों में इसके लक्षण तीन से चार सप्ताह में दिखने लगते हैं, जबकि कई बार कुछ माह का भी समय लग जाता है.
किसे हो सकता है संक्रमण?
भारत में रेबीज के ज्यादातर केस कुत्ते के काटने के होते हैं, जबकि इस वायरस का संक्रमण बंदर, घोड़े, चमगादड़ के काटने से भी होता है. ऐसा नहीं है कि संक्रमित जानवर के इंसान को काटने पर ही इसका संक्रमण होता है. यदि संक्रमित जानवर किसी दूसरे जानवर को काट लेता है तो वह जानवर भी इंफेक्शन की चपेट में आ जाता है. आपको बता दें कि रेबीज की वैक्सीन बाजार में आसानी से मिल जाती है.
जानवर के चाटने से भी होता है
रेबीज को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि ये संक्रमण क्या पालतू जानवर के काटने से भी हो सकता है? ऐसा नहीं है कि सिर्फ आवारा कुत्ते के काटने से ही रेबीज होता है. इसका कारण आपका पालतू भी हो सकता है. इसलिए पेट्स लवर को चाहिए कि वे उसे समय पर रेबीज का एंटीडोज जरूर लगवाएं. ऐसा नहीं है कि पालतू को एंटीडोज नहीं लगा और उसने काट लिया तो रेबीज का संक्रमण हो जाए. कई बार पालतू के प्यार से चाटने पर भी सलाइवा से भी इंफेक्शन हो सकता है.
मरीज में क्या बदलाव आते है?
रेबीज संक्रमण होने पर इसके प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर ब्लड का टेस्ट करा कर ही डॉक्टर जान पाते हैं कि रोगी को रेबीज का संक्रमण हुआ है या नहीं. रेबीज से संक्रमित व्यक्ति का स्वस्थ होना मुश्किल होता है और वह मानसिक रूप से पूरी तरह अस्वस्थ व बेखबर  हो जाता है. इसके चलते उसका कार्य, व्यवहार, बातचीत का तरीका, सब कुछ बदल जाता है. इसलिए ऐसे मरीजों के साथ भावनात्मक लगाव रखें और उनकी तकलीफ को समझें.
बीमारी के लक्षण
रेबीज का संक्रमण आमतौर पर कुछ हफ्तों या अधिकतम तीन माह में दिखने लगता है. हालांकि कुछ मामलों में तो इसके संक्रमण का असर साल भर के बाद भी देखा गया है.
– बुखार आना, सिरदर्द.
– मुंह में अत्यधिक लार बनना.
– व्यावहारिक ज्ञान शून्य होना, मानसिक विक्षिप्तता.
– हिंसक गतिविधियां.
– अति उत्तेजक स्वभाव.
– अजीब तरह की आवाजें निकालना.
– हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना)
– अपने में खोए रहना.
– शरीर में झनझनाहट होना.
– अंगों में शिथिलता आना.
– पैरालाइज हो जाना.
जानवर काटने पर तुंरत क्या करें?
यदि बंदर या कुत्ता काट ले तो तत्काल उस जगह को साबुन या एंटीसेप्टिक लोशन से अच्छी तरह साफ कर लें. इसके बाद डॉक्टर से संपर्क करें. बिना देर किए 48 घंटे के अंदर रेबीज की वैक्सीन जरूर लगवाएं.
आयुर्वेद चिकित्सा
अश्वगंधा चूर्ण
लगभग 2 से 5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को थोड़े से शहद या घी के साथ सेवन करें। यह आपके दिमाग को शांत रखने और रेबीज के शुरुआती लक्षणों को शांत करने में मदद करेगा। आप पाउडर को रोजाना एक गिलास गर्म दूध के साथ भी ले सकते हैं।
जीरा
जीरा शरीर में कुछ जहरीले प्रभावों को खत्म करने में फायदेमंद है, इसलिए यह एक प्रभावी रेबीज उपचार साबित होता है। तो, दो चम्मच जीरा को लगभग 20 काली मिर्च के साथ पीस लें। पाउडर में थोडा़ सा पानी डालकर बारीक पेस्ट बना लें, इसे संक्रमित जगह पर लगाएं और इससे रेबीज के घाव तेजी से भरेंगे।
संतरे का रस
संतरे का जूस, आपकी दैनिक खुराक प्रतिरक्षा  में सुधार करने में मदद करती है। अधिक लाभ के लिए इसमें कुछ काली मिर्च के साथ अनार का रस मिलाएं। यह आपके सिस्टम को मजबूत और रेबीज के किसी भी लक्षण से मुक्त रखेगा।
लैवेंडर
एक कटोरी में थोडा बर्फीला ठंडा पानी भरें। लैवेंडर एसेंशियल तेल की लगभग 4 से 5 बूँदें डालें और एक नरम तौलिये को मिश्रण वाले ठंडे पानी में भिगो दें। तौलिये से अतिरिक्त पानी निचोड़ें और घाव  के ऊपर रखें। यह दर्द के साथ-साथ किसी भी संबंधित सूजन को कम करने में मदद करेगा।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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